प्रतीकात्मक तस्वीर.
नई दिल्ली:
शिरोमणि अकाली दल ने लोकसभा में मांग उठाई कि 23 मार्च को भगत सिंह के शहीद दिवस के मौके पर सदन में अवकाश घोषित किया जाए. अकाली दल के प्रेम सिंह चंदूमाजरा ने शून्यकाल में हंगामे के दौरान ही यह मांग उठाई और शोर-शराबे के बीच उनकी बात ठीक से नहीं सुनी जा सकी. लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने भी कहा 'कुछ सुनाई नहीं दे रहा.'
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सदन में लगातार 14 दिन से विभिन्न मुद्दों पर हंगामा चल रहा है और आज भी अन्नाद्रमुक तथा वाईएसआर कांग्रेस के सदस्य अपनी अपनी मांगों को लेकर आसन के समीप नारेबाजी कर रहे थे. इसी बीच चंदूमाजरा को अपनी बात रखते हुए सुना गया. अकाली सांसद ने कहा कि शहीद भगत सिंह का शहीदी दिवस है. कल का अवकाश घोषित किया जाना चाहिए. उन्हें यह कहते भी सुना गया कि जहां से (भगत सिंह द्वारा) बम फेंका गया था, वह सीट रिजर्व की जाए और जहां बम गिरा था, वह स्थान चिह्नित किया जाए. उन्होंने यह भी कहा कि सब लोगों को भगत सिंह के गांव जाकर उन्हें श्रद्धांजलि देनी चाहिए.
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चंदूमाजरा ने कहा कि भगत सिंह ने अंग्रेज शासकों के खिलाफ बलिदान दिया था. उल्लेखनीय है कि 23 मार्च को शहीदी दिवस के रूप में मनाया जाता है. इसी दिन सन 1931 में भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को अंग्रेजी हुकूमत ने फांसी दी थी. इतिहास में उल्लेख मिलता है कि भगत सिंह ने बटुकेश्वर दत्त के साथ मिलकर आठ अप्रैल 1929 को केन्द्रीय असेम्बली (वर्तमान संसद भवन) में एक ऐसे स्थान पर बम फेंका जहां कोई मौजूद नहीं था. उन्होंने अंग्रेजी हुकूमत की तानाशाही के खिलाफ उसे चेतावनी देने के लिए यह कदम उठाया था. बाद में उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया.
(इनपुट : भाषा)
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सदन में लगातार 14 दिन से विभिन्न मुद्दों पर हंगामा चल रहा है और आज भी अन्नाद्रमुक तथा वाईएसआर कांग्रेस के सदस्य अपनी अपनी मांगों को लेकर आसन के समीप नारेबाजी कर रहे थे. इसी बीच चंदूमाजरा को अपनी बात रखते हुए सुना गया. अकाली सांसद ने कहा कि शहीद भगत सिंह का शहीदी दिवस है. कल का अवकाश घोषित किया जाना चाहिए. उन्हें यह कहते भी सुना गया कि जहां से (भगत सिंह द्वारा) बम फेंका गया था, वह सीट रिजर्व की जाए और जहां बम गिरा था, वह स्थान चिह्नित किया जाए. उन्होंने यह भी कहा कि सब लोगों को भगत सिंह के गांव जाकर उन्हें श्रद्धांजलि देनी चाहिए.
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चंदूमाजरा ने कहा कि भगत सिंह ने अंग्रेज शासकों के खिलाफ बलिदान दिया था. उल्लेखनीय है कि 23 मार्च को शहीदी दिवस के रूप में मनाया जाता है. इसी दिन सन 1931 में भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को अंग्रेजी हुकूमत ने फांसी दी थी. इतिहास में उल्लेख मिलता है कि भगत सिंह ने बटुकेश्वर दत्त के साथ मिलकर आठ अप्रैल 1929 को केन्द्रीय असेम्बली (वर्तमान संसद भवन) में एक ऐसे स्थान पर बम फेंका जहां कोई मौजूद नहीं था. उन्होंने अंग्रेजी हुकूमत की तानाशाही के खिलाफ उसे चेतावनी देने के लिए यह कदम उठाया था. बाद में उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया.
(इनपुट : भाषा)
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