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This Article is From May 05, 2024

"धर्मनिरपेक्षता का मतलब यह नहीं है कि आप अपने ही धर्म को नकार दें": कटक में बोले एस जयशंकर 

S Jai Shankar comment on Secularism : धर्मनिरपेक्षता पर विदेश मंत्री जयशंकर का यह बयान तब आया है जब अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा कि भारत, चीन, जापान और रूस की प्रकृति "जेनोफोबिक" है.

"धर्मनिरपेक्षता का मतलब यह नहीं है कि आप अपने ही धर्म को नकार दें": कटक में बोले एस जयशंकर 
S Jai Shankar comment on Secularism : ओडिशा में चुनाव प्रचार के दौरान धर्मनिरपेक्षता पर एस जयशंकर ने अपनी राय रखी.
कटक (ओडिशा):

S Jai Shankar comment on Secularism: विदेश मंत्री एस जयशंकर (External Affairs Minister S Jaishankar) ने रविवार को कहा कि धर्मनिरपेक्षता (Secularism) का अर्थ सभी धर्मों के लिए सम्मान है और इसका मतलब यह नहीं है कि आप अपने धर्म को ही नकार दें या किसी तरह अपनी संस्कृति और विरासत पर गर्व करना छोड़ दें. जयशंकर की यह टिप्पणी लोकसभा चुनावों के बीच भाजपा के लिए प्रचार करते समय ओडिशा (Odisha) के कटक (Cuttack) में एक संवाद सत्र के दौरान आई. यह पूछे जाने पर कि देश की विदेश नीति में धर्मनिरपेक्षता को कैसे शामिल किया जा सकता है, विदेश मंत्री जयशंकर ने बताया, "सबसे पहले यह स्पष्ट कर लें कि धर्मनिरपेक्षता से हमारा क्या मतलब है. धर्मनिरपेक्षता का मतलब सभी धर्मों के लिए सम्मान है. धर्मनिरपेक्षता का मतलब यह नहीं है कि आप अपने धर्म को नकार दें. धर्म या अपनी संस्कृति और विरासत पर आपको किसी तरह का गर्व नहीं है."

जयशंकर ने कहा, "ये जीवन के तथ्य हैं. अगर 3,000 साल पहले कुछ था, तो यह एक वास्तविकता थी. इसलिए हमें इनमें से कई चीजों के बारे में डिफेंसिव नहीं होना चाहिए. मैं सभी धर्मों का सम्मान करूंगा लेकिन जाहिर तौर पर जैसा कि आप जानते हैं, एक व्यक्ति के रूप में अपने राज्य पर मुझे गर्व होगा. मैं इस तरह से कार्य करूंगा, जिसमें मैं सभी का संज्ञान लूंगा लेकिन मैं किसी भी तरह से अपनी पहचान से समझौता नहीं करूंगा और मुझे लगता है कि हमें इसके लिए सम्मान भी मिलता है. उन्होंने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि भारत एक "विश्वबंधु" राष्ट्र बन गया है जो अस्थिरता, अराजकता और युद्ध वाली दुनिया में सभी के साथ सद्भाव से काम करता है."

विदेश मंत्री ने कहा, "एक 'विश्वबंधु' राष्ट्र को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लाभ होता है. एक 'विश्वबंधु' अस्थिरता, अराजकता और युद्ध वाली दुनिया में भी सभी के साथ सद्भाव से काम करता है. यह अब भारत की पहचान बन गई है. हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए, हमारे पास इतने सारे भागीदार हैं कि हम अमेरिका, यूरोप, रूस, खाड़ी देशों या इजरायल के साथ एक साथ हाथ मिला सकते हैं. उन्होंने कहा, "इन देशों के आंतरिक झगड़े हो सकते हैं. जो देश अपने राष्ट्रीय हितों के लिए विभिन्न देशों से निपट सकता है और उनके साथ साझेदारी स्थापित कर सकता है, उसे विश्वबंधु कहा जाता है. एक विश्वबंधु वैश्विक स्तर पर 'सबका साथ, सबका विकास' करता है."

धर्मनिरपेक्षता पर विदेश मंत्री जयशंकर का यह बयान तब आया है जब अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा कि भारत, चीन, जापान और रूस की प्रकृति "जेनोफोबिक" है. बाइडेन ने कहा कि भारत, चीन, जापान और रूस की "जेनोफोबिक" प्रकृति उनकी आर्थिक समस्याओं के लिए जिम्मेदार है और तर्क दिया कि अमेरिका की अर्थव्यवस्था बढ़ रही है क्योंकि वह अपनी धरती पर अप्रवासियों का स्वागत करता है. उन्होंने वाशिंगटन में एक धन उगाहने वाले कार्यक्रम में अपने पुन: चुनाव के लिए प्रचार करते समय यह बयान दिया और तर्क दिया कि यदि तो रूस और चीन के साथ जापान आप्रवासन को अधिक अपनाते हैं तो ये आर्थिक रूप से बेहतर प्रदर्शन करेंगे.

अमेरिकी राष्ट्रपति की टिप्पणी के बाद, विदेश मंत्री जयशंकर ने शनिवार को अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन की "जेनोफोबिया" टिप्पणी का खंडन किया और तर्क दिया कि भारत की आर्थिक वृद्धि 7 प्रतिशत है, जो कई अन्य देशों की तुलना में अधिक है. जयशंकर ने दोहराया कि भारत सबसे खुला, बहुलवादी और विविधतापूर्ण समाज है और "जेनोफोबिक" नहीं है. हम सबसे खुले समाज हैं, आज तक मैंने इतना खुला समाज, इतना बहुलवादी समाज, इतना विविधतापूर्ण समाज कभी नहीं देखा है, इसलिए मैं कहूंगा कि हम वास्तव में जेनोफोबिक नहीं हैं. हम सबसे खुले, सबसे बहुलवादी हैं और कई मायनों में, दुनिया में सबसे समझदार समाज हैं. जयशंकर ने अपनी पुस्तक "व्हाई भारत मैटर्स (Why Bharat Matters)" पर भुवनेश्वर में पेशेवरों के साथ बातचीत करते हुए ये बाते कहीं.

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