सुप्रीम कोर्ट
नई दिल्ली:
पैंगबर मोहम्मद पर अमर्यादित टिप्पणी करने के आरोपी कमलेश तिवारी पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) हटाने के खिलाफ दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने कमलेश तिवारी को नोटिस जारी किया है. उत्तर प्रदेश सरकार ने हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनोती दी है. इससे पहले हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने पैगंबर मोहम्मद के खिलाफ कथित रूप से अमर्यादित टिप्पणी करने पर हिन्दू महासभा के कार्यकारी अध्यक्ष कमलेश तिवारी के लिखाफ लगाए गए राष्ट्रीय सुरक्षा कानून को चुनौती देने के मामले में सपा सरकार को तगड़ा झटका दिया था.
कोर्ट ने राज्य सरकार द्वारा कमलेश तिवारी पर 9 दिसम्बर 2015 को लगाया गया राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) रद्द कर दिया है. हाई कोर्ट ने कहा कि निरूद्ध आदेश अवैध है. क्योंकि सरकार ने रासुका की धारा 3 की उपधारा 3 का उल्लंघन करते हुए एक ही बार में कमलेश के एक वर्ष के लिए निरूद्ध करने का आदेश पारित कर दिया, जबकि नियमतः सरकार अधिकतम 3 माह के लिए ही निरूद्ध आदेश पारित कर सकती थी. उसके बाद पुनः परिस्थतियों का आंकलन कर निरुद्ध सीमा को बढ़ा सकती थी.
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कोर्ट ने उपरोक्त आदेश कमलेश की पत्नी किरन तिवारी द्वारा उनके खिलाफ डीएम द्वारा पारित 9 दिसम्बर के निरुद्ध आदेश के चुनौती देते हुए दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका को स्वीकार करते हुए पारित किया. राज्य सरकार ने पैगम्बर मोहम्मद साहब के बारे में कथित रूप से अमर्यादित टिप्पणी करने पर कमलेश तिवारी के खिलाफ पहले प्राथमिकी दर्ज की और बाद में उनके खिलाफ रासुका भी लगा दिया.
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डीएम ने 9 दिसम्बर 2015 को रासुका लगाई. एडवाइजरी बोर्ड ने सरकार की कार्यवाही को उचित मानकर अपनी संस्तुति दे दी. बाद में राज्य सरकार ने 29 जनवरी 2016 को रासुकी के तहत निरूद्धि की समय सीमा 9 दिसम्बर 2015 से अगले एक साल के लिए बढ़ा दी.
कोर्ट ने राज्य सरकार द्वारा कमलेश तिवारी पर 9 दिसम्बर 2015 को लगाया गया राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) रद्द कर दिया है. हाई कोर्ट ने कहा कि निरूद्ध आदेश अवैध है. क्योंकि सरकार ने रासुका की धारा 3 की उपधारा 3 का उल्लंघन करते हुए एक ही बार में कमलेश के एक वर्ष के लिए निरूद्ध करने का आदेश पारित कर दिया, जबकि नियमतः सरकार अधिकतम 3 माह के लिए ही निरूद्ध आदेश पारित कर सकती थी. उसके बाद पुनः परिस्थतियों का आंकलन कर निरुद्ध सीमा को बढ़ा सकती थी.
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डीएम ने 9 दिसम्बर 2015 को रासुका लगाई. एडवाइजरी बोर्ड ने सरकार की कार्यवाही को उचित मानकर अपनी संस्तुति दे दी. बाद में राज्य सरकार ने 29 जनवरी 2016 को रासुकी के तहत निरूद्धि की समय सीमा 9 दिसम्बर 2015 से अगले एक साल के लिए बढ़ा दी.
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