#DecodingG20WithNDTV: जी-20 को लेकर विदेशमंत्री डॉ. एस जयशंकर ने एनडीटीवी के एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर और एडिटर इन चीफ संजय पुगलिया से एक्सक्लूसिव बातचीत में कहा कि जी-20 अपने आप में अनूठा है. 2008 की मंदी के बाद दुनिया को कई चुनौतियां मिली. 2023 के बाद की दुनिया बहुत जटिल है. कोरोना महामारी के बाद नई चिंताएं हैं. जलवायु से जुड़ी चुनौतियां हैं और जी-20 की प्राथमिकता जलवायु है. आज जलवायु के हालात खराब हैं. सो ग्लोबल हालात बहुत अलग से हैं, भारतीय नेतृत्व इसके लिए सक्षम है और इसलिए जी-20 में भारत की अध्यक्षता भी अलग है.
नई विश्व व्यवस्था में भारत की भूमिका अहम
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा कि नई विश्व व्यवस्था में भारत की अहम भूमिका है. हमें डिबेटिंग फोरम में डिबेट करना है. वहां मैदान नहीं छोड़ना है. लेकिन जहां बात और सहयोग से काम हो जाए, हमें वो काम भी करना है. भारत अपनी मिसाल बना रहा है.
जलवायु परिवर्तन पर विकसित देश सिर्फ बात करते हैं
विदेशमंत्री ने कहा कि विकसित देश क्लाइमेट चेंज की बात तो करते हैं लेकिन करते कुछ नहीं हैं. क्लाइमेट एक्शन बहुत ज़रूरी है, क्योंकि क्लाइमेट से जुड़ी आपदाएं आर्थिक संकट बनती जा रही हैं. क्लाइमेट संकट से अर्थव्यवस्थाएं संकट से घिर जाती हैं, क्योंकि इससे सप्लाई चेन टूट जाती हैं भारत जलवायु परिवर्तन संकट से निपटने और ऊर्जा के हरित और नवीकरणीय स्रोतों के उपयोग में परिवर्तन करके दुनिया के लिए एक उदाहरण स्थापित कर रहा है.
जलवायु परिवर्तन संकट में विकसित देशों की भूमिका के बारे में पूछे जाने पर, एस जयशंकर ने कहा कि जो लोग उपदेश देते हैं वे आचरण नहीं करते. उन्होंने कहा कि भारत को अपने कार्यों से वैश्विक समुदाय को आगे का रास्ता दिखाना होगा. हमें अपने कार्यों से दुनिया को दिखाना है.
खाद्य संकट का हल श्रीअन्न की पैदावार से
विदेशमंत्री ने कहा कि इस बार जी 20 में जो भी बातचीत होगी वो सामान्य नागरिक भी समझें. पीएम मोदी चाहते थे कि इसे कॉन्फ्रेंस हॉल में ना रखें. पूरे देश में ले जाएं और मुद्दे सबको समझाएं. जी-20 के मुद्दे सबको समझाना अहम है. फूड सिक्योरिटी की बात करते हैं तो जानते हैं रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद अन्न संकट है. तब श्रीअन्न की पैदावार ही हल है. जटिल समस्याओं का आसान हल खोजें. इस हल को लेकर जन भागीदारी हो. जन भागादारी को प्रोत्साहन दिया जाए. जी-20 के माध्यम से अगर पूरी दुनिया में इसका प्रचार कर सकें, लोगों को समझा सकें, यही हमारी जिम्मेदारी है.
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