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This Article is From Jun 03, 2022

बेंगलुरू के Sparrow Man के तौर पर पहचाने जाते हैं एडविन जोसेफ

गोरैया आखिर कहां चली गई हैं? एडविन जोसेफ उनकी कमी बेहद महसूस करते हैं. शहर के अपने घर में वे रोज आती रहें, यह सुनिश्चित करने के लिए वे हरसंभव प्रयास कर रहे हैं.

एडविन जोसेफ की पहचान बेंगलुरू के Sparrow Man के रूप में है

बेंगलुरू:

एडविन जोसेफ (Edwin Joseph) को बेंगलुरू के 'स्‍पैरो (गोरैया) मैन' के रूप में जाना जाता है. वे उन पक्षियों को शिद्दत से याद करते हैं जो एक समय इस आईटी शहर में हजारों की संख्‍या में पाई जाती थीं लेकिन अब कभी-कभी ही नजर आती हैं. जोसेफ ने अपने घर को छोटे-छोटे पक्षियों के लिए सुरक्षित आशियाना बना दिया है और यह भी चाहते हैं कि हर कोई शहर में गोरैया (Sparrow)की चहचहाहट फिर से सुनाई देने के लिए मदद करे. सेवानिवृत्‍त सरकारी अधिकारी एडविन, रोज यह सुनिश्चित करते हं कि उनका घर, इस 'चहेते गेस्‍ट' की अगवानी के लिए तैयार रहे. इसके लिए वे विशेष तौर पर अनाज खरीदते हैं. जो गोरैया लंबे समय उनके घर में रुकना चाहती हैं उनके लिए एडविन ने टेराकोटा के घोंसले भी लटका रखे हैं. जब वे गोरैया की 'अगवानी' के लिए इतने जतन करते हैं तो उनका आमंत्रण तो स्‍वीकार होना ही है. छोटी गोरैया भले ही इन दिनों बेंगलुरू में दुर्लभ हों लेकिन एडविन के घर में यह 'विशेष अतिथि' रोजाना आते हैं.

एडविन ने NDTV को बताया, "मैं बचपन और युवावस्‍था में बेंगलुरू में बड़ी संख्‍या में गोरैया देखा करता था. यहां तक कि शादी के बाद भी हमारे बेडरूम के अंदर एक घोंसला था. उन दिनों हम टाइल वाले घर में रहते थे. अब बेंगलुरू शहर कंक्रीट के जंगल में तब्‍दील होता जा रहा है, पेड़ों को काटा जा रहा है. झीलें गायब हो रही हैं." वे कहते हैं कि इन सभी बदलावों ने शहर को गोरैया और अन्‍य वन्‍य जीवों के रहने लायक नहीं छोड़ा है.

एडविन कहते हैं, "पक्षियों के पीने के लिए पानी नहीं है. यहां तक कि जानवरों को भी मुश्किल का सामना करना पड़ा है. पेड़ों के नहीं होने से उन्‍हें खाना और रहने का ठिकाना नहीं मिलता. पानी नहीं है जो सबसे, सबसे ज्‍यादा महत्‍वपूर्ण है." एडविन और उनकी स्‍वर्गीय पत्‍नी साराह इसमें मदद करना चाहते थे. एडविन बताते हैं, "हमने सोचा, हम उन्‍हें यह सब उपलब्‍ध कराना शुरू करते हैं. मैंने पत्‍नी से कहा कि कंपाउंड में अनाज साफ करना शुरू कर दें और चावल को नीचे गिरने दें. बड़ी संख्‍या में पक्षी पैरों के पास बैठेंगे और दाना चुगेंगे. मैं पत्‍नी से कहता था-उन्‍हें एक मुट्ठी चावल और फेंक दें और आनंद लेने दो."

एडविन की मेहरबानी से कन्क्रीट के इस जंगल के बीचोंबीच मौजूद इस नखलिस्तान में आकर इन छोटे-छोटे परिंदों को जैसे नया जीवन मिल जाता है...

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