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This Article is From Oct 07, 2023

सर्दियों से पहले पंजाब में फिर जलाई जाने लगी पराली, दिल्ली में प्रदूषण बढ़ने के आसार

पंजाब के किसान खेतों में फिर से फसलों के अवशेष जलाने लगे, दिल्ली एनसीआर में जहरीली होने लगी हवा

सर्दियों से पहले पंजाब में फिर जलाई जाने लगी पराली, दिल्ली में प्रदूषण बढ़ने के आसार
सितंबर और अक्टूबर में पराली जलाने के 845 मामले सामने आए.
नई दिल्ली:

सर्दियों से पहले पंजाब के खेत जली हुई पराली (Stubble) से फिर काले हो गए हैं. हवा में धुंआ मंडराने लगा है जो वातावरण को प्रदूषित कर रहा है. दिल्ली में आम आदमी पार्टी (AAP) सरकार ने 2021 में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) में वायु प्रदूषण (Delhi air pollution) के पीछे पंजाब के खेतों में पराली जलाए जाने को जिम्मेदार ठहराया था.

इसके एक साल बाद 'आप' पंजाब में सत्ता में आई और उसने वादा किया कि वह पराली जलाने पर नियंत्रण लगाएगी. अब दो साल बाद दिल्ली के इस सीमावर्ती राज्य में पराली जलाना फिर से शुरू हो गया है.

सूत्रों ने कहा कि AAP ने खेतों में फसलों के अवशेष में आग लगाने का सिलसिला फिर शुरू न हो यह सुनिश्चित करने के लिए कोई प्रभावी कदम नहीं उठाए हैं.

पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान, जो खुद को "किसान का बेटा" कहते हैं, ने किसान नेताओं से मुलाकात करके उन्हें पराली न जलाने के लिए मनाया था. उन्होंने दावा किया था कि पंजाब में कई पंचायतों ने फसल अवशेष जलाने के खिलाफ प्रस्ताव भी पारित किया है.

केजरीवाल ने पराली जलाने की घटनाएं कम होने का दावा किया था

दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी प्रमुख अरविंद केजरीवाल ने पिछले साल कहा था, "मुझे उम्मीद है कि अगले साल से पराली जलाने की घटनाओं में कमी आएगी. हम यह सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाएंगे. हमारी दोनों सरकारें पंजाब में पराली जलाने के लिए जिम्मेदार हैं."

केजरीवाल ने कहा है कि इस साल पराली जलाने के मामलों में काफी गिरावट आई है. लेकिन पंजाब के किसान कटाई के बाद फिर से फसलों के अवशेष जलाने लगे हैं.  कई किसानों ने कहा है कि बेलर और सीडर्स जैसी क्रशिंग मशीनों से पराली खत्म करने का लक्ष्य अभी अधूरा है.

वायु प्रदूषण नहीं फैलाना चाहते किसान

फसलों में बदलाव के लिए मान का आह्वान भी मददगार नहीं रहा है क्योंकि किसानों के लिए वैकल्पिक फसलें अभी भी महंगी हैं. किसानों का कहना है कि वे वायु प्रदूषण के पक्ष में नहीं हैं, बल्कि वे भी इस खतरे के शिकार हैं.

हालांकि पिछले दो वर्षों में खेतों में आग लगाने की घटनाओं में कमी आई है, फिर भी पिछले साल 30,000 एकड़ से अधिक भूमि में पराली में आग लगाई गई थी. पिछले दो वर्षों में खेत में आग के सैकड़ों मामले दर्ज किए गए थे. साल 2021 में 320, साल 2022 में 630 और इस साल अब तक 845 केस दर्ज किए गए हैं.

सितंबर-अक्टूबर के बीच पराली जलाने के 845 मामले

इस साल सितंबर और अक्टूबर के बीच पराली जलाने के मामलों की संख्या 845 तक पहुंच गई है, जो पिछले साल 600 से भी कम थी. दिल्ली की वायु गुणवत्ता "खराब" से "बहुत खराब" श्रेणी में आ गई है और पार्टिकुलेट मैटर PM2.5 का स्तर विश्व स्वास्थ्य संगठन की सुरक्षित सीमा से 60 गुना अधिक है.

ग्रेडेड एक्शन रिस्पॉन्स प्लान (GARP) स्तर-1 लागू हो गया है और दिल्ली में इसका प्रभाव स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहा है. आपातकालीन प्रदूषण योजना के पहले चरण में कोयले और जलाऊ लकड़ी पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया गया है और दिल्ली में ट्रकों के यातायात पर रोक लगा दी गई है.

दिल्ली में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) सुबह 9 बजे 231 दर्ज किया गया. शून्य और 50 के बीच AQI को 'अच्छा', 51 और 100 के बीच 'संतोषजनक', 101 और 200 के बीच 'मध्यम', 201 और 300 के बीच 'खराब', 301 और 400 के बीच 'बहुत खराब' और 401 और 500 के बीच 'गंभीर' माना जाता है.

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