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भारत-पाक के बीच युद्ध को बंद करने के लिए इस दल का गठन किया गया
यह दल 1971 के संघर्ष विराम व्यवस्था की निगरानी रखता है
यूएन सैन्य दल को हटाने का फैसला सुरक्षा परिषद ही कर सकता है
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पढ़ें - UN सैन्य दल ने सर्जिकल स्ट्राइक पर क्या कहा
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संयुक्त राष्ट्र की आधिकारिक वेबसाइट इस दल के गठन को ऐसे समझाती है - 'विभाजन के बाद भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम 1947 के मुताबिक कश्मीर को भारत या पाकिस्तान में सम्मिलित होने की स्वतंत्रता दी गई. बाद में कश्मीर का भारत में सम्मिलित होना एक विवाद का विषय बन गया जो कि उसी साल युद्ध में भी तब्दील हुआ.'
कब हुआ गठन
जनवरी 1948 में सुरक्षा समिति ने इस विवाद में मध्यस्थता के लिए भारत और पाकिस्तान के लिए संयुक्त राष्ट्र आयोग (UNCIP) गठित किया. इसी के तहत दोनों देशों के बीच युद्ध और आपसी लड़ाई को बंद करने के लिए कदम उठाते हुए संयुक्त राष्ट्र सैन्य निगरानी दल का भी गठन किया गया. इस निगरानी दल का पहला बैच 1949 में भारत और पाकिस्तान की संघर्ष विराम सीमा पर हालात की देखरेख करने गया था. इस दल को संयुक्त राष्ट्र प्रमुख द्वारा नियुक्त किए गए सैन्य सलाहकार के निर्देशों का पालन करना था.
UNCIP को तो 1951 में ही खत्म कर दिया गया था लेकिन सीमा रेखा को लेकर कराची और भारत के बीच बहस के चलते सैन्य दल को वहीं तैनात रखने का फैसला लिया गया. इसके बाद से 17 दिसंबर 1971 को हुए संघर्ष विराम का कितना पालन किया जा रहा है, इसकी रिपोर्ट यह सैन्य दल लगातार महासचिव को भेजता है. इस सैन्य दल का काम सीमा रेखा से संबंधित किसी भी जांच में स्थानीय प्रशासन के साथ रहना और सही और पूरी जानकारी जुटाना है. दल को दोनों देशों की सेनाओं के आदेशों या कामकाज में हस्तक्षेप करने की मनाही है. उसका काम सिर्फ वहां चल रही गतिविधियों की निगरानी रखना है,
कब तक रहेगा सैन्य दल
जहां तक सवाल है कि यह सैन्य दल कब तक इस सीमा रेखा पर डटा रहेगा तो संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने यह बात साफ कर रखी है कि इस दल को हटाने का फैसला सुरक्षा परिषद ही ले सकता है. जब तक ऐसा नहीं होता यह दल दिसंबर 1971 में हुए संघर्ष विराम की व्यवस्था का ही पालन करेगा. कुल मिलाकर इस सैन्य दल का काम यह देखना है कि 17 दिसंबर 1971 को जो संघर्ष विराम हुआ था उसका कितना और किस हद तक पालन किया जा रहा है और इस रिपोर्ट को महासचिव को भेजना है. संयुक्त राष्ट्र की वेबसाइट से प्राप्त जानकारी के मुताबिक पाकिस्तान ने इस सैन्य दल से भारत की ओर से संघर्ष विराम के उल्लंघन की कई शिकायतें दर्ज की हैं. लेकिन 1972 से भारत की ओर से ऐसी कोई शिकायत नहीं आई है.
वर्तमान की बात करें तो भारतीय सेना ने दावा किया है कि उन्होंने एलओसी पर सर्जिकल स्ट्राइक करके आतंकी ठिकानों पर हमला किया है. संयुक्त राष्ट्र सैन्य दल का यह कहना कि उन्होंने सीधे तौर पर ऐसे कोई फायरिंग नहीं की है, कहीं न कहीं भारत के इस दावे को झुठलाता है. उधर पाकिस्तान ने सर्जिकल स्ट्राइक को तो नकारा है लेकिन क्रॉस बॉर्डर फायरिंग की बात मानी है जिसमें दो पाकिस्तानी जवान मारे गए हैं. ऐसे में यह देखने वाली बात है कि संयुक्त राष्ट्र सैन्य दल का यह कहना कि 'सीधे तौर पर फायरिंग नहीं देखी है' के क्या मायने है.
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