नई दिल्ली:
ग्रीष्मकालीन अवकाश के बावजूद सुप्रीम कोर्ट में राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (एनजेएसी) कानून की संवैधानिक वैधता पर बहस सोमवार से फिर शुरू होगी।
न्यायमूर्ति जे एस खेहर की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने 12 मई को केंद्र का यह आग्रह ठुकरा दिया था कि एनजेएसी के खिलाफ दायर याचिकाएं नौ या 11 न्यायाधीशों की पीठ के पास भेज दी जाएं। साथ ही पीठ ने अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी का यह सुझाव भी खारिज कर दिया कि इस मामले की सुनवाई ग्रीष्मकालीन अवकाश के बाद अगले माह की जाए।
पीठ में न्यायमूर्ति खेहर के अलावा न्यायमूर्ति जे चेलामेश्वर, न्यायमूर्ति एम बी लोकुर, न्यायमूर्ति कुरियन जोसफ और न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल भी हैं। इस मुद्दे की गुण-दोष पर विचार करने का फैसला कर चुकी पीठ ने स्पष्ट किया है कि राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग को चुनौती देने संबंधी मुद्दा आवश्यकता पड़ने पर बाद में वृहद पीठ के पास भेजा जा सकता है।
साथ ही न्यायालय ने आदेश दिया कि एक अंतरिम उपाय के तौर पर हाई कोर्ट के वे अतिरिक्त न्यायाधीश तीन माह तक पद पर बने रहें जिनका कार्यकाल निकट भविष्य में समाप्त होने वाला है। पीठ ने स्पष्ट किया कि मामले में यथाशीघ्र सुनवाई जरूरी है क्योंकि विस्तृत फैसला दिया जाना है जिसके लिए समय की जरूरत होगी और छुट्टियों से न्यायाधीशों को फैसला लिखने में मदद मिलेगी।
न्यायालय एनजेएसी के खिलाफ ‘सुप्रीम कोर्ट एड्वोकेट्स ऑन रिकॉर्ड एसोसिएशन’ (एससीएओआरए) द्वारा दायर अपीलों सहित याचिकाओं के एक समूह पर सुनवाई कर रहा है। एससीएओआरए की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता एफ.एस. नरीमन ने इस आधार पर एनजेएसी की प्रक्रिया पर रोक लगाने की मांग की कि किसी भी मामले में नई व्यवस्था काम नहीं कर रही है क्योंकि प्रधान न्यायमूर्ति इसमें शिरकत नहीं कर रहे हैं।
न्यायमूर्ति जे एस खेहर की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने 12 मई को केंद्र का यह आग्रह ठुकरा दिया था कि एनजेएसी के खिलाफ दायर याचिकाएं नौ या 11 न्यायाधीशों की पीठ के पास भेज दी जाएं। साथ ही पीठ ने अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी का यह सुझाव भी खारिज कर दिया कि इस मामले की सुनवाई ग्रीष्मकालीन अवकाश के बाद अगले माह की जाए।
पीठ में न्यायमूर्ति खेहर के अलावा न्यायमूर्ति जे चेलामेश्वर, न्यायमूर्ति एम बी लोकुर, न्यायमूर्ति कुरियन जोसफ और न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल भी हैं। इस मुद्दे की गुण-दोष पर विचार करने का फैसला कर चुकी पीठ ने स्पष्ट किया है कि राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग को चुनौती देने संबंधी मुद्दा आवश्यकता पड़ने पर बाद में वृहद पीठ के पास भेजा जा सकता है।
साथ ही न्यायालय ने आदेश दिया कि एक अंतरिम उपाय के तौर पर हाई कोर्ट के वे अतिरिक्त न्यायाधीश तीन माह तक पद पर बने रहें जिनका कार्यकाल निकट भविष्य में समाप्त होने वाला है। पीठ ने स्पष्ट किया कि मामले में यथाशीघ्र सुनवाई जरूरी है क्योंकि विस्तृत फैसला दिया जाना है जिसके लिए समय की जरूरत होगी और छुट्टियों से न्यायाधीशों को फैसला लिखने में मदद मिलेगी।
न्यायालय एनजेएसी के खिलाफ ‘सुप्रीम कोर्ट एड्वोकेट्स ऑन रिकॉर्ड एसोसिएशन’ (एससीएओआरए) द्वारा दायर अपीलों सहित याचिकाओं के एक समूह पर सुनवाई कर रहा है। एससीएओआरए की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता एफ.एस. नरीमन ने इस आधार पर एनजेएसी की प्रक्रिया पर रोक लगाने की मांग की कि किसी भी मामले में नई व्यवस्था काम नहीं कर रही है क्योंकि प्रधान न्यायमूर्ति इसमें शिरकत नहीं कर रहे हैं।
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