उद्धव Vs CM शिंदे : चुनाव आयोग के फैसले के बाद एकनाथ शिंदे गुट ने सुप्रीम कोर्ट में कैविएट दाखिल किया

एकनाथ शिंदे गुट ने कहा है कि, अगर उद्धव गुट चुनाव आयोग के फैसले को चुनौती देता है तो कोर्ट एकपक्षीय सुनवाई करके कोई आदेश पारित ना करे, उसका पक्ष भी सुना जाए.

नई दिल्ली :

महाराष्ट्र में 'शिवसेना' पर अधिकार को लेकर चुनाव आयोग के फैसले से निराश उद्धव ठाकरे अब सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी में हैं. उन्होंने शनिवार को इसे लेकर बयान भी दिया. उद्धव ठाकरे ने कहा कि चुनाव आयोग पीएम मोदी की गुलाम है. लिहाजा हम आयोग के इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाएंगे. उद्धव ठाकरे के इस ऐलान के बाद अब खबर आ रही है कि एकनाथ शिंदे गुट ने चुनाव आयोग के फैसले के बाद सुप्रीम कोर्ट में कैविएट दाखिल कर दिया है. कैविएट के जरिए कोर्ट से अपील की गई है कि अगर उद्धव गुट चुनाव आयोग के फैसले को चुनौती देता है तो कोर्ट एकपक्षीय सुनवाई करके कोई आदेश पारित ना करे, उसका पक्ष  भी  सुना जाए.

इससे पहले उद्धव गुट के संजय राउत ने कहा कि, एक समय था जब मंदिर से मूर्तियां चोरी हो जाती थीं, अब लोग बाप को चुरा रहे हैं. आज जब उद्धव ने अपना भाषण दिया तो लोग बालासाहेब को याद कर रहे थे. उन्होंने कहा कि, शिवसेना  पलटवार करेगी और फिर से सत्ता में आकर दिखाएगी.

इससे पहले उद्धव ठाकरे ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे पर निशाना साधते हुए कहा कि पार्टी का चुनाव चिन्ह "चोरी" हो गया है और "चोर" को सबक सिखाने की जरूरत है. उद्धव ठाकरे ने एक बड़ी भीड़ को संबोधित किया. ठाकरे परिवार के घर मातोश्री के बाहर पार्टी कार्यकर्ताओं ने शक्ति प्रदर्शन किया.

उद्धव ठाकरे को एक बड़ा झटका देते हुए चुनाव आयोग ने शुक्रवार को एकनाथ शिदे को उस पार्टी की पहचान सौंप दी जिसे उनके पिता ने 1966 में स्थापित किया था. शिंदे ने करीब आठ माह पहले उद्धव ठाकरे की सरकार का तख्तापलट कर दिया था. 

उद्धव ठाकरे की टीम ने चुनाव आयोग से मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार करने का आग्रह किया था. उन्होंने कहा है कि वे शीर्ष अदालत में फैसले को चुनौती देंगे. शिवसेना के दोनों गुटों के बीच पार्टी पर अधिकार को लेकर खींचतान के मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में चल रही है.

एकनाथ शिंदे ने चुनाव आयोग के फैसले को "लोकतंत्र की जीत" बताया और इस कदम का स्वागत किया. उद्धव ठाकरे द्वारा उन्हें "गद्दार" कहे जाने का विरोध करते हुए उन्होंने कहा कि उन्हें "आत्मनिरीक्षण" करने की आवश्यकता है.

एकनाथ शिंदे ने जून 2022 में पार्टी में बगावत कर दी थी. वे बीजेपी की मदद से 40 से अधिक शिवसेना विधायकों को साथ लेकर चले गए थे. बीजेपी ने एकनाथ शिंदे के साथ मिलकर अंततः  उद्धव ठाकरे की सरकार को गिरा दिया था. ठाकरे की सरकार में दो वैचारिक रूप से भिन्न सहयोगी दल कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी भी शामिल थी.

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शिवसेना पर नियंत्रण के लिए लंबी लड़ाई चली. चुनाव आयोग ने 78 पन्नों के आदेश में कहा कि शिंदे को 2019 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में पार्टी के 76 प्रतिशत विजयी वोटों के साथ विधायकों का समर्थन प्राप्त था. चुनाव आयोग ने कहा कि उद्धव ठाकरे गुट पार्टी का 'शिवसेना उद्धव बालासाहेब ठाकरे' नाम और पिछले साल दिया गया चुनाव चिह्न 'धधकती मशाल' रख सकता है.