प्रतीकात्मक फोटो
चंडीगढ़:
जिला संगरूर में एक तेज पानी के बहाव वाली नहर में गणेश विसर्जन के दौरान पानी के भंवर में फंसे कुछ युवकों को अपनी पगड़ी पानी में फेंक कर बचाते दो सिख बहादुर युवकों का वीडियो सामने आया है। कुछ श्रद्धालु गणेश महोत्सव के समापन पर प्रतिमा को विसर्जित करने नहर पर पहुंचे थे और पानी की तेज धारा में डूबने लगे।
रस्सी टूट गई तो पगड़ी उतार डाली
नहर के भंवर में लड़के डूब रहे थे और किनारे सैंकड़ों तमाशबीन शोर मचा रहे थे। इस दौरान पास खड़े इन्दरपाल सिंह ने पहले शर्ट का सहारा देकर एक लड़के को किनारे खींच लिया। इसी दौरान जिस रस्सी से लड़कों को बचाया जा रहा था वह टूट गई। यह देखकर इन्दरपाल ने फौरन अपनी पगड़ी उतारी और तीन लड़कों को बचा लिया। तभी नहर के दूसरे छोर पर डूबते लड़कों की आवाजें आने लगीं। यह देख कंवलजीत ने भी अपनी पगड़ी उतारकर उनकी तरफ फेंकी। दोनों बहादुर नौजवानों ने इस तरह 6 जिंदगियां बचा लीं। इनकी चर्चा पूरे संगरूर में हो रही है।
तैरना आता नहीं, पगड़ी ही बनी सहारा
इन्दरपाल सिंह ने बताया कि 'जिस रस्सी के जरिये लड़कों को बचने की कोशिश हो रही थी वह बीच से टूट गई। मैंने जल्दी से अपनी पगड़ी उतारी और उनकी तरफ फेंकी। तीन लड़कों को किनारे खींच लिया।' कंवलजीत सिंह कहते हैं कि 'पहले मैंने सोचा नहर में छलांग लगाकर लड़कों को बचाऊं, लेकिन मुझे तैरना नहीं आता है इसलिए मैंने भी अपनी पगड़ी के जरिये लड़कों को किनारे की तरफ खींचा।'
बचाए गए लोग सिख नौजवानों का शुक्रिया अदा कर रहे हैं। संगरूर प्रशासन इन्दरपाल और कंवलजीत को बुधवार को सम्मानित करेगा।
रस्सी टूट गई तो पगड़ी उतार डाली
नहर के भंवर में लड़के डूब रहे थे और किनारे सैंकड़ों तमाशबीन शोर मचा रहे थे। इस दौरान पास खड़े इन्दरपाल सिंह ने पहले शर्ट का सहारा देकर एक लड़के को किनारे खींच लिया। इसी दौरान जिस रस्सी से लड़कों को बचाया जा रहा था वह टूट गई। यह देखकर इन्दरपाल ने फौरन अपनी पगड़ी उतारी और तीन लड़कों को बचा लिया। तभी नहर के दूसरे छोर पर डूबते लड़कों की आवाजें आने लगीं। यह देख कंवलजीत ने भी अपनी पगड़ी उतारकर उनकी तरफ फेंकी। दोनों बहादुर नौजवानों ने इस तरह 6 जिंदगियां बचा लीं। इनकी चर्चा पूरे संगरूर में हो रही है।
तैरना आता नहीं, पगड़ी ही बनी सहारा
इन्दरपाल सिंह ने बताया कि 'जिस रस्सी के जरिये लड़कों को बचने की कोशिश हो रही थी वह बीच से टूट गई। मैंने जल्दी से अपनी पगड़ी उतारी और उनकी तरफ फेंकी। तीन लड़कों को किनारे खींच लिया।' कंवलजीत सिंह कहते हैं कि 'पहले मैंने सोचा नहर में छलांग लगाकर लड़कों को बचाऊं, लेकिन मुझे तैरना नहीं आता है इसलिए मैंने भी अपनी पगड़ी के जरिये लड़कों को किनारे की तरफ खींचा।'
बचाए गए लोग सिख नौजवानों का शुक्रिया अदा कर रहे हैं। संगरूर प्रशासन इन्दरपाल और कंवलजीत को बुधवार को सम्मानित करेगा।
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