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इंदिरा गांधी के साथ सीताराम येचुरी की वायरल तस्वीर की क्या है सच्चाई?

पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के साथ सीताराम येचुरी की एक पुरानी तस्वीर भ्रामक जानकारी के साथ वायरल होती रही है.

इंदिरा गांधी के साथ सीताराम येचुरी की वायरल तस्वीर की क्या है सच्चाई?
नई दिल्ली:

मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (CPIM) के वरिष्ठ नेता सीताराम येचुरी (Sitaram Yechury) का गुरुवार को 72 वर्ष की उम्र में निधन हो गया. निमोनिया के इलाज के लिए 19 अगस्त को नई दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) में उन्‍हें भर्ती कराया गया था, जहां उन्होंने अंतिम सांस ली.येचुरी के परिवार में उनकी पत्नी  वरिष्ठ पत्रकार सीमा चिश्ती, बेटी अखिला और बेटा दानिश हैं. उनके 34 वर्षीय बेटे आशीष येचुरी की 2021 में कोविड से मृत्यु हो गई थी. सोशल मीडिया में इंदिरा गांधी के साथ उनकी एक तस्वीर तेजी से वायरल हो रही है. आइए जानते हैं इस तस्वीर की क्या है सच्चाई.

पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के साथ सीताराम येचुरी की एक पुरानी तस्वीर भ्रामक जानकारी के साथ वायरल होती रही है. कुछ साल पहले, कई सोशल मीडिया एकाउंट से इसे पोस्ट किया गया था. पोस्ट में दावा किया गया था कि 1975 में, आपातकाल के दौरान, इंदिरा गांधी ने दिल्ली पुलिस के साथ जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) में प्रवेश किया था, सीपीआई नेता येचुरी, जो उस समय जेएनयू छात्र संघ के अध्यक्ष थे, पर हमला किया था. , और उन्हें आपातकाल के खिलाफ विरोध करने के लिए इस्तीफा देने और सार्वजनिक रूप से माफी मांगने के लिए मजबूर किया गया था.  

हालांकि तस्वीर की सच्चाई कुछ अलग है. यह तस्वीर जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में नहीं, बल्कि इंदिरा गांधी के घर के बाहर खींची गई थी. यह तस्वीर तब ली गई थी जब 1977 में आपातकाल समाप्त हुआ था. येचुरी ने 1977 में एक प्रदर्शन का आयोजन किया था जिसमें मांग की गई थी कि जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्र संघ का अध्यक्ष चुने जाने के बाद इंदिरा गांधी संस्थान के चांसलर के रूप में अपने पद से इस्तीफा दे दें. तस्वीर में इंदिरा गांधी छात्र संघ की मांगों को पढ़ते हुए येचुरी की बात सुन रही थीं. आपातकाल के बाद हुए लोकसभा चुनाव हारने के बावजूद इंदिरा गांधी इस पद पर बनी रहीं थीं.

तीन दशक तक पोलित ब्योरो के रहे सदस्य
तीन दशक से अधिक समय तक सीपीएम की शीर्ष निर्णय लेने वाली संस्था पोलित ब्यूरो के सदस्य रहे येचुरी 2005 से 2017 तक पश्चिम बंगाल से दो बार राज्यसभा के सांसद रहे. बतौर राज्यसभा सदस्य उन्होंने संसद में चर्चाओं और लोकतांत्रिक परंपराओं को समृद्ध बनाने का काम किया. इसकी वजह से उन्होंने राजनीतिक विरोधियों का भी सम्मान अर्जित किया. गठबंधन की सरकार के दौर में समावेशी विचारों को अपनाते हुए मार्क्सवाद के सिद्धांतों के प्रति अपनी अटूट प्रतिबद्धता को बरकरार रखा.

गठबंधन राजनीति के थे प्रबल समर्थक
कॉमरेड हरकिशन सिंह सुरजीत के शागिर्दी में सियासत का ककहरा सीखने वाले सीताराम येचुरी गठबंधन युग की सरकारों में अहम भूमिका निभाई थी. वीपी सिंह की राष्ट्रीय मोर्चा सरकार के दौरान और फिर 1996-97 की संयुक्त मोर्चा सरकार के दौरान सीपीआई (एम) ने बाहर से समर्थन दिया था, इसका अहम किरदार येचुरी को माना जाता है. गठबंधन राजनीति के प्रबल समर्थक येचुरी ने अन्य वामपंथी और धर्मनिरपेक्ष दलों के साथ गठबंधन सरकार को आकार और बौद्धिक स्तर पर विचार देने का काम किया. 

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