प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज से 23 नवंबर तक दक्षिण अफ्रीका के जोहान्सबर्ग के दौरे पर रहेंगे. वह दक्षिण अफ्रीका द्वारा आयोजित जी20 नेताओं के शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेंगे. यह जानकारी विदेश मंत्रालय में सचिव (ईआर) सुधाकर दलेला ने प्रेस वार्ता कर दी. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी साउथ अफ्रीका के प्रेसिडेंट के बुलावे पर जी20 लीडर्स समिट में शामिल होने के लिए 21 से 23 नवंबर तक जोहान्सबर्ग, साउथ अफ्रीका गए हैं.
एमईए सेक्रेटरी (ईआर) सुधाकर दलेला ने कहा, "2023 में बहुत सफल प्रेसीडेंसी होस्ट करने के बाद जी20 में अपनी प्राथमिकताओं को जारी रखने के लिए भारत के लिए यह समिट जरूरी होगा, क्योंकि जी20 इंटरनेशनल आर्थिक सहयोग के साथ-साथ ग्लोबल महत्व के मामलों पर चर्चा करने के लिए एक प्रमुख मंच के रूप में उभरा है." उन्होंने कहा कि जी20 बड़ी और उभरती अर्थव्यवस्थाओं के नेताओं को एक शानदार मौका देता है, जो ग्लोबल जीडीपी का 85 प्रतिशत से ज्यादा और दुनिया की लगभग तीन-चौथाई आबादी का प्रतिनिधित्व करते हैं. सभी लोगों के एक साथ आकर दुनिया पर असर डालने वाले जरूरी मुद्दों पर चर्चा करने का यह अच्छा समय है.
फारूक अब्दुल्ला की अपील
वहीं दिल्ली ब्लास्ट मामले में जांच के बीच जम्मू और कश्मीर नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष डॉ. फारूक अब्दुल्ला ने कहा है कि दिल्ली विस्फोट के बाद देशभर में कश्मीरियों को शक की निगाह से न देखा जाए. डॉ. फारूक अब्दुल्ला ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और सभी राज्यों तथा केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों से अपील की है कि वे यह सुनिश्चित करें कि कश्मीरियों को किसी भी तरह की परेशानी का सामना न करना पड़े. उन्होंने इन घटनाओं के बाद उठ रहे असहज माहौल पर चिंता जताते हुए कहा कि ऐसे आपराधिक कृत्य करने वाले लोग बहुत कम हैं और वे जम्मू-कश्मीर के लोगों का प्रतिनिधित्व नहीं करते. उन्होंने कहा, "यह बहुत दुखद है कि कुछ गुमराह लोगों की हरकतों के कारण पूरे कश्मीरी समुदाय के खिलाफ शक और शत्रुता का माहौल बनता है."
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कश्मीरी छात्रों पर बढ़ी निगरानी, भेदभाव की शिकायतें तेज
दिल्ली में हालिया कार विस्फोट में कश्मीरियों की संलिप्तता सामने आने के बाद देश के विभिन्न हिस्सों में पढ़ाई कर रहे कश्मीरी छात्रों की मुश्किलें बढ़ गई हैं. कई छात्रों का आरोप है कि उन्हें संदेह की नजर से देखा जा रहा है और रोजमर्रा की जिंदगी में भेदभाव का सामना करना पड़ रहा है.
उत्तर भारत के कई राज्यों में पढ़ रहे छात्रों ने बताया कि कथित ‘टेरर मॉड्यूल’ से जुड़े दो कश्मीरी डॉक्टरों की गिरफ्तारी के बाद माहौल अचानक बदल गया है. छात्रों के मुताबिक बात सिर्फ बढ़ी हुई सुरक्षा जांच तक सीमित नहीं है . यह अब सीधे तौर पर अविश्वास, सामाजिक दूरी और डराने-धमकाने जैसी स्थितियों में बदल रही है.
कुछ छात्रों ने दावा किया कि स्थानीय दुकानों ने उन्हें किराना देने से मना कर दिया, जबकि कईयों के मुताबिक, उनके सहपाठियों ने उनके परिवारों पर ‘आतंकी संबंध’ होने के संकेत दिए. मकान मालिकों और पड़ोसियों के व्यवहार में आए बदलाव से भी छात्र असुरक्षित महसूस कर रहे हैं.
शरजील इमाम बेल केस
सुप्रीम कोर्ट कल दोपहर 12:30 बजे 2020 के दिल्ली दंगों की साजिश के मामले में आरोपी शरजील इमाम, उमर खालिद और अन्य की जमानत याचिकाओं पर सुनवाई फिर से शुरू करेगा. इस दौरान दिल्ली पुलिस ने उनकी तुलना हाल ही में दिल्ली में हुए लाल किला विस्फोट के लिए जिम्मेदार आतंकवादियों से की है और इन "तथाकथित बुद्धिजीवियों" को जमीनी स्तर के आतंकवादियों से भी बड़ा राष्ट्रीय सुरक्षा खतरा बताया है. एएसजी एसवी राजू ने तर्क दिया कि आरोपियों ने हिंसा भड़काने और सत्ता परिवर्तन के लिए अपने बौद्धिक प्रभाव का इस्तेमाल किया. उन्होंने उन वीडियो क्लिप का हवाला दिया जिनमें शरजील इमाम और उमर खालिद ने कथित तौर पर असम, मुसलमानों और राष्ट्रीय एकता को निशाना बनाते हुए भड़काऊ भाषण दिए थे और दावा किया था कि ये विरोध प्रदर्शन आर्थिक और राजनीतिक अस्थिरता का बहाना थे. अदालत ने इन भाषणों को हिंसा का आह्वान बताने पर सवाल उठाया और कहा कि अदालत में सभी वीडियो सबूत पूरी तरह से नहीं दिखाए गए.