एक महीने बाद सुखना झील का किनारा फिर से जी उठा है। चंडीगढ़ प्रशासक के सलाहकार विजय देव ने बैंड बाजे के बीच घने कोहरे के बीच सुखना को फिर से खोलने का ऐलान किया। 18 दिसंबर को सुखना झील की बतख में बर्ड फ्लू की पुष्टि हुई थी जिसके बाद धरा 144 के तहत सुखना को एक महीने के लिए बंद कर दिया गया था।
बर्ड फ्लू के चलते सुखना की करीब 100 बतखों को मारकर झील के बीच बने द्धीप पर दफ़न कर दिया गया था। एहतियात के तौर पर सुखना के आसपास के तीन किलोमीटर इलाके के सभी घरों का सर्वे कराया गया। खुशकिस्मती से चंडीगढ़ में एक भी बर्ड फ्लू संक्रमण का मामला सामने नहीं आया।
बहरहाल, अब झील को छोड़ कर सुखना के बाकी हिस्से आम जनता के लिए खोल दिए गए हैं। सुबह और शाम को सैर करने वाले फिर से जॉगर्स ट्रैक का इस्तेमाल कर सकेंगे। सुखना के रेस्टोरेंट को भी खोल दिया है। हालांकि झील तक जाने की इजाज़त फिलहाल किसी को नहीं होगी। झील में अभी साइबेरिया और उत्तरी ध्रुव के इलाकों से पंक्षी आ रहे हैं जिनसे बर्ड फ्लू का खतरा बना हुआ है लिहाजा मार्च के बाद ही झील को खोला जाएगा। एहतियातन, प्रशासन ने झील तक जाने वाली सीढ़ियों पर बैरिकेड लगा दिए हैं। झील में बोटिंग भी बंद रहेगी।
बर्ड फ्लू संक्रमण के बाद अब सुखना झील में बतखें नहीं पाली जाएंगी। सुखना की पुरानी रंगत लौटने के लिए कोशिश शुरू हो गई है। पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए चंडीगढ़ प्रशासन एक्शन प्लान तैयार कर रहा है। चंडीगढ़ की लाइफलाइन कही जाने वाली सुखना झील पर सैर का सुख 33 दिन बाद मुमकिम हो पाया है।
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