सुप्रीम कोर्ट ने आज पोलिंग बूथों पर मतदाताओं (Voters Poling Booth) की संख्या किसी भी सूरत में 1500 से ज्यादा नहीं बढ़ाने की गुहार वाली एक जनहित याचिका पर सुनवाई की.सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने याचिकाकर्ता को याचिका की कॉपी चुनाव आयोग को देने और चुनाव आयोग के वकील से इस संबंध में निर्देश लाने को कहा है.अदालत इस मामले पर दिसंबर के पहले हफ्ते में सुनवाई करेगी. याचिकाकर्ता इंदु प्रकाश सिंह के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस आर महादेवन की बेंच के सामने पेश होकर कहा कि कायदे से निर्वाचन आयोग को डेढ़ हजार से ज्यादा मतदाता होने की सूरत में नए बूथ बनाने होते हैं.
सिंघवी और जस्टिस खन्ना की बहस
सिंघवी ने दलील दी कि निर्वाचन आयोग से 7 अगस्त 2024 को जारी निर्देश के मुताबिक प्रति मतदान केंद्र मतदाताओं की संख्या 1200 से बढ़ाकर 1500 कर दी गई है. इस पर जस्टिस संजीव खन्ना ने कहा कि अभी तो मतदाता सूची में संशोधन के लिए कार्यवाही चल रही है और आबादी में घट-बढ़ के आंकड़े जुटाए जा रहे हैं. इसके बाद मतदाता सूची का सत्यापन किया जाता है.अगर जनसंख्या में वृद्धि होती है, तो उसी हिसाब से उसे बूथों में एडजस्ट किया जाता है.
वकील सिंघवी की दलील
- पिछले 43 साल से प्रति मतदान केंद्र मतदाताओं की अधिकतम संख्या 1200 थी
- अब यह 1500 कर दी गई है
- आयोग केवल उचित सीमा तक संख्या बढ़ा सकता है.
- लेकिन मतदान केंद्रों की संख्या बढ़ाना उनके अधिकार क्षेत्र में है.
- दूर दराज से आए मतदाताओं को घंटों तक कतार में खड़ा रहना पड़ता है.
- इससे लोग वोट देने बूथ तक आने से कतराते हैं.
- बूथ पर मतदाताओं की संख्या बढ़ाना वोटरों को हतोत्साहित करने वाला कदम है.
जस्टिस संजीव खन्ना ने क्या कहा
- हम सभी ने मतदान किया है
- आयोग जो करने की कोशिश कर रहा है वह तर्कसंगत है
- आयोग यह नहीं कह रहा है कि हर बूथ पर 1500 मतदाता होंगे
- आप इसे गलत तरीके से पढ़ रहे हैं
मतदाताओं को एडजस्ट करना होता है
इस पर सिंघवी ने तर्क दिया कि आयोग का निर्देश यह कहता है जिस क्षण किसी एक बूथ पर मतदाता 1500 से अधिक हो जाएंगे हम दूसरा उपाय करेंगे. इसलिए हम जो बात कर रहे हैं वह है बूथ. 1500 मतदाता प्रति बूथ तक रहें तो कोई समस्या नहीं है. अगर यह अधिक हो जाता है, तो उनको एक और बूथ बनाकर मतदाताओं को एडजस्ट यानी संतुलित करना होगा.
आयोग डेढ़ हजार से ज्यादा की भीड़ किसी एक बूथ पर बढ़ाकर मतदाताओं को हतोत्साहित नहीं कर सकता.
कृपया नोटिस जारी करने पर विचार करें
जस्टिस खन्ना ने कहा कि आयोग चाहता है कि अधिक से अधिक मतदाता आएं और मतदान का समय कम हो. हम नोटिस जारी नहीं कर रहे हैं. उन्हें एक कॉपी भेजी जाए. सिंघवी ने अपील की कि कृपया नोटिस जारी करने पर विचार करें. इस पर जस्टिस खन्ना ने कहा कि पहले आप एक कॉपी सर्व करें. इसके बाद इसे 2 दिसंबर 2024 से शुरू होने वाले सप्ताह में सूचीबद्ध करने को कहा.जस्टिस खन्ना ने कहा कि मैंने ईवीएम पर उठे सवालों वाले मुकदमे पर अपने फैसले में मैंने आयोग के निर्देश के अनुसार वोट डालने के लिए आवश्यक समय अवधि का उल्लेख किया है.यह मैनुअल, पेपर वोट से थोड़ा अधिक समय लेता है. उनके द्वारा भी चित्र दिया जाता है.
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