विज्ञापन
This Article is From Sep 27, 2013

मतदाताओं को मिला प्रत्याशी खारिज करने का अधिकार

नई दिल्ली: भारतीय मतदाताओं को और सबल बनाते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने शुक्रवार को एक ऐतिहासिक फैसले में कहा कि एक जीवंत लोकतंत्र में मतदाताओं के पास इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) और मतपत्रों पर इनमें से कोई नहीं (एनओटीए) विकल्प के जरिए सभी उम्मीदवारों को खारिज करने के नकारात्मक मतदान का अधिकार होना जरूरी है।

चुनाव आयोग ने कहा कि प्रत्याशी को 'नकारने का अधिकार' विकल्प आसन्न विधानसभा चुनावों में मुहैया कराना व्यवहार्यता का विषय है। यदि चुनाव आयोग ईवीएम में इस विकल्प को शामिल करने में सक्षम हुआ तो इस वर्ष के अंत तक पांच राज्यों में होने जा रहे विधानसभा चुनावों और अगले वर्ष होने वाले आम चुनाव में मतदाताओं को यह विकल्प चुनने का अधिकार मिल जाएगा।

इस प्रावधान के लागू होने के बाद भारत ऐसी व्यवस्था वाले 13 देशों की कतार में खड़ा हो जाएगा। वर्तमान में फ्रांस, बेल्जियम, ब्राजील, यूनान, बांग्लादेश, फिनलैंड, स्वीडन, अमेरिका, कोलंबिया और स्पेन आदि देशों में ऐसी व्यवस्था लागू है। सामाजिक कार्यकर्ताओं और राजनीतिक दलों के नेताओं ने इस फैसले की सराहना की है।

सर्वोच्च न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति पी. सतशिवम और न्यायमूर्ति रंजना प्रकाश देसाई और न्यायमूर्ति रंजन गोगोई की पीठ ने कहा, "एक जीवंत लोकतंत्र में मतदाताओं के पास इनमें से कोई नहीं का विकल्प चुनने का अवसर होना चाहिए। इससे राजनीतिक दलों को स्वस्थ प्रत्याशी चुनने के लिए मजबूर होना पड़ेगा। यह स्थिति स्पष्ट रूप से हमें नकारात्मक मतदान की नितांत जरूरत को दर्शाता है।"

अदालत ने अपने फैसले में कहा, "हम इस नजरिए से सहमत हैं कि नकारात्मक मतदान के अधिकार का प्रावधान किए जाने से राजनीतिक प्रक्रिया में स्वच्छता आएगी और यह खास तौर से बड़े पैमाने पर लोगों की भागीदारी के उद्देश्य को भी पूरा करेगा।"

न्यायालय ने निर्वाचन आयोग को ईवीएम मशीन में एनओटीए के लिए अतिरिक्त बटन और मतपत्र में इस विकल्प का प्रावधान करने का निर्देश दिया। न्यायालय ने इसके साथ ही सरकार से निर्वाचन आयोग को एनओटीए विकल्प पेश करने में हर तरह की मदद देने का भी निर्देश दिया।

मतदाताओं के इनमें से कोई नहीं का अधिकार और गोपनीयता को बरकरार रखते हुए अदालत ने व्यवस्था दी कि चुनाव संचालन नियमावली का 41(2) व (3) और 49-ओ भारतीय जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा 128 और संविधान के अनुच्छेद 19(1)(अ) के विपरीत है। दोनों नियम मतदान की गोपनीयता का उल्लंघन करते हैं।

पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज (पीयूसीएल) ने 2004 में सर्वोच्च न्यायालय में अपील दायर कर कहा था कि जो मतदाता ईवीएम में सूचीबद्ध किसी को वोट नहीं देना चाहते, उन्हें नकारात्मक मतदान का अधिकार होना चाहिए।

सर्वोच्च न्यायालय के फैसले का स्वागत करने वाली पार्टियों ने इसे भारतीय राजनीति पर दूरगामी असर डालने वाला बताया है।

कांग्रेस के मीडिया सेल के प्रमुख अजय माकन ने कहा, "सैद्धांतिक रूप से हमें इससे कोई समस्या नहीं है, लेकिन कुछ मुद्दे हैं जिसके लिए हम पूरे फैसले का अध्ययन करना चाहते हैं।"

गुजरात के मुख्यमंत्री और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रधानमंत्री पद प्रत्याशी नरेंद्र मोदी ने अपने ब्लॉग में कहा है, "मैं पूरे हृदय से इसका स्वागत करता हूं। मुझे पूरा भरोसा है कि इसका हमारी राजनीति पर दूरगामी प्रभाव पड़ेगा।"

आम आदमी पार्टी (आप) के नेता और सामाजिक कार्यकर्ता अरविंद केजरीवाल ने कहा, "हम इस फैसले का स्वागत करते हैं। यह चुनाव सुधार की प्रक्रिया में बड़ा कदम है, लेकिन यह सिर्फ पहला कदम है।"

बहुजन समाज पार्टी (बसपा) प्रमुख मायावती ने संवाददाताओं से कहा, "हम फैसले का स्वागत करते हैं। बाबासाहेब अंबेडकर हमेशा इसके पक्ष में थे।"

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
Previous Article
Cyclone Dana : कहां-कहां होगा तूफान का असर, निपटने की क्या हैं तैयारी? जानिए 10 बड़ी बातें
मतदाताओं को मिला प्रत्याशी खारिज करने का अधिकार
बाबा वेंगा की भविष्यवाणियां... 2025 में तबाही शुरू, 2043 में मुस्लिम शासन... जानिए कितनी हुईं सच
Next Article
बाबा वेंगा की भविष्यवाणियां... 2025 में तबाही शुरू, 2043 में मुस्लिम शासन... जानिए कितनी हुईं सच
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com