Delhi Pollution: जानलेवा प्रदूषण से घिरी राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में 23 अक्टूबर को रात में औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 335 दर्ज किया गया है जो कि बहुत खराब श्रेणी का है. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) ने दिल्ली में वायु गुणवत्ता के बिगड़ते स्तर के बीच सोमवार को जीआरएपी के दूसरे चरण को लागू किया, जिसमें कोयले और लकड़ी के साथ-साथ डीजल जनरेटर के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगा दिया गया और पार्किंग शुल्क भी बढ़ा दिया गया. ये प्रतिबंध मंगलवार सुबह आठ बजे से प्रभावी हो गए हैं.
बुधवार को तड़के सबसे अधिक प्रदूषित आनंद विहार इलाका है, जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक 400 है, जो गंभीर प्रदूषण की स्थिति है.
लुटियंस दिल्ली क्षेत्र में पार्किंग शुल्क दोगुना
राष्ट्रीय राजधानी में बढ़ते वायु प्रदूषण पर अंकुश लगाने के लिए एक और कदम उठाते हुए नई दिल्ली नगर पालिका परिषद (एनडीएमसी) ने लुटियंस दिल्ली क्षेत्र में अपने पार्किंग शुल्क को दोगुना कर दिया है. एनडीएमसी के आदेश में कहा गया है, ‘‘जलवायु परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (जीआरएपी) के दूसरे चरण के निरस्त होने तक एनडीएमसी द्वारा प्रबंधित पार्किंग के लिए पार्किंग शुल्क (ऑफ रोड/इनडोर) को बढ़ाकर दोगुना कर दिया गया है.''
इसमें कहा गया है कि सड़क पर पार्किंग स्थलों और पार्किंग के लिए मासिक पास धारकों के लिए शुल्क में वृद्धि लागू नहीं की जाएगी. एनडीएमसी ने आदेश के लिए तत्काल प्रभाव से सख्त अनुपालन का निर्देश दिया है.
एनडीएमसी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने समाचार एजेंसी पीटीआई-भाषा को बताया कि, ‘‘दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण को ध्यान में रखते हुए एनडीएमसी ने लोगों को सार्वजनिक परिवहन से यात्रा करने के लिए प्रोत्साहित करने के मकसद से पार्किंग शुल्क दोगुना करने का निर्णय लिया है.''
एनडीएमसी पार्किंग स्थलों पर पार्किंग के सामान्य शुल्क के तहत चौपहिया वाहनों से 20 रुपये प्रति घंटा (एक दिन के लिए अधिकतम 100 रुपये) शुल्क लिया जाता है, जबकि दो पहिया वाहनों से 10 रुपये प्रति घंटा शुल्क लिया जाता है. बहुस्तरीय पार्किंग स्थलों में कारों के लिए चार घंटे तक का शुल्क 10 रुपये तथा दोपहिया वाहनों के लिए चार घंटे तक का शुल्क पांच रुपये है.
दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) ने पार्किंग शुल्क में अब तक कोई वृद्धि नहीं की है और वृद्धि का प्रस्ताव सदन में मंजूरी के लिए लंबित है. नगर निगम का यह निर्णय ऐसे समय पर आया है जब पिछले कुछ दिनों से सुबह के समय दिल्ली में धुंध छा रही है और राष्ट्रीय राजधानी की वायु गुणवत्ता ‘बहुत खराब' श्रेणी में दर्ज की जा रही है.
पिछले वर्ष भी 21 अक्टूबर को जीआरएपी-द्वितीय लागू होने के बाद पार्किंग शुल्क दोगुना कर दिया गया था.
मेट्रो के अधिक फेरे, अतिरिक्त यातायातकर्मियों की तैनाती
दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने शहर में प्रदूषण के बढ़ते स्तर पर काबू पाने के लिए मंगलवार को कई उपाय घोषित किए, जिनमें मेट्रो ट्रेन के अतिरिक्त फेरे, सड़कों पर धूल को नियंत्रित करने के लिए एमसीडी के 6,000 से अधिक कर्मचारियों की तैनाती शामिल हैं. इसके साथ ही भीड़भाड़ वाले 97 स्थानों पर 1,800 से ज्यादा यातायात कर्मियों को तैनात किया जाएगा.
राष्ट्रीय राजधानी में प्रदूषण के स्तर में वृद्धि के मद्देनजर यहां क्रमिक प्रतिक्रिया कार्य योजना (जीआरएपी) के दूसरे चरण के लागू होने के बाद यह घोषणा की गई.
गोपाल राय ने कहा कि उन्होंने उत्तर प्रदेश, राजस्थान और हरियाणा जैसे पड़ोसी राज्यों के अपने समकक्षों को पत्र लिखकर दिल्ली में डीजल बसें नहीं भेजने का आग्रह किया है. उन्होंने आरोप लगाया कि पड़ोसी राज्यों में होने वाले प्रदूषण की दिल्ली में प्रदूषण के स्तर में बड़ी हिस्सेदारी है. राय ने कहा, “मैं केंद्र सरकार और सीएक्यूएम से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) शासित पड़ोसी राज्यों में प्रदूषण रोधी उपायों को लागू करने का आग्रह करता हूं, जहां से बड़ी संख्या में डीजल बसें दिल्ली आती हैं.”
उन्होंने कहा, “हमने हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान के परिवहन मंत्रियों को पत्र लिखकर उनसे या तो डीजल बसों को दिल्ली आने से रोकने या फिर इलेक्ट्रिक बसों का इस्तेमाल करने का आग्रह किया है.” राय ने बताया कि राष्ट्रीय राजधानी में भीड़भाड़ वाले 97 स्थानों पर 1,800 अतिरिक्त यातायात कर्मी तैनात किए जाएंगे, जबकि जीआरएपी-दो के तहत निर्माण-विध्वंस स्थलों पर निरीक्षण तेज किया जाएगा.
उन्होंने कहा कि प्रदूषण के खिलाफ जंग के तहत लोगों को सार्वजनिक परिवहन के इस्तेमाल के लिए प्रेरित करने के लिए दिल्ली मेट्रो बुधवार से रोजाना 40 अतिरिक्त फेरे लगाएगी, जबकि डीटीसी बसों के फेरे भी बढ़ाए जाएंगे.
राय ने कहा, “दिल्ली में मौसम में बदलाव के साथ ही प्रदूषण के स्तर में भी बढ़ोतरी देखने को मिल रही है. यह प्रवृत्ति दिल्ली तक ही सीमित नहीं है; पूरे उत्तर भारत में ऐसा देखा जा रहा है.” उन्होंने कहा, “वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) ने प्रदूषण के स्तर पर काबू पाने के लिए जीआरएपी के चार चरण बनाए हैं. मौजूदा समय में वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 300 से ऊपर है, जिसके कारण जीआरएपी का दूसरा चरण लागू किया गया है.”
राय ने कहा कि एक बैठक आयोजित की गई, जिसमें आवश्यक प्रतिबंधों को लागू करने के उपाय सुझाए गए. उन्होंने बताया, “पानी का छिड़काव बढ़ाया जाएगा. दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) इस बाबत 6,200 कर्मचारियों की तैनाती करेगा. हमने प्रदूषण के लिहाज से अधिक संवेदनशील क्षेत्रों में पानी का छिड़काव बढ़ाने का निर्देश दिया है. एमसीडी को निर्देश दिया गया है कि यह काम 25 अक्टूबर से शुरू कर दिया जाए.”
अधिकारियों के मुताबिक, प्रदूषण का कारण बनने वाली गतिविधियों पर नजर रखने के लिए शहर भर में 13 विभागों की 500 से अधिक टीमें तैनात की गई हैं. राय ने कहा कि प्रत्येक समर्पित टीम रोजाना शहर में दो निर्माण-विध्वंस स्थलों का निरीक्षण करेगी और ‘वॉर रूम' को रिपोर्ट सौंपेगी.
उन्होंने बताया कि बिजली वितरण कंपनियों को यह सुनिश्चित करने के लिए लगातार आपूर्ति करने का निर्देश दिया गया है कि डीजल जनरेटर का इस्तेमाल न किया जाए. राय ने कहा कि नई दिल्ली नगरपालिका परिषद (एनडीएमए) और दिल्ली नगर निगम को पार्किंग शुल्क बढ़ाने के विकल्प सुझाने का निर्देश दिया गया है, जिसे जीआरएपी-II के तहत बढ़ाया जाता है.
उन्होंने बताया कि जिन रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन (आरडब्ल्यूए) और अन्य जगहों पर रात की पाली में काम करने वाले कर्मचारी तैनात हैं, उन्हें दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) से हीटर उपलब्ध कराने के लिए कहा जाएगा.
राष्ट्रीय राजधानी में वायु गुणवत्ता के बिगड़ने के बीच नई दिल्ली नगरपालिका परिषद (एनडीएमसी) ने मंगलवार को प्रदूषण के स्तर पर अंकुश लगाने के उद्देश्य से कड़े कदम उठाए. एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) के निर्देशों के तहत, सभी रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन (आरडब्ल्यूए) और मार्केट ट्रेड एसोसिएशन (एमटीए) को सार्वजनिक स्वास्थ्य की सुरक्षा और वायु गुणवत्ता में सुधार के लिए जारी दिशा-निर्देशों को तुरंत लागू करने का निर्देश दिया गया है.
कचरा जलाने पर 5,000 रुपये का जुर्माना
जारी दिशा-निर्देशों के अनुसार, प्रमुख उपायों में से एक खुले में कचरा जलाने पर सख्त प्रतिबंध है, जिसे हानिकारक उत्सर्जन के एक महत्वपूर्ण स्रोत के रूप में पहचाना गया है. इसमें कहा गया है, ‘‘उल्लंघन करने वालों को 5,000 रुपये का प्रारंभिक जुर्माना देना होगा और बार-बार उल्लंघन करने पर भारी जुर्माना देना होगा. आरडब्ल्यूए और एमटीए से यह सुनिश्चित करने की अपेक्षा की जाती है कि उनके संबंधित इलाकों में ऐसी कोई गतिविधि न हो.''
एनडीएमसी के दिशा-निर्देशों के मुताबिक, सुरक्षा गार्ड द्वारा बायोमास या लकड़ी को जलाने से रोकने के लिए, आरडब्ल्यूए को ठंड के मौसम में उनके उपयोग के लिए इलेक्ट्रिक हीटर उपलब्ध कराने होंगे. इसमें कहा गया है कि निर्माण गतिविधियों से उत्पन्न धूल प्रदूषण से निपटने के लिए एनडीएमसी ने सभी निर्माण और तोड़फोड़ स्थलों को ढकने का आदेश दिया है.
इसमें कहा गया है, ‘‘आरडब्लूए यह सुनिश्चित करने के लिए जिम्मेदार हैं कि निर्माण से जुड़े मलबे को ठीक तरह से ढका जाए, और किसी भी उल्लंघन की सूचना त्वरित कार्रवाई के लिए एनडीएमसी के ऐप के माध्यम से दी जानी चाहिए.''
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