- सतारा की एक महिला डॉक्टर ने बीती रात सुसाइड कर लिया. डॉक्टर ने पुलिस पर रेप और उत्पीड़न का आरोप लगाया है.
- मृत डॉक्टर ने अपने सुसाइड नोट में एक सांसद और उसके सचिव का नाम लेकर पुलिस अधिकारी पर गंभीर आरोप लगाए थे.
- आरोपी पुलिस अधिकारी गोपाल बदने पर डॉक्टर ने चार बार रेप का आरोप लगाया था और विभागीय जांच भी शुरू हुई थी.
Satara Doctor Suicide Case: ऊपर तस्वीर में आप जिस बेजान हथेली को देख रहे हैं, वो कल तक किसी की जान बचाने का काम किया करते थे. इन अंगुलियों में मेडिकल इक्यूपमेंट हुआ करती थी. आज ये हथेली खुद बेजान पड़ी है. लेकिन बेजान होने के बावजूद इस हथेली ने हमारे सिस्टम के उस भयानक सच को सामने ला दिया, जिसमें रसूखदार लोग अपनी पहुंच के जरिए मनचाहा काम करवाते हैं.
सतारा में लेडी डॉक्टर ने किया सुसाइड
दरअसल तस्वीर में दिख रही बेजान हथेली महाराष्ट्र के सतारा की एक लेडी डॉक्टर की है. लेडी डॉक्टर ने बीती रात एक होटल के कमरे में सुसाइड कर लिया. उनकी हथेली पर कुछ नाम लिखे मिले. जिसके जरिए मामले में एक पुलिस अधिकारी की एंट्री हुई. बाद में सांसद और उसके सचिव की भी एंट्री इस मामले में हुई.
डॉक्टर के नोट में सांसद और उसके सचिव का नाम
NDTV की पड़ताल में सामने आए लेडी डॉक्टर के इस लेटर में कई चौंकाने वाले राज लिखे हैं. मृत डॉक्टर द्वारा लिखे गए चार पेज के लेटर में एक सांसद (MP) और उनके निजी सचिव (PA) का उल्लेख है. हालांकि सांसद और उसके सचिव का नाम नहीं लिखा है.

रिपोर्ट बदलने से लेकर रेप तक की कहानी
फिर एक-एक कर कड़िया जुड़ती गई. पता चला कि पुलिस वाले डॉक्टर पर पोस्टमार्टम रिपोर्ट बदलने का आरोप बना रहे थे. इस कारण उसका विवाद चल रहा था. इस मामले को लेकर वो लंबे समय से तनाव में थी. डॉक्टर ने अपने सुसाइड में पुलिस अधिकारी गोपाल बदने पर 4 बार रेप का आरोप लगाया है.
बात नहीं मानने पर डॉक्टर के खिलाफ विभागीय जांच
जिस कारण डॉक्टर का फलटण ग्रामीण पुलिस के साथ विवाद भी हुआ था. पुलिस ने उन पर 'मेडिकल जांच में बाधा डालने' का आरोप लगाते हुए मामला दर्ज किया था. इस मामले के बाद डॉ. के खिलाफ एक विभागीय जांच भी शुरू कर दी गई थी.

लिखित शिकायत में डॉक्टर ने कहा था- मेरे साथ अन्याय हो रहा है
इसमें सतारा जिला सर्जन के आदेश पर एक जांच समिति भी बिठाई गई थी. इस पूरे घटनाक्रम से परेशान होकर डॉ. मुंडे ने वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को लिखित शिकायत दी थी. उन्होंने कहा कि "मेरे साथ अन्याय हो रहा है और मैं आत्महत्या कर लूंगी."
परिजन बोले- पोस्टमार्टम रिपोर्ट बदलने का था दवाब
शिकायत के बावजूद स्थिति और बिगड़ती चली गई और डॉ. पर तनाव बढ़ता गया. आखिरकार, बीती रात फलटण शहर के होटल मधुदीप में उन्होंने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली. मामले में डॉक्टर के परिजनों ने भी कहा कि उस पर पोस्टमार्टम रिपोर्ट बदलने का दवाब था.
इस नए पत्र से संकेत मिलता है कि फलटण प्रकरण में पुलिस और प्रशासन पर दबाव डालने के लिए ऊंचे पदों के राजनीतिक व्यक्तियों (सांसद और उनके PA) का हस्तक्षेप हो सकता है.
आरोपी और पीड़िता दोनों बीड के
आरोपी पुलिसकर्मी गोपाल बदने और मृत डॉक्टर दोनों महाराष्ट्र के बीड जिले के रहने वाले थे. अब तक जांच में इस मामले का एक और आरोपी सामने आया है. दूसरे आरोपी का नाम प्रशांत बनकर है, जो मृत डॉक्टर के मकान मालिक का बेटा है.
दो साल से फलटण थाने में था आरोपी पुलिस अधिकारी
मृत डॉक्टर पिछले डेढ़ साल से फलटण के अस्पताल में पोस्टेड थी जबकि आरोपी पुलिस वाला पहले फलटण ग्रामीण पुलिस थाने में कांस्टेबल था और बाद में डिपार्टमेंटल एग्जाम देकर वो PSI बना था. आरोपी पुलिसकर्मी 2 साल से इस पुलिस थाने में पोस्टेड था.
पुलिस अधिकारी बोले- केस दर्ज, आरोपी PSI सस्पेंड
मामले में महाराष्ट्र पुलिस के स्पेशल इंस्पेक्टर जनरल सुनील फुलारी ने प्रेस कॉफ्रेंस में बताया कि केस दर्ज किया गया है. दो आरोपी के नाम शामिल हैं, जिसमें एक PSI है. उसका सस्पेंशन ऑर्डर जारी कर दिया गया है. टीम जांच करने गई है. वे सबूत लेकर जांच कर रहे हैं.
कहानी में कुछ और भी.. दूसरे एंगल से उठ रहे सवाल
दूसरी ओर इस मामले में एक कहानी यह सामने आई कि कुछ महीने पहले मृत डॉक्टर के खिलाफ स्थानीय पुलिस थाने के पुलिस इंस्पेक्टर ने शिकायत दी थी. यह शिकायत ज़िला शल्य चिकित्सा पदाधिकारी के यहाँ दी गई थी. जिसमें कहा गया था कि जब पुलिसकर्मी पोस्टमार्टम के लिए इन डॉक्टर के पास जाते हैं तो यह डॉक्टर कभी कह देती थी कि वो बिजी है या फिर किसी आरोपी को गिरफ्तारी के बाद मेडिकल टेस्ट के लिए उनके पास ले जाया जाता था तो उसके मेडिकल रिपोर्ट पर यह "नॉट फिट फ़ॉर अरेस्ट" लिख दिया करती थी.
जिससे पुलिसकर्मियों को केस की जांच में दिक्कतों का सामना करना पड़ता था. पुलिस की शिकायत के बाद डॉक्टर ने भी पुलिस कर्मियों द्वारा प्रेशर डालने और बदतमीजी से बात करने का आरोप लगाते हुए एक शिकायत सीनियर पुलिस अधिकारियों को किया था. हालांकि जिस पुलिस इंस्पेक्टर के खिलाफ शिकायत की गयी थी उसका फलटण ग्रामीण पुलिस थाने से ट्रांसफर हो चुका है.
शुरुआती जाँच में पुलिस को यह बात हजम नहीं हो रही कि इतनी पढ़ी-लिखी डॉक्टर ने सुसाइड नोट अपने हाथ पर लिखा है. पुलिस हैंडराइटिंग एक्सपर्ट और फोरेंसिक एक्सपर्ट से जानने की कोशिश कर रही है कि क्या सचमुच में मृत डॉक्टर ने ही आत्महत्या करने से पहले अपने हाथ पर यह सुसाइड नोट लिखा है.
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(सतारा से राहुल तपाशे का इनपुट)
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