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क्‍या आप गलवान में थे? राहुल गांधी को सुप्रीम कोर्ट की फटकार! पढ़ें 5 सख्‍त टिप्‍पणियां

राहुल गांधी की टिप्पणियों पर और अधिक नाराजगी व्यक्त करते हुए, जस्टिस दत्ता ने पूछा, 'डॉ सिंघवी को बताएं, आपको कैसे पता चला कि 2000 वर्ग किलोमीटर भारतीय क्षेत्र पर चीनियों का कब्जा हो गया था?'

क्‍या आप गलवान में थे? राहुल गांधी को सुप्रीम कोर्ट की फटकार! पढ़ें 5 सख्‍त टिप्‍पणियां
  • चीन के साथ गलवान घाटी में सेना के संघर्ष पर राहुल गांधी की की गई टिप्पणियों को सुप्रीम कोर्ट ने अनुचित बताया.
  • जज दीपांकर दत्ता ने पूछा कि राहुल गांधी को भारतीय क्षेत्र पर चीनी कब्जे की जानकारी कैसे और किस आधार पर मिली.
  • राहुल के अधिवक्ता सिंघवी की दलीलों पर कोर्ट ने सवाल खड़े किए और कहा कि सवाल उठाने के लिए अलग उचित मंच है.
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नई दिल्‍ली:

सुप्रीम कोर्ट ने विपक्ष के नेता राहुल गांधी के खिलाफ 2020 में चीन के साथ हुए गलवान घाटी संघर्ष के संदर्भ में भारतीय सेना के बारे में की गई उनकी टिप्पणियों को लेकर सख्‍त टिप्‍पणियां की हैं. हालांक‍ि अंतरिम राहत के तौर पर इस केस से जुड़े आपराधिक मानहानि मामले में चल रही कार्यवाही पर कोर्ट ने फिलहाल रोक लगा दी है. लेकिन सुनवाई के दौरान जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस एजी मसीह की पीठ ने राहुल गांधी पर नाराजगी जाहिर की और मौखिक रूप से काफी सख्‍त टिप्पणियां कीं.
  
राहुल गांधी की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता डॉ अभिषेक मनु सिंघवी ने राहुल गांधी के पक्ष में काफी दलीलें दीं, लेकिन जस्टिस दत्ता ने उनकी हर दलील पर सवाल खड़े किए. उन्‍होंने स्‍पष्‍ट तौर पर कहा कि सवाल उठाने के लिए एक उचित मंच है. जजों की पीठ ने एक भारतीय के रूप में उनकी टिप्‍पणी को अनुचित बताया. ये सवाल भी उठाया कि राहुल गांधी को आखिर भारतीय हिस्‍से पर चीनी कब्‍जे वाली बात पता कैसे चली, क्‍या उनके पास प्रमाण हैं. आइए जानते हैं, कोर्ट ने राहुल गांधी पर क्‍या सख्‍त टिप्‍पणियां की. 

'संसद में क्‍यों नहीं कहते?'

सिंघवी की इस दलील पर कि अगर एक विपक्षी नेता को मुद्दे उठाने की अनुमति नहीं है, तो यह एक दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति होगी... जस्टिस दत्ता ने पूछा, 'आपको (राहुल गांधी) जो कुछ भी कहना है, आप संसद में क्यों नहीं कहते? आपको सोशल मीडिया पोस्ट में यह सब क्यों कहना पड़ता है?' सिंघवी ने कहा था कि अगर वह राहुल गांधी) प्रेस में प्रकाशित होने वाली इन बातों को नहीं कह सकते तो वह विपक्ष के नेता नहीं हो सकते.' इसी बात पर कोर्ट ने सख्‍त टिप्‍पणी की. 

'कैसे पता चला-चीन का कब्‍जा है?'

राहुल गांधी की टिप्पणियों पर और अधिक नाराजगी व्यक्त करते हुए, जस्टिस दत्ता ने पूछा, 'डॉ सिंघवी को बताएं, आपको कैसे पता चला कि 2000 वर्ग किलोमीटर भारतीय क्षेत्र पर चीनियों का कब्जा हो गया था? क्या आप वहां मौजूद थे? क्या आपके पास कोई विश्वसनीय सामग्री है? 

'अगर आप सच्‍चे भारतीय होते...'

जस्टिस दत्ता ने आगे कहा, 'क्‍या आपके पास कोई विश्‍वसनीय सामग्री (Credible Material) है? आप बिना किसी... अगर आप एक सच्चे भारतीय होते तो आप यह सब नहीं कहते.' इस पर सिंघवी ने कहा, 'यह भी संभव है कि एक सच्चा भारतीय ये कहेगा कि हमारे 20 भारतीय सैनिकों को पीटा गया और ये चिंता का विषय है.' 

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जस्टिस दत्ता ने ये भी पूछा कि  क्‍या जब सीमा पर संघर्ष होता है, तो दोनों तरफ हताहतों का होना असामान्य है?' बता दें कि भारतीय सेना ने भी 9 दिसंबर 2022 को हुई इस घटना को लेकर बयान जारी किया था, जिसमें सेना ने चीनी सैनिकों के साथ झड़प होने की बात कही थी, लेकिन पिटाई या हताहत होने की बात नहीं थी. याचिकाकर्ता ने राहुल गांधी के बयान को आधारहीन और अपमानजनक बताते हुए आपत्ति जताई थी. 

सिंघवी ने कहा कि गांधी केवल उचित खुलासे और जानकारी को दबाने के बारे में चिंता जता रहे थे, लेकिन जस्टिस दत्ता ने कहा कि सवाल उठाने के लिए एक उचित मंच है. 

सिंघवी ने दलील दी कि BNSS की धारा 223 के अनुसार, आपराधिक शिकायत पर संज्ञान लेने से पहले आरोपी की सुनवाई अनिवार्य थी, जिसका इस मामले में पालन नहीं किया गया. हालांकि, जस्टिस दत्ता ने बताया कि धारा 223 का ये मुद्दा हाई कोर्ट के समक्ष नहीं उठाया गया था. सिंघवी ने स्वीकार किया कि इस बिंदु को उठाने में चूक हुई थी. 

सुप्रीम कोर्ट की पीठ इस बिंदु पर विचार करने के लिए सहमत हुई और राहुल गांधी की विशेष अनुमति याचिका पर नोटिस जारी किया. इस नोटिस में इलाहाबाद हाई कोर्ट के उस फैसले को चुनौती दी गई थी, जिसमें कार्यवाही को रद्द करने से इनकार कर दिया गया था. फिलहाल तीन सप्ताह की अवधि के लिए अंतरिम रोक लगा दी गई है.  

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने भी की थी सख्‍त टिप्‍पणी 

29 मई को इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने गांधी की याचिका को खारिज कर दिया था, जिसमें उन्‍होंने मानहानि मामले के साथ-साथ फरवरी 2025 में लखनऊ की एक एमपी/एमएलए कोर्ट द्वारा पारित समन आदेश को चुनौती देते हुए हाई कोर्ट का रुख किया था. हाई कोर्ट के जस्टिस सुभाष विद्यार्थी ने टिप्पणी की थी कि अभिव्‍यक्ति की आजादी की भी कुछ सीमाएं होती हैं और इसमें भारतीय सेना को बदनाम करने वाले बयान देने की आजादी शामिल नहीं है. 

बता दें कि सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) के पूर्व निदेशक उदय शंकर श्रीवास्तव ने राहुल के खिलाफ मानहानि की शिकायत दायर की थी. शिकायत में कहा गया है कि 9 दिसंबर 2022 को भारतीय और चीनी सेनाओं के बीच हुई झड़प से संबंधित गांधी की आपत्तिजनक टिप्पणियों ने भारतीय सेना को बदनाम किया था. आरोप लगाया गया है कि गांधी ने बार-बार बहुत अपमानजनक तरीके से कहा था कि चीनी सेना अरुणाचल प्रदेश में हमारे सैनिकों को 'पीट रही है', और भारतीय प्रेस इस संबंध में कोई सवाल नहीं पूछेगी. इसके बाद राहुल गांधी ने हाई कोर्ट का रुख किया था. 

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