
प्रतीकात्मक फोटो
नई दिल्ली:
सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा में गाय को राज्य पशु घोषित करने और मेडिकल से जुड़े काम के लिए गोहत्या पर बैन लगाने वाली याचिका को सुनने से इनकार कर दिया। कोर्ट ने कहा कि यह मामला न तो मूल अधिकारों के हनन का है और न ही कानून के उल्लंघन का, लिहाजा इस मामले की सुनवाई नहीं की जा सकती।
याचिकाकर्ता नरेश कादयान ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर कहा था कि हरियाणा में प्रिवेंशन ऑफ एनिमल एक्ट मे किए गए संशोधन को रद्द किया जाए। इसमें कहा गया है कि राज्य में गोहत्या पर रोक है, लेकिन मेडिकल कामों के लिए यह किया जा सकता है। इसके अलावा अगर गाय पकड़ी जाती है तो ट्रायल के दौरान उन्हें सरकार की बनाई जगहों पर रखा जाए।
हालांकि इससे पहले पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट भी इस याचिका को खारिज कर चुका है, लेकिन चीफ जस्टिस ने सुनवाई के दौरान कहा कि कोई शख्स कोर्ट में दो मामलो में आ सकता है। पहला यह कि उसके मूल अधिकारों का हनन हो रहा हो और दूसरा यह कि कानून का उल्लंघन किया गया हो। इस मामले में दोनों में से कुछ नहीं है। लिहाजा यह याचिका सुनवाई योग्य नहीं है और खारिज की जाती है।
याचिकाकर्ता नरेश कादयान ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर कहा था कि हरियाणा में प्रिवेंशन ऑफ एनिमल एक्ट मे किए गए संशोधन को रद्द किया जाए। इसमें कहा गया है कि राज्य में गोहत्या पर रोक है, लेकिन मेडिकल कामों के लिए यह किया जा सकता है। इसके अलावा अगर गाय पकड़ी जाती है तो ट्रायल के दौरान उन्हें सरकार की बनाई जगहों पर रखा जाए।
हालांकि इससे पहले पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट भी इस याचिका को खारिज कर चुका है, लेकिन चीफ जस्टिस ने सुनवाई के दौरान कहा कि कोई शख्स कोर्ट में दो मामलो में आ सकता है। पहला यह कि उसके मूल अधिकारों का हनन हो रहा हो और दूसरा यह कि कानून का उल्लंघन किया गया हो। इस मामले में दोनों में से कुछ नहीं है। लिहाजा यह याचिका सुनवाई योग्य नहीं है और खारिज की जाती है।
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