मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा ने कड़ी टिप्पणी की थी
नई दिल्ली:
वरिष्ठ वकील राजीव धवन ने कोर्ट में वकालत से संन्यास लेने का फैसला लिया है. धवन ने इस संबंध में मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा को एक पत्र भी लिखा है. पत्र में उन्होंने लिखा है कि दिल्ली सरकार के केस के अंतिम दिन की सुनवाई में हुए अपमान से वो आहत हैं इसलिए वो कोर्ट प्रैक्टिस छोड़ रहे हैं. धवन ने ये भी लिखा है कि हालांकि मुख्य न्यायाधीश उनका सीनियर वकील वाला गाऊन ले सकते हैं लेकिन वो इसे अपनी सेवाओं और याद के लिए रखना चाहते हैं. दरअसल 6 दिसंबर को दिल्ली सरकार बनाम उपराज्यपाल की सुनवाई के अंतिम दिन मुख्य न्यायाधीश और दिल्ली सरकार की ओर से पेश राजीव धवन के बीच तीखी बहस हो गई थी और धवन ने काफी ऊंची आवाज में बात की थी. इसके बाद राम जन्मभूमि-बाबरी विवाद मामले में भी सुनवाई के दौरान भी कुछ ऐसा ही हुआ.
बीजेपी नेता ने सुप्रीम कोर्ट में दायर की याचिका, संवैधानिक पीठ के गठन की मांग
दूसरे दिन वरिष्ठ वकील के ऊंची आवाज में बात करने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जाहिर की थी. चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने कहा कि अगर बार एसोसिएशन इसे रेगुलेट नहीं करता तो हम करेंगे. जस्टिस दीपक मिश्रा ने कहा कि ऊंची आवाज में बहस करना किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जायेगा. उन्होंने कहा, 'ये दुर्भाग्यपूर्ण है कि कुछ वकील सोचते हैं कि वो ऊंची आवाज में बहस कर सकते है जबकि वो ये नहीं जानते इस तरह बहस करना ये बताता है कि वो सीनियर एडवोकेट होने के लिए सक्षम नही हैं.
वीडियो : प्रदूषण पर मुख्य न्यायाधीश ने की थी सख्ती
मुख्य न्यायाधीश ने कहा, जो कुछ हुआ वो हम आदेश में कड़े शब्दों में लिखना चाहते थे. लेकिन वकीलों ने कहा कि न लिखें इसलिए हमने दया दिखाई. सुनवाई के दौरान कोर्ट सवाल पूछता ही है, कोई संवैधानिक भाषा में जवाब ना दे तो क्या किया जाए?'
बीजेपी नेता ने सुप्रीम कोर्ट में दायर की याचिका, संवैधानिक पीठ के गठन की मांग
दूसरे दिन वरिष्ठ वकील के ऊंची आवाज में बात करने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जाहिर की थी. चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने कहा कि अगर बार एसोसिएशन इसे रेगुलेट नहीं करता तो हम करेंगे. जस्टिस दीपक मिश्रा ने कहा कि ऊंची आवाज में बहस करना किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जायेगा. उन्होंने कहा, 'ये दुर्भाग्यपूर्ण है कि कुछ वकील सोचते हैं कि वो ऊंची आवाज में बहस कर सकते है जबकि वो ये नहीं जानते इस तरह बहस करना ये बताता है कि वो सीनियर एडवोकेट होने के लिए सक्षम नही हैं.
वीडियो : प्रदूषण पर मुख्य न्यायाधीश ने की थी सख्ती
मुख्य न्यायाधीश ने कहा, जो कुछ हुआ वो हम आदेश में कड़े शब्दों में लिखना चाहते थे. लेकिन वकीलों ने कहा कि न लिखें इसलिए हमने दया दिखाई. सुनवाई के दौरान कोर्ट सवाल पूछता ही है, कोई संवैधानिक भाषा में जवाब ना दे तो क्या किया जाए?'
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं