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This Article is From Aug 10, 2018

आरुषि हत्याकांड : सुप्रीम कोर्ट ने तलवार दंपति को बरी करने के फैसले के खिलाफ CBI की याचिका मंजूर की

उच्चतम न्यायालय 2008 के आरूषि हत्याकांड में दंत चिकित्सक राजेश तलवार और नूपुर तलवार को बरी करने के फैसले के खिलाफ सीबीआई की अपील पर सुनवाई के लिये सहमत.

आरुषि हत्याकांड : सुप्रीम कोर्ट ने तलवार दंपति को बरी करने के फैसले के खिलाफ CBI की याचिका मंजूर की
तलवार दंपति (फाइल फोटो)
नई दिल्ली: वर्ष 2008 के बहुचर्चित आरुषि तलवार - हेमराज हत्याकांड में डॉक्टर दंपति राजेश तथा नूपुर तलवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा बरी किए जाने के फैसले खिलाफ CBI खी अपील को सुप्रीम कोर्ट ने स्वीकार कर लिया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सीबीआई की अपील पर तलवार दंपत्ति के घरेलू सहायक हेमराज की पत्नी की अपील के साथ सुनवाई होगी. कोर्ट ने पिछले साल अक्टूबर में रिहा कर दिए गए आरुषि के माता-पिता को नोटिस भी जारी कर दिया है.

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घरेलू नौकर हेमराज की पत्नी ने भी डेंटिस्ट दंपति को बरी किए जाने के विरुद्ध अपील की थी. बता दें कि बाद में हेमराज भी मृत पाया गया था. पिछले साल 12 अक्टूबर को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने रिकॉर्ड में उपलब्ध सबूतों के आधार पर राजेश-नूपुर को बरी करते हुए CBI की विशेष अदालत के फैसले को पलट दिया था, जिसमें उन्हें दोषी करार देकर उम्रकैद की सज़ा सुनाई गई थी.

CBI ने इसी साल मार्च में इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी. CBI ने सुप्रीम कोर्ट में दलील दी है कि हाईकोर्ट द्वारा राजेश और नूपुर तलवार को निर्दोष साबित करने का जो फैसला दिया गया, उसे कई मायनों में गलत साबित किया जा सकता है. CBI ने याचिका में कहा कि हाईकोर्ट के आदेश में कई खामियां हैं. 

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CBI के मुताबिक, निचली अदालत ने जो फैसला दिया था, वह अच्छी तरह विचार कर दिया गया था. CBI ने कहा कि जिन परिस्थितिजन्य सबूतों के आधार पर निचली अदालत ने फैसला दिया था, उन्हें अनदेखा नहीं किया जा सकता. CBI ने कहा कि इस तरह के मर्डर केस में वे अहम सबूत होते हैं. जिन गवाहों के बयानों पर CBI ने भरोसा नहीं किया, हाईकोर्ट ने उन्हीं की बात मानी. जिन पर CBI ने भरोसा किया, उन्हें हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया.

गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश पुलिस ने राजेश तलवार पर उसकी बेटी की हत्या का आरोप लगाया था. राजेश तलवार को 23 मई 2008 को गिरफ्तार किया गया था. बाद में, 31 मई 2008 को सीबीआई ने इस मामले को अपने हाथ में ले लिया और शुरुआत में आरुषि के माता-पिता को बरी कर दिया, फिर बाद में दोनों को हत्याओं के लिए इन्हें दोषी ठहराया.

13 जून 2008 को राजेश तलवार के कंपाउंडर कृष्णा को गिरफ्तार किया गया. 10 दिन बाद, तलवार के दोस्त के नौकर राज कुमार और विजय मंडल को गिरफ्तार किया गया. सबूत नहीं मिलने के बाद तीनों को रिहा कर दिया गया था.

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