
फलस्तीनी आतंकवादी समूह हमास (Hamas) के रॉकेट हमलों के बाद इज़रायल लगातार गाजा पट्टी पर हमले कर रहे है. इस बीच सऊदी अरब ने कहा है कि वह शांति स्थापित करने के लिए फ़िलिस्तीनियों के साथ खड़ा है. सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने फिलिस्तीनी राष्ट्रपति महमूद अब्बास से कहा कि वह इज़रायल पर हमास के हमले के बाद बढ़े संघर्ष को रोकने के लिए काम कर रहे हैं.
सऊदी प्रेस एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने महमूद अब्बास से कहा कि खाड़ी साम्राज्य "फिलिस्तीनी लोगों को उनके सभ्य जीवन के वैध अधिकारों को प्राप्त करने, उनकी आशाओं और आकांक्षाओं को प्राप्त करने और न्यायपूर्ण और स्थायी शांति प्राप्त करने के लिए उनके साथ खड़ा रहेगा."
हमास के ज़मीनी, हवाई और समुद्री हमलों से इज़राइल में 800 लोगों की मौत हो गई. इसके बाद इज़रायल ने गाजा पर हमलों की झड़ी लगा दी है, जिससे वहां मरने वालों की संख्या 687 हो गई है. बताया जा रहा है कि बढ़ती हिंसा इन अटकलों के बीच शुरू हुई कि सऊदी अरब, जिसने कभी भी इज़राइल को मान्यता नहीं दी है, एक समझौते के तहत संबंधों को सामान्य बनाने के लिए सहमत हो रहा है, जिसमें वह अमेरिका से सुरक्षा गारंटी प्राप्त करेगा और साथ ही एक नागरिक परमाणु कार्यक्रम विकसित करने में सहायता करेगा.
हालांकि, प्रिंस मोहम्मद ने पिछले महीने फॉक्स न्यूज़ को बताया था कि फ़िलिस्तीनी मुद्दा सऊदी अरब के लिए "बहुत महत्वपूर्ण" था, जहां मक्का और मदीना में इस्लाम के सबसे पवित्र स्थल हैं. प्रिंस मोहम्मद ने कहा, "हमें उस हिस्से को हल करने की जरूरत है. हमें फिलिस्तीनियों के जीवन को आसान बनाने की जरूरत है."
साल 2020 के बाद से इजरायल-फ़लस्तीनी संघर्ष और मरने वालों की संख्या में लगातार वृद्धि हुई है. फ़लस्तीनी बेदखली और संपत्ति के विनाश से नाराज हैं, और इस बात से भी नाराज हैं कि इजरायल इजरायली राष्ट्रवादियों और वहां बसने वालों को अल-अक्सा मस्जिद, जो मुसलमानों और यहूदियों के लिए समान रूप से पवित्र है- में यहूदियों को प्रार्थना करने से रोकने वाले लंबे समय से चले आ रहे समझौते का उल्लंघन करने की अनुमति देता है.
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