अमेरिकी वैज्ञानिकों (US scientists) ने कोरोना के गंभीर रोगियों के इलाज में स्टेरॉयड को प्रभावी पाया है और इसके सावधानीपूर्वक इस्तेमाल की सिफारिश की है. अमेरिकी शोधकर्ताओं के अनुसार, Covid-19 के गंभीर मरीजों की रोग प्रतिरोधक क्षमता पर सबसे ज्यादा असर पड़ता है. ऐसे मरीजों के इलाज में डेक्सामेथासोन (Dexamethason) जैसी स्टेरॉयड दवाओं को स्थिति देखते हुए इस्तेमाल किया जाना चाहिए.
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वैज्ञानिकों का कहना है कि कई तरह के स्टेरॉयड कोरोना वायरस के गंभीर मरीजों के इलाज में कारगर है और इससे जान जाने का जोखिम बहुत हद तक कम किया जा सकता है. अमेरिका में सेंट जूड चिल्ड्रन रिसर्च अस्पताल के वैज्ञानिकों और अन्य वैज्ञानिकों ने कोविड-19 से ग्रस्त 168 वयस्कों, फ्लू के 26 वयस्कों और 16 स्वस्थ स्वयंसेवियों में प्रतिरक्षा प्रणाली प्रोटीन साइटोकिन्स और अन्य स्वास्थ्य मानकों के स्तर का आकलन किया. कोविड-19 के 90 प्रतिशत से अधिक मरीज अस्पताल में भर्ती थे जबकि आधे से अधिक फ्लू रोगियों को इलाज के लिए भर्ती कराया गया था और 35 प्रतिशत आईसीयू में थे.‘
जर्नल साइंस एडवांस' में शोध प्रकाशित हुआ है. वैज्ञानिकों के अनुसार कोविड-19 रोगियों में से पांच प्रतिशत से कम (ज्यादातर गंभीर रूप से बीमार व्यक्ति) को साइटोकिन स्टॉर्म सिंड्रोम के रूप में जानने वाले ‘हाइपरइन्फ्लेमेटरी' इम्यूनिटी रिस्पांस के लक्षण थे. ऐसे में जब हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता ज़रूरत से ज़्यादा सक्रिय होकर रोगों से लड़ने के बजाय हमारे शरीर को ही नुकसान पहुंचाने लगती है, तो उसे ‘साइटोकाइन स्टॉर्म' कहते हैं. हालांकि डेक्सामेथासोन और अन्य स्टेरॉयड की साइटोकिन स्टॉर्म इलाज के लिए सिफारिश की जाती है लेकिन उन मरीजों में ये दवाएं उल्टा असर कर सकती हैं जिनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता पहले ही कमजोर हो चुकी है.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं