चीन की सेना की पाकिस्तान में तैनाती भारत के लिए चिंता का विषय है (फाइल फोटो : Reuters)
नई दिल्ली:
चीनी सेना अब पाकिस्तान में तैनात होने जा रही है। ऐसा 3000 किलोमीटर लंबे पाकिस्तान-चीन इकोनॉमिक कॉरिडोर की सुरक्षा के लिए किया जा रहा है। यह कॉरिडोर बलूचिस्तान के ग्वादर पोर्ट को शिनजियांग से जोड़ता है।
पाकिस्तान ने हाइवे की सुरक्षा के लिए तीन स्वतंत्र इन्फैंट्री ब्रिगेड और दो आर्टिलरी रेजीमेंट की तैनाती की है। एक ब्रिगेड में कम से कम 3 रेजीमेंट होती हैं और हरेक में 1000 सैनिक होते हैं।
चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर यानी सीपीईसी पाकिस्तान के बलूचिस्तान से मकरान कोस्ट होते हुए उत्तर की ओर लाहौर और इस्लामाबाद को जोड़ता है। यह पीओके के गिलगिट-बाल्टिस्तान होते हुए काराकोरम हाइवे को जोड़ेगा। यह चीन के काशगर में शिनजियांग पर जाकर खत्म होगा।
हालांकि चीन की पीपुल्स लिब्रेशन आर्मी (PLA) को हाइवे की सुरक्षा के लिए लगाया जा रहा है, लेकिन उसकी पाकिस्तान में उपस्थिति भारत के लिए चिंता का सबब है। नई दिल्ली की ओर से इससे पहले गिलगिट पाकिस्तान में चीन की मौजूदगी को लेकर आपत्ति जताई जा चुकी है।
एक सरकारी अफसर ने एनडीटीवी ने कहा कि हम इस घटना पर बारीकी से नजर रखे हुए हैं। हमें इस बात की जानकारी है कि कितनी संख्या में चीनी सेना के जवान वहां तैनात होने जा रहे हैं।
सरकारी सूत्रों के मुताबिक, यह इस बात की ओर इशारा है कि पाकिस्तान इस रीजन में अपनी पैठ बढ़ाकर इसे अपना पांचवां प्रांत बनाना चाह रहा है। पाकिस्तान को इस कदम से वहां के स्थानीय लोगों के विरोध का सामना करना पड़ सकता है।
इस कॉरिडोर का पहला फेज दिसंबर तक पूरा होने की उम्मीद है। यह कॉरिडोर तीन साल में पूरा होगा। इसके चलते चीन को हिंद महासागर और उससे आगे वाले क्षेत्र में सीधी पहुंच हासिल हो जाएगी।
इस कॉरिडोर का उपयोग संभवत: खाड़ी क्षेत्र से चीन में अन्य चीजों के साथ-साथ ईंधन और पेट्रोलियम पदार्थों के परिवहन के लिए किया जाएगा। इससे चीन को मध्य पूर्व से ऊर्जा संबंधी चीजों के आयात के लिए लगभग 12000 किलोमीटर की दूरी कम तय करनी पड़ेगी।
पाकिस्तान ने हाइवे की सुरक्षा के लिए तीन स्वतंत्र इन्फैंट्री ब्रिगेड और दो आर्टिलरी रेजीमेंट की तैनाती की है। एक ब्रिगेड में कम से कम 3 रेजीमेंट होती हैं और हरेक में 1000 सैनिक होते हैं।
चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर यानी सीपीईसी पाकिस्तान के बलूचिस्तान से मकरान कोस्ट होते हुए उत्तर की ओर लाहौर और इस्लामाबाद को जोड़ता है। यह पीओके के गिलगिट-बाल्टिस्तान होते हुए काराकोरम हाइवे को जोड़ेगा। यह चीन के काशगर में शिनजियांग पर जाकर खत्म होगा।
हालांकि चीन की पीपुल्स लिब्रेशन आर्मी (PLA) को हाइवे की सुरक्षा के लिए लगाया जा रहा है, लेकिन उसकी पाकिस्तान में उपस्थिति भारत के लिए चिंता का सबब है। नई दिल्ली की ओर से इससे पहले गिलगिट पाकिस्तान में चीन की मौजूदगी को लेकर आपत्ति जताई जा चुकी है।
एक सरकारी अफसर ने एनडीटीवी ने कहा कि हम इस घटना पर बारीकी से नजर रखे हुए हैं। हमें इस बात की जानकारी है कि कितनी संख्या में चीनी सेना के जवान वहां तैनात होने जा रहे हैं।
सरकारी सूत्रों के मुताबिक, यह इस बात की ओर इशारा है कि पाकिस्तान इस रीजन में अपनी पैठ बढ़ाकर इसे अपना पांचवां प्रांत बनाना चाह रहा है। पाकिस्तान को इस कदम से वहां के स्थानीय लोगों के विरोध का सामना करना पड़ सकता है।
इस कॉरिडोर का पहला फेज दिसंबर तक पूरा होने की उम्मीद है। यह कॉरिडोर तीन साल में पूरा होगा। इसके चलते चीन को हिंद महासागर और उससे आगे वाले क्षेत्र में सीधी पहुंच हासिल हो जाएगी।
इस कॉरिडोर का उपयोग संभवत: खाड़ी क्षेत्र से चीन में अन्य चीजों के साथ-साथ ईंधन और पेट्रोलियम पदार्थों के परिवहन के लिए किया जाएगा। इससे चीन को मध्य पूर्व से ऊर्जा संबंधी चीजों के आयात के लिए लगभग 12000 किलोमीटर की दूरी कम तय करनी पड़ेगी।
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