भारत में जर्मनी के राजदूत माइकल स्टेनर ने अपने जन्मदिन पर सत्संग का प्रोग्राम रखा है और इसमें आने के लिए मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी को भी न्योता गया है।
गौरतलब है कि केंद्रीय विद्यालयों में जर्मन की जगह संस्कृत पढ़ाने को लेकर विवाद चल रहा है। ऐसे में सत्संग के इस न्योते का ख़ास महत्व हो गया है।
हालांकि जर्मन राजदूत इस बात से साफ इनकार कर रहे हैं कि इस सत्संग का भाषा विवाद से कोई लेना देना है। उनका कहना है कि उन्होंने और उनकी पत्नी ने इस सरकार के बनने के पहले ही ये तय कर लिया था कि सत्संग कराएंगे। इसके लिए आध्यात्मिक गुरु रविशंकर को चिठ्ठी लिखी और वे मान गए।
सत्संग शुक्रवार 28 नवंबर होगा। जर्मन राजदूत का कहना है कि दूतावास ने किसी को चुन कर न्योता नहीं भेजा है, बल्कि बहुत सारे मंत्रियों और नेताओं को बुलाया गया है।
पहले वह स्मृति ईरानी का सीधे तौर पर नाम नहीं ले रहे थे, लेकिन पत्रकारों के ज़ोर डालने पर उन्होंने बस इतना कहा कि कई कैबिनेट मंत्रियों को न्योता गया है और सभी का स्वागत है। जब उनसे ये पूछा गया कि क्या आरएसएस नेताओं और दक्षिणपंथी विचारक दीनानाथ बत्रा को भी न्योता गया है, राजदूत ने कहा कि दूतावास ने सबों का ख्याल रखा है और न्योता देने में समग्रता बरती गई है।
सत्संग इस विषय पर होगा कि अलग-अलग संस्कृतियों को कैसे नज़दीक लाया जाए और यूरोप एवं भारत के बीच आपसी समझ बेहतर कैसे किया जाए। माइकल स्टेनर से जब ये पूछा गया कि क्या उन्हें जर्मन भाषा विवाद के हल की उम्मीद हैं, राजदूत ने कहा कि उन्हें पूरा भरोसा है कि स्थानीय कानून के मुताबिक़ इस मसले का सम्मानजनक और व्यवहारिक हल निकल आएगा।
जब से मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने केंद्रीय विद्यालयों में तीसरी भाषा के विकल्प के तौर पर जर्मन चुनने को देश की शिक्षा नीति के ख़िलाफ करार दिया है और उसकी जगह संस्कृत पढ़ाने का विकल्प दिया है तब से इस मुद्दे पर जर्मनी के राजदूत काफी सक्रिय हैं। देखना है सत्संग में स्मृति ईरानी का संग क्या हल लेकर आता है।
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