दो दिन पहले ही भाजपा और शिवसेना पार्षदों में हुई थी तकरार....
मुंंबई:
शिवसेना ने शुक्रवार को अपनी सहयोगी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के कार्यकर्ताओं द्वारा हर समय 'मोदी मोदी' का नारा लगाने को लेकर रोष जाहिर किया और चेताया कि ये 'बेशर्म भक्त' प्रधानमंत्री को डूबो देंगे. शिवसेना ने पार्टी के मुखपत्र 'सामना' और 'दोपहर का सामना' में लिखे संपादकीय में कहा, "आज, देश ऐसे नीच लोगों से सबसे बड़े खतरे का सामना कर रहा है..ये जो 'मोदी-मोदी' चिल्लाने वाले ढीठ लोग हैं, वास्तव में प्रधानमंत्री की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचा रहे हैं."
बृहनमुंबई नगर निगम (बीएमसी) में दो दिन पहले भाजपा के पार्षदों ने 'मोदी-मोदी' के नारे लगाए थे और शिवसेना के पार्षदों ने जवाब में 'चोर है-चोर है' का नारा लगाया था. इस घटना का उल्लेख करते हुए संपादकीय में लिखा गया कि जिन्होंने (भाजपा ने) सेना के शेरों को चुनौती दी, उन्हें 'कान के नीचे' खींचकर जवाब दिया गया.
संपादकीय में कहा गया, "हमने मोदी का हमेशा प्रधानमंत्री के रूप में सम्मान किया है..उनका नाम लोगों के बीच गर्व पैदा करना चाहिए, लेकिन इस तरह के सनकी तरीके से नहीं." संपादकीय में ध्यान दिलाया गया कि 1971 में प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने पाकिस्तान को घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया था और पूर्वी पाकिस्तान को उससे अलग कर बांग्लादेश बनवा दिया था. संपादकीय में कहा गया है, "उस वक्त उनके भक्त भी 'भारत ही इंदिरा है' का नारा लगाने लगे थे..इसके बावजूद उन्हें चुनावों में बुरी तरह हार का सामना करना पड़ा था. उनके भक्तों ने ही उन्हें डूबो दिया था."
पांच जुलाई को हुए बीएमसी कार्यक्रम के बारे में शिवसेना ने हैरत जताते हुए कहा कि 647 करोड़ के अनुदान को लेकर इतना हल्ला क्यों मचाया गया जबकि यह पैसा न तो भाजपा के खजाने से आ रहा था और न शिवसेना के खजाने में जा रहा था. संपादकीय में कहा गया है, "यह धन (जीएसटी लागू होने के बाद चुंगी न मिलने से होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए मिला धन) महाराष्ट्र सरकार द्वारा मुंबई शहर को दिया गया था. लेकिन इन (भाजपा के) 'शहर के बापों' ने ऐसे जताया कि जैसे यह पैसा उनकी जेब से आ रहा हो."
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
बृहनमुंबई नगर निगम (बीएमसी) में दो दिन पहले भाजपा के पार्षदों ने 'मोदी-मोदी' के नारे लगाए थे और शिवसेना के पार्षदों ने जवाब में 'चोर है-चोर है' का नारा लगाया था. इस घटना का उल्लेख करते हुए संपादकीय में लिखा गया कि जिन्होंने (भाजपा ने) सेना के शेरों को चुनौती दी, उन्हें 'कान के नीचे' खींचकर जवाब दिया गया.
संपादकीय में कहा गया, "हमने मोदी का हमेशा प्रधानमंत्री के रूप में सम्मान किया है..उनका नाम लोगों के बीच गर्व पैदा करना चाहिए, लेकिन इस तरह के सनकी तरीके से नहीं." संपादकीय में ध्यान दिलाया गया कि 1971 में प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने पाकिस्तान को घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया था और पूर्वी पाकिस्तान को उससे अलग कर बांग्लादेश बनवा दिया था. संपादकीय में कहा गया है, "उस वक्त उनके भक्त भी 'भारत ही इंदिरा है' का नारा लगाने लगे थे..इसके बावजूद उन्हें चुनावों में बुरी तरह हार का सामना करना पड़ा था. उनके भक्तों ने ही उन्हें डूबो दिया था."
पांच जुलाई को हुए बीएमसी कार्यक्रम के बारे में शिवसेना ने हैरत जताते हुए कहा कि 647 करोड़ के अनुदान को लेकर इतना हल्ला क्यों मचाया गया जबकि यह पैसा न तो भाजपा के खजाने से आ रहा था और न शिवसेना के खजाने में जा रहा था. संपादकीय में कहा गया है, "यह धन (जीएसटी लागू होने के बाद चुंगी न मिलने से होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए मिला धन) महाराष्ट्र सरकार द्वारा मुंबई शहर को दिया गया था. लेकिन इन (भाजपा के) 'शहर के बापों' ने ऐसे जताया कि जैसे यह पैसा उनकी जेब से आ रहा हो."
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