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This Article is From Jul 08, 2023

संविधान पर टिप्पणी करने पर 'धर्म संसद' वाले नेता को सुप्रीम कोर्ट का नोटिस

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस एमएम सुंदरेश की पीठ ने कार्यकर्ता शची नेल्ली की याचिका पर यति नरसिंहानंद को नोटिस जारी किया

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संविधान पर टिप्पणी करने पर 'धर्म संसद' वाले नेता को सुप्रीम कोर्ट का नोटिस
संविधान और सुप्रीम कोर्ट पर अपमानजनक टिप्पणी करने पर यति नरसिंहानंद को अवमानना की कार्यवाही का सामना करना पड़ेगा.
नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को 'धर्म संसद' को लेकर चर्चित धार्मिक नेता व पुजारी यति नरसिंहानंद को संविधान और देश के सुप्रीम कोर्ट के खिलाफ उनकी टिप्पणियों पर अदालत की अवमानना याचिका पर नोटिस जारी किया है. सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस एमएम सुंदरेश की पीठ ने कार्यकर्ता शची नेल्ली की याचिका पर यति नरसिंहानंद को नोटिस जारी किया है. याचिका में उनके खिलाफ आपराधिक अवमानना कार्यवाही शुरू करने की मांग की गई है.

सुप्रीम कोर्ट ने अवमानना याचिका पर गाजियाबाद के डासना देवी मंदिर के पुजारी यति नरसिंहानंद से जवाब मांगा है. कोर्ट ने नरसिंहानंद याचिका पर जवाब दाखिल करने को कहा है. संक्षिप्त सुनवाई के दौरान वरिष्ठ अधिवक्ता नित्या रामकृष्णन ने पीठ को सूचित किया कि उन्हें कथित अवमाननाकर्ता नरसिंहानंद के खिलाफ अवमानना ​​याचिका दायर करने के लिए तत्कालीन अटॉर्नी जनरल (AG) केके वेणुगोपाल की सहमति मिल गई है.

नेल्ली ने अपनी याचिका में नरसिंहानंद द्वारा एक यूट्यूब चैनल को दिए गए साक्षात्कार में की गई कथित अपमानजनक टिप्पणी का जिक्र किया है. वह वीडियो 14 जनवरी 2022 को सोशल मीडिया पर वायरल हो गया था. यह टिप्पणी हरिद्वार में नफरत भरे भाषण के संबंध में शीर्ष अदालत में विचाराधीन मुकदमे के संदर्भ में की गई थी.

शीर्ष अदालत ने पिछले साल 10 अक्टूबर को याचिककर्ता से नरसिंहानंद के बयान वाले वीडियो की सामग्री का ट्रांसक्रिप्शन पेश करने को कहा था. वेणुगोपाल ने 22 जनवरी 2022 को पुजारी के खिलाफ अवमानना ​​​​कार्यवाही शुरू करने के नेल्ली के अनुरोध के प्रति सहमति व्यक्त कर दी थी. नेल्ली ने नरसिंहानंद के खिलाफ अदालती अवमानना की कार्यवाही शुरू करने के लिए एजी से सहमति मांगी थी.

न्यायालय की अवमानना ​​अधिनियम की धारा-15 के तहत किसी व्यक्ति द्वारा दायर आपराधिक अवमानना ​​याचिका पर शीर्ष अदालत में सुनवाई से पहले अटॉर्नी जनरल की सहमति आवश्यक है.

एजी ने कहा था कि नरसिंहानंद द्वारा दिया गया बयान आम जनता के मन में "सुप्रीम कोर्ट के अधिकार को कम करने का सीधा प्रयास" है. एजी पत्र में कहा था, "मुझे लगता है कि यति नरसिंहानंद द्वारा दिया गया बयान... आम जनता के मन में सुप्रीम कोर्ट के अधिकार को कम करने का सीधा प्रयास है. यह निश्चित रूप से भारत के सुप्रीम कोर्ट की अवमानना होगी." 

नेल्ली ने एजी को पत्र लिखकर कहा था कि 14 जनवरी को ट्विटर पर वायरल हुए एक इंटरव्यू में नरसिंहानंद ने 'अपमानजनक टिप्पणी' की है.

नेल्ली की ओर से कहा गया था कि नरसिंहानंद द्वारा की गई टिप्पणियां संस्था की महिमा और भारत के सर्वोच्च न्यायालय में निहित अधिकार को कम करने की कोशिश कर रही हैं, और यह अपमानजनक बयानबाजी के माध्यम से न्याय में हस्तक्षेप करने का एक घृणित और स्पष्ट प्रयास है. यह संविधान और न्यायालयों की अखंडता पर निराधार हमला है.

नरसिंहानंद अपने मुस्लिम विरोधी नफरत भरे भाषणों के कारण सुर्खियों में रहे थे.

(इनपुट भाषा से भी)

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