नई दिल्ली:
गंगा को बचाने के लिए 15 जनवरी से आमरण अनशन पर बैठे 80 वर्षीय पर्यावरणविद जीडी अग्रवाल ने शुक्रवार को सरकार की ओर से अपनी मांगों पर सहमति मिलने के बाद अनशन समाप्त कर दिया।
अग्रवाल ने अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में जूस पीकर अनशन समाप्त किया। उन्हें हालत बिगड़ने पर सोमवार को उत्तर प्रदेश के वाराणसी से यहां लाया गया था। अग्रवाल ने नौ मार्च से पानी पीना भी बंद कर दिया था। इंडियन इंस्टीट्यूट के पूर्व प्रोफेसर अग्रवाल गंगा की सफाई के लिए केंद्र सरकार द्वारा गठित नेशनल गंगा रीवर बेसिन ऑथोरिटी (एनजीआरबीए) के असंतोषजनक तथा अप्रभावी कामकाज से नाखुश थे।
इसके अतिरिक्त वह गंगा पर बांध, बैराज, सुरंग बनाने के भी खिलाफ थे। उनका कहना था कि इससे नदी का प्राकृतिक प्रवाह एवं गुणवत्ता प्रभावित होगी। साथ ही गंगा से शहरी व औद्योगिक कचरों की सफाई करने वाली नियामक एजेंसियां भी विफल हो जाएंगी।
सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे ने भी गुरुवार को प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से पत्र लिखकर अपील की थी कि अग्रवाल के गिरते स्वास्थ्य को देखते हुए वह एनजीआरबीए की बैठक जल्द से जल्द बुलाएं। अग्रवाल ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सचिव के रूप में भी अपनी सेवा दी है। साथ ही देश में पर्यावरण से सम्बंधित कानूनों के निर्माण में भी उन्होंने मदद की है। पिछले चार साल में यह उनका तीसरा आमरण अनशन था।
अग्रवाल ने अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में जूस पीकर अनशन समाप्त किया। उन्हें हालत बिगड़ने पर सोमवार को उत्तर प्रदेश के वाराणसी से यहां लाया गया था। अग्रवाल ने नौ मार्च से पानी पीना भी बंद कर दिया था। इंडियन इंस्टीट्यूट के पूर्व प्रोफेसर अग्रवाल गंगा की सफाई के लिए केंद्र सरकार द्वारा गठित नेशनल गंगा रीवर बेसिन ऑथोरिटी (एनजीआरबीए) के असंतोषजनक तथा अप्रभावी कामकाज से नाखुश थे।
इसके अतिरिक्त वह गंगा पर बांध, बैराज, सुरंग बनाने के भी खिलाफ थे। उनका कहना था कि इससे नदी का प्राकृतिक प्रवाह एवं गुणवत्ता प्रभावित होगी। साथ ही गंगा से शहरी व औद्योगिक कचरों की सफाई करने वाली नियामक एजेंसियां भी विफल हो जाएंगी।
सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे ने भी गुरुवार को प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से पत्र लिखकर अपील की थी कि अग्रवाल के गिरते स्वास्थ्य को देखते हुए वह एनजीआरबीए की बैठक जल्द से जल्द बुलाएं। अग्रवाल ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सचिव के रूप में भी अपनी सेवा दी है। साथ ही देश में पर्यावरण से सम्बंधित कानूनों के निर्माण में भी उन्होंने मदद की है। पिछले चार साल में यह उनका तीसरा आमरण अनशन था।
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