सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को मध्य प्रदेश विधानसभा स्पीकर से पूछा कि क्या वह वीडियो लिंक के ज़रिये कांग्रेस के बेंगलुरू में मौजूद उन बागी विधायकों से बात कर सकते हैं, जिनके इस्तीफों की वजह से राज्य की कमलनाथ सरकार अल्पमत में आ गई है. स्पीकर ने विधायकों से खुद सामने आकर इस्तीफे की पुष्टि करने के लिए कहा था, लेकिन विधायकों ने सुरक्षा व्यवस्था की गैरमौजूदगी में ऐसा करने से इंकार कर दिया. बागी विधायकों का आरोप है कि कांग्रेस उन्हें इस्तीफा वापस लेने के लिए मजबूर करने की कोशिश कर रही है और इस वजह से वे भारी दबाव में हैं.
न्यायमूर्ति डी.वाई. चंद्रचूड़ ने कहा, "हम उनकी इच्छा सचमुच स्वेच्छा से व्यक्त किए जाने की स्थितियां सुनिश्चित कर सकते हैं... हम बेंगलुरू या किसी भी और स्थान पर पर्यवेक्षक नियुक्त कर सकते हैं... वे आपसे वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के ज़रिये संपर्क कर सकते हैं, और आप तब फैसला ले सकते हैं..."
मध्य प्रदेश विधानसभा के स्पीकर ने फैसला करने के लिए सुप्रीम कोर्ट से दो सप्ताह का समय मांगा है. वरिष्ठ अधिवक्ता तथा कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा, "मुझे फैसला करने के लिए दो सप्ताह का समय दीजिए... बागी विधायकों को मध्य प्रदेश में अपने घरों में लौटकर आने दीजिए... वे अपने परिवारों से दूर रह रहे हैं... वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग का विचार मेरी चिंताओं की पुष्टि करता है..."
इस पर न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा, "ये हफ्ते खरीद-फरोख्त के लिए सोने की खान सरीखे हैं... इसी वजह से कोर्ट फ्लोर टेस्ट का आदेश देने में प्रोएक्टिव रही हैं... विचार रहता है कि फ्लोर टेस्ट जल्द से जल्द करवाया जाए, और ऐसी बातों से बचा जा सके..."
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