कांग्रेस के पूर्व सांसद संदीप दीक्षित
नई दिल्ली:
दिल्ली में 15 साल तक मुख्यमंत्री रहीं शीला दीक्षित के बेटे एवं कांग्रेस के पूर्व सांसद संदीप दीक्षित ने अपनी ही पार्टी के भीतर मोर्चा खोल दिया है। एक ब्लॉग के ज़रिये उन्होंने दिल्ली चुनाव से पहले अपनी मां के खिलाफ मुहिम चलाने के पीछे अजय माकन की ओर से इशारा किया है। उनका आरोप है कि दिल्ली में कांग्रेस को कमज़ोर करने के पीछे पार्टी के ही कुछ नेताओं का हाथ है।
कांग्रेस के पूर्व सांसद संदीप दीक्षित कहते हैं, 'दिल्ली कांग्रेस ने मेरे सामने मुश्किल हालात खड़े कर दिए हैं। दिल्ली कांग्रेस एक ऐसे इंसान के नेतृत्व में चल रही है, जो लगातार सीधे तौर पर शीला दीक्षित पर अपनी झूठी रिपोर्ट्स से हमले करता रहा है। मैं ऐसे नेतृत्व को स्वीकार नहीं कर सकता, जिसका पूरा जोर शीला दीक्षित के नेतृत्व में चलाई गई सरकार को खारिज करने में लगा हो।'
संदीप कांग्रेस की टिकट पर पूर्वी दिल्ली से दो बार सांसद रह चुके हैं। कुछ समय पहले भी वे तब विवादों में आए थे, जब उन्होंने कहा था कि राहुल गांधी को पार्टी की कमान सौंपे जाने का वक़्त नहीं आया है। हालांकि इस नए ब्लॉग के बाद संदीप दीक्षित कांग्रेस छोड़ने की बात को सिरे से ख़ारिज कर रहे हैं। वह कहते हैं, कांग्रेस को भारतीय राजनीति में फिर से प्रधानता से स्थापित करने में जो भी हो सकेगा मैं करूंगा।
एक ऐसे वक़्त में जब शीला को यूपी में सीएम का चेहरा बनाया गया है, संदीप का मानना है कि उन्होंने जो मुद्दा उठाया है उससे पार्टी को यूपी में नुक्सान नहीं, बल्कि फ़ायदा ही होगा। संदीप दीक्षित के सुर को पार्टी का एक खेमा बग़ावती क़रार देने पर तुला है, जहां पार्टी के कुछ नेता उन्हें समझाने-बुझाने की बात कर रहे हैं, वही ग़ुलाम नबी आज़ाद शीला और संदीप के बीच की लकीर को साफ़ कर रहे है।
कांग्रेस महासचिव और उत्तर प्रदेश चुनाव के प्रभारी ग़ुलाम नबी आज़ाद कहते हैं, मेरे ख्याल में हमने शीला दीक्षित की ज़िम्मेदारी ली है, पूरे परिवार की ज़िम्मेदारी नहीं ले सकते। परिवारों में अलग-अलग विचार होते हैं। शीला जी लंबे समय से कांग्रेस का अभिन्न अंग रही हैं। कोई भी अपने परिवार के हर सदस्य की ज़िम्मेदारी नहीं ले सकता।
दरअसल अजय माकन को निशाने पर लेकर संदीप दीक्षित ने पार्टी पर प्रदेश अध्यक्ष बदलने का दबाव बनाया है। माकन विरोधी खेमे की आवाज़ बन कर दीक्षित ने इससे उनकी मुश्किल कुछ बढ़ा जरूर दी है। हालांकि दिल्ली प्रदेश इकाई की ये लड़ाई कांग्रेस को यूपी में कांग्रेस के लिए उल्टा भी साबित हो सकती है।
कांग्रेस के पूर्व सांसद संदीप दीक्षित कहते हैं, 'दिल्ली कांग्रेस ने मेरे सामने मुश्किल हालात खड़े कर दिए हैं। दिल्ली कांग्रेस एक ऐसे इंसान के नेतृत्व में चल रही है, जो लगातार सीधे तौर पर शीला दीक्षित पर अपनी झूठी रिपोर्ट्स से हमले करता रहा है। मैं ऐसे नेतृत्व को स्वीकार नहीं कर सकता, जिसका पूरा जोर शीला दीक्षित के नेतृत्व में चलाई गई सरकार को खारिज करने में लगा हो।'
संदीप कांग्रेस की टिकट पर पूर्वी दिल्ली से दो बार सांसद रह चुके हैं। कुछ समय पहले भी वे तब विवादों में आए थे, जब उन्होंने कहा था कि राहुल गांधी को पार्टी की कमान सौंपे जाने का वक़्त नहीं आया है। हालांकि इस नए ब्लॉग के बाद संदीप दीक्षित कांग्रेस छोड़ने की बात को सिरे से ख़ारिज कर रहे हैं। वह कहते हैं, कांग्रेस को भारतीय राजनीति में फिर से प्रधानता से स्थापित करने में जो भी हो सकेगा मैं करूंगा।
एक ऐसे वक़्त में जब शीला को यूपी में सीएम का चेहरा बनाया गया है, संदीप का मानना है कि उन्होंने जो मुद्दा उठाया है उससे पार्टी को यूपी में नुक्सान नहीं, बल्कि फ़ायदा ही होगा। संदीप दीक्षित के सुर को पार्टी का एक खेमा बग़ावती क़रार देने पर तुला है, जहां पार्टी के कुछ नेता उन्हें समझाने-बुझाने की बात कर रहे हैं, वही ग़ुलाम नबी आज़ाद शीला और संदीप के बीच की लकीर को साफ़ कर रहे है।
कांग्रेस महासचिव और उत्तर प्रदेश चुनाव के प्रभारी ग़ुलाम नबी आज़ाद कहते हैं, मेरे ख्याल में हमने शीला दीक्षित की ज़िम्मेदारी ली है, पूरे परिवार की ज़िम्मेदारी नहीं ले सकते। परिवारों में अलग-अलग विचार होते हैं। शीला जी लंबे समय से कांग्रेस का अभिन्न अंग रही हैं। कोई भी अपने परिवार के हर सदस्य की ज़िम्मेदारी नहीं ले सकता।
दरअसल अजय माकन को निशाने पर लेकर संदीप दीक्षित ने पार्टी पर प्रदेश अध्यक्ष बदलने का दबाव बनाया है। माकन विरोधी खेमे की आवाज़ बन कर दीक्षित ने इससे उनकी मुश्किल कुछ बढ़ा जरूर दी है। हालांकि दिल्ली प्रदेश इकाई की ये लड़ाई कांग्रेस को यूपी में कांग्रेस के लिए उल्टा भी साबित हो सकती है।
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