भगत सिंह.
नई दिल्ली :
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को शहीद दिवस के मौके पर भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को श्रद्धांजलि दी. पीएम ने कहा कि उन्होंने अपनी जिंदगी सिर्फ इसलिए कुर्बान कर दी ताकि और लोग अपनी जिंदगी को आजादी और सम्मान के साथ जी सकें.
पीएम मोदी ने ट्वीट किया, 'भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव की शहादत हमारे इतिहास में क्रांतिकारी पल है. हर भारतीय को इस बात पर गर्व है कि ये महान विभूतियां हमारी भूमि से हैं.' गौरतलब है कि अंग्रेजी हुकूमत ने भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को लाहौर षड्यंत्र मामले में मौत की सजा सुनाए जाने के बाद आज ही के दिन फांसी पर लटका दिया गया था.
यह भी पढ़ें : Bhagat Singh Quotes: ‘प्रेमी, पागल और कवि एक ही मिट्टी के बने होते हैं' ऐसे ही भगत सिंह के 10 Quotes
उन्होंने राजनीतिज्ञ और कार्यकर्ता राम मनोहर लोहिया को भी उनके जन्मदिन पर याद करते हुए कहा कि वह '20 वीं सदी के भारत के सबसे उल्लेखनीय व्यक्तियों में से एक' हैं. गौरतलब है कि 23 मार्च को शहीदी दिवस के रूप में मनाया जाता है. इसी दिन सन 1931 में भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को अंग्रेजी हुकूमत ने फांसी दी थी.
VIDEO : भगत सिंह के विचार हम कितना समझते हैं?
इतिहास में उल्लेख मिलता है कि भगत सिंह ने बटुकेश्वर दत्त के साथ मिलकर आठ अप्रैल 1929 को केन्द्रीय असेम्बली (वर्तमान संसद भवन) में एक ऐसे स्थान पर बम फेंका जहां कोई मौजूद नहीं था. उन्होंने अंग्रेजी हुकूमत की तानाशाही के खिलाफ उसे चेतावनी देने के लिए यह कदम उठाया था. बाद में उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया.
(इनपुट : भाषा)
The martyrdom of Bhagat Singh, Rajguru & Sukhdev was a watershed moment in our history. Every Indian is proud that these three great men belong to our land. At the peak of their youth they sacrificed their lives so that others can live a life of freedom and dignity. pic.twitter.com/XatfuPbyNK
— Narendra Modi (@narendramodi) March 23, 2018
पीएम मोदी ने ट्वीट किया, 'भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव की शहादत हमारे इतिहास में क्रांतिकारी पल है. हर भारतीय को इस बात पर गर्व है कि ये महान विभूतियां हमारी भूमि से हैं.' गौरतलब है कि अंग्रेजी हुकूमत ने भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को लाहौर षड्यंत्र मामले में मौत की सजा सुनाए जाने के बाद आज ही के दिन फांसी पर लटका दिया गया था.
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उन्होंने राजनीतिज्ञ और कार्यकर्ता राम मनोहर लोहिया को भी उनके जन्मदिन पर याद करते हुए कहा कि वह '20 वीं सदी के भारत के सबसे उल्लेखनीय व्यक्तियों में से एक' हैं. गौरतलब है कि 23 मार्च को शहीदी दिवस के रूप में मनाया जाता है. इसी दिन सन 1931 में भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को अंग्रेजी हुकूमत ने फांसी दी थी.
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इतिहास में उल्लेख मिलता है कि भगत सिंह ने बटुकेश्वर दत्त के साथ मिलकर आठ अप्रैल 1929 को केन्द्रीय असेम्बली (वर्तमान संसद भवन) में एक ऐसे स्थान पर बम फेंका जहां कोई मौजूद नहीं था. उन्होंने अंग्रेजी हुकूमत की तानाशाही के खिलाफ उसे चेतावनी देने के लिए यह कदम उठाया था. बाद में उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया.
(इनपुट : भाषा)
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