सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को बिहार सरकार से सवाल किया कि राज्य में मद्यनिषेध कानून लागू किए जाने से पहले क्या उसने कोई अध्ययन किया था या इसके बाद शराब की खपत घट जाने का उसके पास कोई आंकड़ा है.
कोर्ट ने कहा कि हालांकि, वो इस कानून को लेकर राज्य सरकार की मंशा पर सवाल नहीं उठा रहा है, लेकिन वो (न्यायालय) इस बारे में चिंतित है कि उसके पास काफी संख्या में जमानत के लिए अर्जियां आ रही हैं, जिसका एक बड़ा हिस्सा मद्यनिषेध कानून से संबद्ध है.
न्यायमूर्ति के. एम. जोसेफ, न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी और न्यायमूर्ति बी. वी. नागरत्ना की पीठ ने बिहार के मधुबनी जिला निवासी अनिल कुमार नाम के एक व्यक्ति को अग्रिम जमानत देते हुए राज्य सरकार से ये सवाल किया. कुमार के वाहन से 2015 में कथित तौर पर 25 लीटर से अधिक शराब बरामद की गई थी.
शीर्ष न्यायालय ने राज्य सरकार के वकील की दलील खारिज कर दी, जिसमें कुमार की अग्रिम जमानत अर्जी का विरोध किया गया था.
पीठ ने राज्य सरकार के वकील से सवाल किया, ‘‘क्या आप जानते हैं कि कितनी संख्या में बिहार से जमानत अर्जियां इस न्यायालय में आ रही हैं? इन जमानत अर्जियों का एक बड़ा हिस्सा राज्य के मद्यनिषेध अधिनियम से संबद्ध है. क्या कोई अध्ययन किया गया है या यह प्रदर्शित करने के लिए कोई अनुभवजन्य आंकड़ा है कि मद्यनिषेध अधिनियम के चलते राज्य में शराब की खपत घट गई है?''
न्यायमूर्ति जोसेफ ने कहा, ‘‘हम कानून लगने की आपकी मंशा पर सवाल नहीं उठा रहे हैं, बल्कि इस न्यायालय में आ ही जमानत अर्जियों के बारे में सत्यता से आपको अवगत करा रहे हैं. यह न्यायिक प्रणाली पर एक बोझ डाल रहा है. कोई अध्ययन किए बगैर कानून बनाने पर यही होता है.''
राज्य सरकार के वकील ने जब आरोप लगाया कि कुमार के वाहन से भारी मात्रा में विदेशी शराब बरामद की गई थी, न्यायमूर्ति मुरारी ने कहा, ‘‘क्या आपको लगता है कि 25 लीटर शराब बहुत अधिक मात्रा है? तब आप पंजाब की यात्रा क्यों करते?''
कुमार की ओर से पेश हुए अधिवक्ता प्रदीप यादव ने दलील दी कि उनके मुवक्किल को मामले में फंसाया गया है क्योंकि उनकी कार उनके नाम पर पंजीकृत थी और दावा किया कि शराब की बरामदगी के समय वह वाहन में नहीं थे.
उन्होंने कहा, ‘‘उनके (कुमार के) खिलाफ मामला तीन नवंबर 2015 को दर्ज किया गया था.'' पीठ ने कुमार को अग्रिम जमानत देते हुए कहा कि मामले में उसकी गिरफ्तारी की स्थिति में उसे जमानत पर रिहा किया जाएगा. कुमार ने पटना उच्च न्यायालय के 16 दिसंबर 2022 आदेश को शीर्ष न्यायालय में चुनौती दी थी. उच्च न्यायालय ने उसकी अग्रिम जमानत अर्जी खारिज कर दी थी. वहीं, इससे पहले निचली अदालत ने मामले में उसकी जमानत अर्जी 20 सितंबर 2022 को खारिज कर दी थी.
यह भी पढ़ें -
-- JDU ने सुझाया OSOC फार्मूला, क्या 2024 में विपक्ष नामुमकिन को मुमकिन बना सकता है?
-- Explainer: जानें क्या है 2024 लोकसभा चुनाव के लिए JDU का OSOC फार्मूला?
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं