देश की शिक्षा मंत्री होने के बावजूद केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी को यहां स्कूल में अपने बच्चों का दाखिला कराने के लिए किसी आम माता पिता की तरह स्कूल में जाकर इंटरव्यू का सामना करना पड़ा।
मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने इस संबंध में किए गए एक सवाल पर कहा, ‘‘हां बिल्कुल। सही में, मुझे इंटरव्यू देना पड़ा। जब मैं मुंबई से दिल्ली आई, तो पहले एक महीने में मैंने दफ्तर और घर में तालमेल बिठाने का प्रयास किया। लेकिन मैं कर नहीं सकी क्योंकि मेरे पास मुंबई जाने के लिए केवल छह घंटे होते थे। मेरे दो छोटे बच्चे हैं। एक 11 साल का और दूसरा 13 साल का।’’
उन्होंने बताया, ‘‘मेरे लिए यह मुश्किल था और मैंने कहा कि दिल्ली आ जाओ। और उन्होंने मेरी बात सुनी। यह बदलाव काफी मुश्किल था क्योंकि मेरा परिवार कभी यहां नहीं रहा था और यहां आने पर सबसे पहली चीज जो करनी पड़ी वह यह, कि माता पिता के तौर पर इंटरव्यू देना पड़ा... टीचरों और प्रिंसीपल ने इंटरव्यू लिया और उसके बाद बच्चों का इंटरव्यू हुआ।’’
पीटीआई के मुख्यालय पर बातचीत में मानव संसाधन विकास मंत्री ने राजनीति में आने और मात्र 38 साल की उम्र में कैबिनेट मंत्री बनने से पहले एक सफल टीवी अभिनेत्री और बेहद छोटे स्तर से अपनी शुरुआत की शानदार यात्रा को विस्तार से साझा किया।
उन्होंने स्कूल में अपने बच्चों के दाखिले के लिए इस सारी भागदौड़ और प्रक्रिया का बुरा नहीं माना। वह कहती हैं, ‘‘मैं समझती हूं कि प्रक्रियाओं को केवल इसलिए दरकिनार नहीं किया जाना चाहिए कि आप एक मंत्री हैं। यह एक काम है, एक जिम्मेदारी है, उस प्रक्रिया को ध्वस्त करने का अधिकार नहीं है जिससे हर नागरिक गुजरता है। इसलिए मैंने अपने पति के साथ इंटरव्यू दिया।’’
स्मृति कहती हैं कि वह नियमित रूप से पेरेंट टीचर एसोसिएशन की बैठकों में जाती हैं। उन्होंने कहा, ‘‘मैं वहां सुरक्षाकर्मियों की फौज के साथ नहीं जाती। मैं समझती हूं कि आप अपने बच्चों को यह अहसास कराना चाहते हैं कि यह एक काम है कोई विशेषाधिकार नहीं।’’ अपने शुरुआती वर्षों को याद करते हुए स्मृति ने कहा कि वह एक निम्न मध्यमवर्गीय परिवार में पैदा हुई हैं और कभी उन्होंने उस भविष्य के बारे में सोचा भी नहीं था जो आज उनके सामने है।
उन्होंने बताया, ‘‘जब मैं पैदा हुई तो मुनीरका में मेरे माता-पिता के पास जो कुछ था, वह केवल एक तबेले के ऊपर रहने लायक जगहभर थी और कोई ऐसे भविष्य के बारे में नहीं सोच सकता था जो आज है। इसलिए मेरा सफर सावधानीपूर्वक चुना गया सफर नहीं था। कई मौकों पर मुझे अनजान राहों पर चलना पड़ा।’’
स्मृति ईरानी कहती हैं कि वह आज जहां हैं उसके लिए वह अपने आप को भाग्यशाली मानती हैं क्योंकि इस देश में ऐसे बहुत से लोग हैं जिनके पास समझ है, कड़ी मेहनत करने की क्षमता है लेकिन वे इतने खुशकिस्मत नहीं हैं। ‘‘मेरा यह मानना है कि नियती अपना खेल खेलती है।’’
टेलीविजन धारावाहिकों में एक मजबूत स्त्री की भूमिकाओं के चलते घर घर का चहेता चरित्र बनने की मनोरंजन जगत की अपनी यात्रा और फिर राजनीति में प्रवेश के संबंध में स्मृति कहती हैं कि उन्होंने इन दोनों क्षेत्रों को चुना क्योंकि वहां प्रतिभा को निर्णायक भूमिका निभानी थी।
वह कहती हैं, ‘‘मैं समझती हूं कि मैं उन जगहों पर इसलिए पहुंची क्योंकि मैं यह महसूस करती थी कि कितनी भी चुनौतियां क्यों न हों, कैसे भी मुश्किल हालात क्यों न हों, मुझे उन सब से पार पाने की अपनी क्षमता पर कहीं अधिक भरोसा था। मैं इस बात से ज्यादा खुश थी कि मुझे इतने अवसर मिले।’’
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं