मुंबई:
वर्ष 1993 में हुए मुंबई बम विस्फोट मामले में अभिनेता संजय दत्त गुरुवार को टाडा की विशेष अदालत में आत्मसमर्पण करेंगे। अदालत ने उन्हें उनका वह आवेदन वापस लेने की अनुमति दे दी, जिसमें उन्होंने पुणे की यरवदा जेल में आत्मसमर्पण करने की अनुमति मांगी थी।
संजय के वकील सुभाष जाधव ने बुधवार सुबह विशेष अदालत में कहा कि संजय मंगलवार को दाखिल की गई याचिका वापस लेना चाहते हैं और गुरुवार यानी 16 मई को वह अदालत में आत्मसमर्पण करेंगे। अदालत ने याचिका वापस लेने की अनुमति दे दी।
53-वर्षीय संजय दत्त को आर्म्स एक्ट के तहत दोषी ठहराया गया है और पांच साल की सजा सुनाई गई है। संजय ने सु्प्रीम कोर्ट से अपनी दोषसिद्धि और पांच साल की सजा दिए जाने के उसके फैसले की समीक्षा का आग्रह किया था, जिसे 10 मई को खारिज कर दिया गया। इससे पहले, जेल की सजा काटने की खातिर आत्मसमर्पण करने के लिए संजय को चार साल का समय दिया गया था।
सुप्रीम कोर्ट ने 1993 के बम विस्फोट मामले में संजय की दोषसिद्धि 21 मार्च को बरकरार रखी थी। न्यायालय के मुताबिक इन विस्फोटों को अपराध जगत के सरगना दाऊद इब्राहिम और अन्य ने पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई की संलिप्तता से अंजाम दिया था।
टाडा अदालत ने वर्ष 2006 में संजय को छह साल की सजा सुनाई थी। उच्चतम न्यायालय ने यह अवधि छह साल से घटा कर पांच साल कर दी। संजय को परिवीक्षा पर रिहा करने से इनकार करते हुए उच्चतम न्यायालय ने यह भी कहा कि उनके अपराध की प्रकृति गंभीर है।
संजय को टाडा अदालत ने नौ एमएम की एक पिस्तौल और एक एके 56 रायफल गैरकानूनी तरीके से रखने का दोषी ठहराया था। यह पिस्तौल और रायफल हथियारों और विस्फोटकों की उस खेप का हिस्सा थे, जिन्हें बम विस्फोटों के लिए भारत लाया गया था। वर्ष 1993 में हुए इन विस्फोटों में 257 व्यक्ति मारे गए और 700 से अधिक घायल हो गए थे।
संजय के वकील सुभाष जाधव ने बुधवार सुबह विशेष अदालत में कहा कि संजय मंगलवार को दाखिल की गई याचिका वापस लेना चाहते हैं और गुरुवार यानी 16 मई को वह अदालत में आत्मसमर्पण करेंगे। अदालत ने याचिका वापस लेने की अनुमति दे दी।
53-वर्षीय संजय दत्त को आर्म्स एक्ट के तहत दोषी ठहराया गया है और पांच साल की सजा सुनाई गई है। संजय ने सु्प्रीम कोर्ट से अपनी दोषसिद्धि और पांच साल की सजा दिए जाने के उसके फैसले की समीक्षा का आग्रह किया था, जिसे 10 मई को खारिज कर दिया गया। इससे पहले, जेल की सजा काटने की खातिर आत्मसमर्पण करने के लिए संजय को चार साल का समय दिया गया था।
सुप्रीम कोर्ट ने 1993 के बम विस्फोट मामले में संजय की दोषसिद्धि 21 मार्च को बरकरार रखी थी। न्यायालय के मुताबिक इन विस्फोटों को अपराध जगत के सरगना दाऊद इब्राहिम और अन्य ने पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई की संलिप्तता से अंजाम दिया था।
टाडा अदालत ने वर्ष 2006 में संजय को छह साल की सजा सुनाई थी। उच्चतम न्यायालय ने यह अवधि छह साल से घटा कर पांच साल कर दी। संजय को परिवीक्षा पर रिहा करने से इनकार करते हुए उच्चतम न्यायालय ने यह भी कहा कि उनके अपराध की प्रकृति गंभीर है।
संजय को टाडा अदालत ने नौ एमएम की एक पिस्तौल और एक एके 56 रायफल गैरकानूनी तरीके से रखने का दोषी ठहराया था। यह पिस्तौल और रायफल हथियारों और विस्फोटकों की उस खेप का हिस्सा थे, जिन्हें बम विस्फोटों के लिए भारत लाया गया था। वर्ष 1993 में हुए इन विस्फोटों में 257 व्यक्ति मारे गए और 700 से अधिक घायल हो गए थे।
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