भारत इतिहास रचने के करीब है क्योंकि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के महत्वाकांक्षी तीसरे चंद्र अभियान चंद्रयान-3 का लैंडर मॉड्यूल (एलएम) आज शाम को चंद्रमा की सतह को छूने को तैयार है. भारत का ये मिशन दुनियाभर के लिए बेहद ही खास है. इसी पर एयरोनॉटिकल सोसाइटी ऑफ इंडिया अध्यक्ष और पूर्व डीआरडीओ चेयरमैन जी सतीश रेड्डी ने एनडीटीवी संग खास बातचीत में बताया कि इस मून मिशन के क्या मायने है.
जी सतीश रेड्डी ने कहा कि आज का दिन देश के साइंस और टेक में महत्वपूर्ण दिन है. 5:45 के बाद वेलोसिटी कम करके मून के ऊपर 2 m/ sec वेलोसिटी से विक्रम लैंडर लैंड होगा. ये एक महत्वपूर्ण उपलब्धि होगी. अमेरिका, रूस और चीन के बाद ये उपलब्धि हासिल करने वाला भारत चौथा देश होगा. इस मौके पर मेरी शुभकामनाएं ISRO साइंटिस्ट और देश के वैज्ञानिकों के साथ है. साइंस और टेक्नोलॉजी में मील का पत्थर होगा. इससे विश्वास मिलेगा है कि हम इतना बड़ा मिशन कर सकते हैं.
इससे आगे आने वाले वक्त में रिसर्च और साइंटिस्ट को बड़े मिशन का इंस्पिरेशन मिलेगा, और विश्वास बढ़ेगा. मून के साउथ पोल में कभी एक्सपेरिमेंट नहीं किया गया है, ये तो पहली बार है. रोवर वाटर, मिनरल्स, मेटल्स और मीट्रियल्स के लिए एक्सपेरिमेंट करेगा. मून के ऊपर क्या है और साइंटिफिक रिसर्च के लिए इनफॉर्मेशन आगे काफी यूजफुल होने वाला है. ये भारत के लिए ही नहीं, पूरी दुनिया के लिए बहुत यूजफुल होने वाला है. आने वाले दिन में इससे और बड़ा रिसर्च कर सकते हैं और आगे बढ़ सकते हैं.
देश के लिए बहुत गर्व का पल है. साइंस और टेक को इससे बहुत विश्वास मिलेगा. इसमें रॉकेट से लेकर, प्रोपेलेंट के लेकर, सिस्टम्स, कंट्रोल गाइडेंस, सैटेलाइट और उसकी टेक्नोलॉजी, लैंडर, रोवर सब देश में बना है. देश की टेक्नोलॉजी, डिजाइन, रिसर्च है लिहाज़ा आत्मनिर्भरता में ये बड़ा कदम होगा. आने वाले दिन में हम दुनिया को लीड कर सकते हैं. ये संदेश आज के एक्सपेरिमेंट के जरिए दुनिया को जाएगा.
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