विमोचन करते हुए नरेंद्र मोदी, हामिद अंसारी और राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी (फाइल फोटो)
मुंबई:
एनसीपी (राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी) के अध्यक्ष शरद पवार ने अपनी जीवनी बदल दी है। पवार की मराठी जीवनी के अंग्रेजी संस्करण में वह विवादित हिस्सा पूरी तरह गायब है जिसमें कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और कांग्रेस पार्टी निशाने पर हैं। मराठी में 'लोक माझे सांगाती' नाम से प्रकाशित जीवनी का अंग्रेजी संस्करण 'शरद पवार-ऑन माय टर्म्स' नाम से प्रकाशित हुआ है। इस किताब का नई दिल्ली में सोनिया गांधी की मौजूदगी में विमोचन हुआ।
सोनिया गांधी पर निशाना
मराठी जीवनी के दो अध्याय 'यूपीए बनते हुए' और 'यूपीए के दस साल' अंग्रेजी जीवनी में गायब हैं। इनमें पवार ने लिखा है कि यूपीए-1 के समय सोनिया गांधी ने किसी से पूछे बिना ही खुद को 272 सांसदों का समर्थन होने का दावा कर दिया। यूपीए-2 में सोनिया गांधी के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय सलाहकार परिषद का हस्तक्षेप मंत्रियों के विभाग में हद से ज्यादा बढ़ गया था। इस परिषद से मंत्रालयों को सीधे फैसले दिए जाते। इससे प्रधानमंत्री पद का अवमूल्यन हुआ। मनमोहन सिंह इस कारण चुप बैठने लगे। मुझे यह हालात व्यथित कर गए।
यूपीए-2 सरकार की आलोचना
पवार ने लिखा है कि जनता का गुस्सा जानने में यूपीए-2 की सरकार विफल हुई। इस सरकार के 3 वरिष्ठ मंत्रियों को बाबा रामदेव को एयरपोर्ट पर मिलने जाने की कोई जरूरत नहीं थी। अण्णा हजारे और बाबा रामदेव के आंदोलनों का ठीक से सामना नहीं किया गया। कोयला खदानों के आवंटन के आरोपों से मनमोहन सिंह का दामन दागदार हुआ। कुछ बड़े लोगों ने इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
सुप्रिया सुले ने कहा जानबूझकर नहीं हटाए हिस्से
पवार की पुस्तक के उक्त हिस्सों को अंग्रेजी जीवनी से हटाए जाने पर सांसद सुप्रिया सुले ने फोन पर NDTV इंडिया से बात करते हुए कहा कि दोनों किताबें अलग हैं। दोनों की भाषा का फ्लेवर अलग है और प्रकाशक भी। यह एक भाषा से दूसरी भाषा में रूपांतरित किताब नहीं है, बल्कि राजनीतिक जीवनी है। इससे कोई भी हिस्सा जानबूझकर हटाया नहीं गया है।
सोनिया गांधी पर निशाना
मराठी जीवनी के दो अध्याय 'यूपीए बनते हुए' और 'यूपीए के दस साल' अंग्रेजी जीवनी में गायब हैं। इनमें पवार ने लिखा है कि यूपीए-1 के समय सोनिया गांधी ने किसी से पूछे बिना ही खुद को 272 सांसदों का समर्थन होने का दावा कर दिया। यूपीए-2 में सोनिया गांधी के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय सलाहकार परिषद का हस्तक्षेप मंत्रियों के विभाग में हद से ज्यादा बढ़ गया था। इस परिषद से मंत्रालयों को सीधे फैसले दिए जाते। इससे प्रधानमंत्री पद का अवमूल्यन हुआ। मनमोहन सिंह इस कारण चुप बैठने लगे। मुझे यह हालात व्यथित कर गए।
यूपीए-2 सरकार की आलोचना
पवार ने लिखा है कि जनता का गुस्सा जानने में यूपीए-2 की सरकार विफल हुई। इस सरकार के 3 वरिष्ठ मंत्रियों को बाबा रामदेव को एयरपोर्ट पर मिलने जाने की कोई जरूरत नहीं थी। अण्णा हजारे और बाबा रामदेव के आंदोलनों का ठीक से सामना नहीं किया गया। कोयला खदानों के आवंटन के आरोपों से मनमोहन सिंह का दामन दागदार हुआ। कुछ बड़े लोगों ने इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
सुप्रिया सुले ने कहा जानबूझकर नहीं हटाए हिस्से
पवार की पुस्तक के उक्त हिस्सों को अंग्रेजी जीवनी से हटाए जाने पर सांसद सुप्रिया सुले ने फोन पर NDTV इंडिया से बात करते हुए कहा कि दोनों किताबें अलग हैं। दोनों की भाषा का फ्लेवर अलग है और प्रकाशक भी। यह एक भाषा से दूसरी भाषा में रूपांतरित किताब नहीं है, बल्कि राजनीतिक जीवनी है। इससे कोई भी हिस्सा जानबूझकर हटाया नहीं गया है।
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