सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
किसी फिल्म या सांस्कृतिक कार्यक्रम के विरोध में हिंसक भीड़ से सरकारी या निजी संपत्ति को होने वाले नुकसान पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर किसी व्यक्ति या समूह के उकसाने, पहल या किसी अन्य कारणों की वजह से सांस्कृतिक कार्यक्रमों के खिलाफ हिंसा हो और उस हिंसा की वजह से किसी की जान चली जाए या प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से संपत्तियों का नुकसान हो तो उन्हें हिंसा पीड़ित को मुआवजा देना होगा. सुप्रीम कोर्ट ने पब्लिक नैतिकता के 'ठेकेदार समूहों द्वारा की जाने वाली 'भीड़ हिंसा और सार्वजनिक संपत्तियों को नुकसान पहुंचाने की घटनाओं से निपटने के लिए राज्य सरकार को जिला स्तर पर रैपिड रिस्पांस टीम का गठन करने के लिए कहा है. जिससे कि बिना किसी देरी किए इस तरह की हिंसा पर काबू पाया जा सके.
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चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने सभी राज्यों को भीड़ हिंसा से निपटने के लिए विशेष हेल्पलाइन का गठन करने के लिए कहा है. साथ ही राज्य पुलिस को वेबसाइट पर साइबर इंफॉरमेंशन पोर्टल के जरिए भीड़ हिंसा और निजी व सार्वजनिक संपत्तियों को नुकसान पहुंचाने की घटनाओं का रिकार्ड रखने के लिए कहा है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर किसी व्यक्ति या समूह के प्रवक्ता या सोशल मीडिया के जरिए प्रत्यक्ष या प्रत्यक्ष रूप से हुई हिंसा के कारण संपत्तियों का नुकसान हुआ हो तो उनके खिलाफ कानून कार्रवाई होनी चाहिए.
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सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि किसी समूह या संगठन द्वारा आयोजित धरना या प्रदर्शन से हिंसा हो या संपत्तियों का नुकसान हो तो उस समूह या संगठन केनेताओं से घटना के 24 घंटे के भीतर थाने में पूछताछ होनी चाहिए. इसकेअलावा सुप्रीम कोर्ट ने कई अन्य निर्देश जारी करते हुए केंद्र व राज्यों सरकारों को आठ हफ्ते के भीतर इन निर्देशों का पालन करने के लिए कहा है. साथ ही हिंसा के कारण संपत्तियों का नुकसान होने पर पुलिस को एफआईआर दर्ज करनी चाहिए और तय समय के भीतर जांच पूरी कर रिपोर्ट देनी होगी. इसमें कोताही बरतने वाले पुलिस अधिकारियों केखिलाफ विभागीय कार्रवाई शुरू की जा सकती है.
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सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा है कि जमानत देते वक्त निचली अदालतें मुआवजे की राशि को ध्यान में रखते हुए आरोपियों से उतनी राशि का बॉन्ड ले सकते हैं जितने का नुकसान हुआ है. बता दें कि ये चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा का आखिरी कार्यदिवस था और आखिरी बड़ा फैसला भी. बेंच में चीफ जस्टिस के अलावा जस्टिस ए एम खानविलकर और जस्टिस डीवाई चंद्रचूड शामिल थे.
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चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने सभी राज्यों को भीड़ हिंसा से निपटने के लिए विशेष हेल्पलाइन का गठन करने के लिए कहा है. साथ ही राज्य पुलिस को वेबसाइट पर साइबर इंफॉरमेंशन पोर्टल के जरिए भीड़ हिंसा और निजी व सार्वजनिक संपत्तियों को नुकसान पहुंचाने की घटनाओं का रिकार्ड रखने के लिए कहा है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर किसी व्यक्ति या समूह के प्रवक्ता या सोशल मीडिया के जरिए प्रत्यक्ष या प्रत्यक्ष रूप से हुई हिंसा के कारण संपत्तियों का नुकसान हुआ हो तो उनके खिलाफ कानून कार्रवाई होनी चाहिए.
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सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि किसी समूह या संगठन द्वारा आयोजित धरना या प्रदर्शन से हिंसा हो या संपत्तियों का नुकसान हो तो उस समूह या संगठन केनेताओं से घटना के 24 घंटे के भीतर थाने में पूछताछ होनी चाहिए. इसकेअलावा सुप्रीम कोर्ट ने कई अन्य निर्देश जारी करते हुए केंद्र व राज्यों सरकारों को आठ हफ्ते के भीतर इन निर्देशों का पालन करने के लिए कहा है. साथ ही हिंसा के कारण संपत्तियों का नुकसान होने पर पुलिस को एफआईआर दर्ज करनी चाहिए और तय समय के भीतर जांच पूरी कर रिपोर्ट देनी होगी. इसमें कोताही बरतने वाले पुलिस अधिकारियों केखिलाफ विभागीय कार्रवाई शुरू की जा सकती है.
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सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा है कि जमानत देते वक्त निचली अदालतें मुआवजे की राशि को ध्यान में रखते हुए आरोपियों से उतनी राशि का बॉन्ड ले सकते हैं जितने का नुकसान हुआ है. बता दें कि ये चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा का आखिरी कार्यदिवस था और आखिरी बड़ा फैसला भी. बेंच में चीफ जस्टिस के अलावा जस्टिस ए एम खानविलकर और जस्टिस डीवाई चंद्रचूड शामिल थे.
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