लद्दाख में सीमा विवाद से जुड़े मामले पर विदेशमंत्री एस जयशंकर ने कहा कि मुद्दा ये है कि क्या चीन प्रतिबद्धता पर खरा उतरेगा, क्योंकि दो देशों के बीच रिश्ते पारस्परिक संवेदनशीलता और सम्मान पर बन सकते हैं. क्या बीजिंग उस लिखित प्रतिबद्धता पर कायम रहेगा, जिसमें दोनों पक्षों द्वारा सीमा पर बड़ी संख्या में सशस्त्र बलों की तैनाती न करना शामिल है. कतर इकोनॉमिक फोरम में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बात करने वाले विदेशमंत्री ने ये भी कहा कि अमेरिका और यूरोप को भारत के लिए अपने कोविड-19 वैक्सीन उत्पादन में तेजी लाने के लिए काम करना चाहिए.
गलवान के बाद चीन को एहसास हुआ, उन्हें बेहतर ट्रेनिंग की ज़रूरत है : जनरल बिपिन रावत
क्वाड का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि चार देश अमेरिका, भारत, जापान और ऑस्ट्रेलिया एक साझा एजेंडा पर साथ आए हैं, जिसमें समुद्री सुरक्षा और संपर्क शामिल हैं. उन्होंने साफ किया कि भारत के क्वाड का हिस्सा बनने और चीन के साथ सीमा विवाद में कोई संबंध नहीं है. भारत-चीन सीमा विवाद क्वाड के अस्तित्व में आने से पहले का मामला है.
लद्दाख के मामले पर एस जयशंकर ने कहा कि अभी दो बड़ मुद्दे हैं, जिसमें एक सैनिकों की तैनाती का मुद्दा है, विशेषकर लद्दाख में. भारत और चीन के बीच पिछले पिछले साल मई की शुरुआत से पूर्वी लद्दाख में सीमा पर गतिरोध जारी है. कई दौर की वार्ता के बाद फरवरी में पैंगोंग झील से सैनिकों को हटाने की प्रक्रिया पूरी हुई थी. फिलहाल दोनों देशों के बीच बाकी हिस्सों से सैनिकों की वापसी को लेकर बातचीत जारी है.
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं