
- एक सितंबर से चांदी के गहनों पर छह अंकों वाला कोड हॉलमार्किंग में जुड़ जाएगा जो शुद्धता बताएगा
- सिल्वर हॉलमार्किंग में ज्वेलर, वजन और तस्वीर की जानकारी अभी उपलब्ध नहीं कराई जाती
- चांदी की शुद्धता पर जोर देने और मिलावट रोकने के लिए सरकार 1 सितंबर से बड़ा नियम लागू करेगी
सोने के बाद अब चांदी के आभूषणों में मिलावटखोरी पर अब पूरी तरह से शिकंजा कसने वाला है. दरअसल, 1 सितंबर से चांदी के गहनों पर भी हॉलमार्किंग में 6 डिजिट का कोड (HUID) होगा, जो उसकी शुद्धता को बताएगा. उसकी शुद्धता की जांच किस हॉलमार्क सेंटर में की गई है, ये भी जानकारी मिलेगी. चांदी में अभी तक जो हॉलमार्किंग होती थी, उसमें ये कोड नहीं होता था. नवरात्रि और दिवाली जैसे त्योहारों के पहले सरकार का ये बड़ा कदम ग्राहकों के लिए बड़ा हथियार साबित हो सकता है. इंडियन एसोसिएशन ऑफ हॉलमार्किंग सेंटर्स नई दिल्ली के अध्यक्ष उदय गजानन शिंदे ने चांदी के गहनों में हॉलमार्किंग से होने वाले बदलावों से जुड़े तमाम सवालों का जवाब दिया है.
चांदी में किस चीज की मिलावट
सिल्वर में हॉलमार्क 5 ग्रेड में होता है. इसमें एलॉय के लिए कैडमियम की मिलावट होती है, जो कैंसरकारी भी होता है. इस कारण ये हॉलमार्किंग नहीं होती है. अगर इसमें कॉपर होता है तो हॉलमार्किंग होती है. कैडमियम प्रतिबंधित तत्व है और ये कैंसरकारी भी माना गया है.
चांदी का काला पड़ जाना या अशुद्धता का संकेत
चांदी के आभूषणों के काले पड़ जाने के सवाल पर उन्होंने कहा कि चांदी सेंसटिव धातु है, हवा में कई चीजों के संपर्क में आने के कारण इसमें कालापन आ जाता है. अगर इसे टूथपेस्ट से रगड़ा जाए तो इसका कालापन चला जाता है. अगर ऐसा न हो तो समझिए कि चांदी में मिलावट है.
अभी सिल्वर हॉलमार्क में ये कमियां
हालांकि शिंदे ने कहा कि सिल्वर हॉलमार्किंग में भी ये जानकारी नहीं होगी कि ये ये किस ज्वेलर्स के यहां से खरीदी गई है, उसका कितना वजन है, उसकी जानकारी अभी भी इसमें नहीं होगी. अभी किसी ज्वेलरी के लिए ये 6 डिजिट कोड जनरेट होने के बाद कोई भी लेजर मशीन से किसी अन्य ज्वेलरी पर ये कोड एंबॉस कर सकता है. ऐसे में कोड की डुप्लीकेसी भी हो सकती है. इसका गलत इस्तेमाल हो सकता है. सरकार को इस पर ध्यान देना होगा. लिहाजा ज्वेलरी की तस्वीर और उसका वजन आना एकदम जरूरी है. सरकार गोल्ड ज्वेलरी की तरह सिल्वर ज्वेलरी पर भी ग्राहकों को ज्यादा से ज्यादा जानकारी इस कोड के जरिये उपलब्ध कराए.
सिल्वर हॉलमार्किंग को अनिवार्य बनाया जाए
सिल्वर हॉलमार्किंग अभी स्वैच्छिक होगी यानी ज्वेलर्स के लिए ये अनिवार्य नहीं होगी. सोने की तरह चांदी पर भी आने वाले वक्त में ऐसा किया जा सकता है. अभी सिल्वर हॉलमार्किंग के लिए पर्याप्त इन्फ्रास्ट्रक्चर नहीं है. गोल्ड हॉलमार्किंग सेंटर के साथ चांदी के लिए ऐसे इंतजाम के लिए अलग से मशीनरी की व्यवस्था करनी होगी. उसके लिए अलग से लाइसेंस से लेना पड़ता है. जिन गोल्ड हॉलमार्किंग सेंटर के पास चांदी की हॉलमार्किंग की मशीनें थी भीं, वो भी ज्यादा कारोबार न होने के कारण ठप पड़ गईं. सिर्फ दीवाली जैसे त्योहारों के आसपास ही काम मिला. रखरखाव और लागत बहुत ज्यादा थी. लेकिन अब सरकार ने सिल्वर हॉलमार्किंग के लिए जो कदम उठाया है, उससे इसमें बढ़ोतरी होगी. लेकिन अगर सरकार छह महीने या साल भर में इसे अनिवार्य बनाने का फैसला लेती है तो फिर इसमें तेजी आएगी.
सोने की हॉलमार्किंग से फायदा
गोल्ड हॉलमार्किंग जिन शहरों में अनिवार्य हो गई है, वहां कारोबार बढ़ा है. जिन जिलों में हॉलमार्किंग अनिवार्य नहीं है, वहां ज्वैलर्स के लिए अभी भी बहाना है कि यहां तो सेंटर नहीं है और हम हॉलमार्किंग कहां कराएं. ऐसे में वो बिना शुद्धता की गारंटी वाले हॉलमार्क कोड के बगैर ये ज्वेलरी बेच रहे हैं. इन छोटे शहरों और कस्बों में ही कम शुद्धता के गहनों की बिक्री की संख्या ज्यादा है, भले ही वैल्यू कम हो. अभी देश में सोने के गहनों में 75 फीसदी तक हॉलमार्किंग हो रही है, बाकी 25 फीसदी को भी इसके दायरे में लाना होगा. कुछ कुंदन जड़ी ज्वेलरी को हॉलमार्किंग के दायरे से बाहर भी रखा गया है.
गोल्ड हॉलमार्किंग से कितनी महंगाई
गोल्ड में अभी 9,14, 18, 20, 21, 22 और 24 कैरेट में हॉलमार्किंग हो रही है. हॉलमार्किंग से क्या ज्वेलरी महंगी हो जाएगी, इस सवाल पर उन्होंने कहा कि यह ग्राहकों के बीच भ्रम फैलाया गया है. हॉलमार्किंग के लिए सिर्फ 45 रुपये लिए जाते हैं और जीएसटी लगाकर ये 51 रुपये होता है. आज सोना 1 लाख रुपये तोला के ऊपर है, इसमें शुद्धता की गारंटी के लिए 51 रुपया ग्राहक या ज्वेलर्स के लिए मायने नहीं रखता. चांदी भी एक लाख रुपये किलो हो गई है. एक 100 ग्राम की पायल भी 5 हजार रुपये में मिलेगी, ऐसे में ये 51 रुपये की वैल्यू नहीं है.
हॉलमार्किंग सेंटर की लागत
सिल्वर या गोल्ड के लिए हॉलमार्किंग सेंटर खोलने में 40-50 लाख रुपये की लागत आती है. अगर किसी के पास गोल्ड हॉलमार्किंग का सेंटर है तो फिर सिल्वर हॉलमार्किंग के लिए ऐसी सुविधा के लिए 15-20 लाख रुपये की लागत आएगी. अगर सरकार इसे छह महीने या साल भर में अनिवार्य बनाती है तो सेंटर निश्चित तौर पर बढ़ेंगे.
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