सलीम खान (फाइल फोटो)
मशहूर लेखक और सलमान ख़ान के पिता सलीम ख़ान का मानना है कि मुसलमानों के लिए हिंदुस्तान से बेहतर कोई मुल्क नहीं हो सकता। सलीम ख़ान यह भी मानते हैं कि सिर्फ मुस्लमान ही नहीं, किसी भी धर्म के मानने वालों या अल्पसंख्यकों के रहने के लिए भारत से अच्छा कोई देश नहीं हो सकता इसलिए अगर किसी को इस यहां रहना है या जो कोई रहता है उसे इस देश का सम्मान करना चाहिए।
दरअसल पिछले कुछ समय में देश में असहनशीलता को लेकर चल रही बहस के बाद साहित्यकार और फिल्मकार अपना पुरस्कार वापस लौटाते हुए सरकार के 'अड़ियल' रवैये के प्रति विरोध दर्ज कर रहे हैं। ऐसे में सलीम ख़ान ने बाकी सभी बातों के साथ-साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भी बचाव किया। एक अख़बार को दिए इंटरव्यू में सलीम ख़ान ने कहा कि प्रधानमंत्री सांप्रदायिक नहीं है, वे ईमानदारी से काम कर रहे हैं और सबका साथ और सबका विकास चाहते हैं।
अवॉर्ड वापसी पर बात करते हुए सलीम ख़ान ने कहा कि अगर कोई असहनशीलता महसूस करता है और पुरस्कार वापस करता है तो वो कर सकता है क्योंकि उसे ऐसा करने की आज़ादी है। खान ने अपनी बात पूरी करते हुए कहा कि ये सभी पढ़े लिखे और समझदार लोग हैं, उनका एजेंडा खराब नहीं है। बस वो नाखुश हैं इसलिए सरकार में बैठे लोगों को भी इनकी बात सुननी चाहिए और मसले का हल ढूंढना चाहिए। सलीम ख़ान ने ये भी कहा कि पुरस्कार वापस करने से पहले सरकार को पत्र लिखकर पहले अपनी नाखुशी ज़ाहिर करना बेहतर होता।
दरअसल पिछले कुछ समय में देश में असहनशीलता को लेकर चल रही बहस के बाद साहित्यकार और फिल्मकार अपना पुरस्कार वापस लौटाते हुए सरकार के 'अड़ियल' रवैये के प्रति विरोध दर्ज कर रहे हैं। ऐसे में सलीम ख़ान ने बाकी सभी बातों के साथ-साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भी बचाव किया। एक अख़बार को दिए इंटरव्यू में सलीम ख़ान ने कहा कि प्रधानमंत्री सांप्रदायिक नहीं है, वे ईमानदारी से काम कर रहे हैं और सबका साथ और सबका विकास चाहते हैं।
अवॉर्ड वापसी पर बात करते हुए सलीम ख़ान ने कहा कि अगर कोई असहनशीलता महसूस करता है और पुरस्कार वापस करता है तो वो कर सकता है क्योंकि उसे ऐसा करने की आज़ादी है। खान ने अपनी बात पूरी करते हुए कहा कि ये सभी पढ़े लिखे और समझदार लोग हैं, उनका एजेंडा खराब नहीं है। बस वो नाखुश हैं इसलिए सरकार में बैठे लोगों को भी इनकी बात सुननी चाहिए और मसले का हल ढूंढना चाहिए। सलीम ख़ान ने ये भी कहा कि पुरस्कार वापस करने से पहले सरकार को पत्र लिखकर पहले अपनी नाखुशी ज़ाहिर करना बेहतर होता।
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