बीएस येदियुरप्पा (फाइल फोटो)
बेंगलुरु:
कर्नाटक बीजेपी की अंदरूनी लड़ाई गुरुवार को खुलकर सामने आ गयी. BJP के प्रदेश अध्ययक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री येदियुरप्पा के खिलाफ विधान परिषद में विपक्ष के नेता और पूर्व उप मुख्यमंत्री के एस ईश्वरप्पा ने मोर्चा खोल दिया. पार्टी के असंतुष्टों के साथ मिलकर बेंगलुरु में बीजेपी बचाओ रैली की, वहीं येदियुरप्पा ने इसे पार्टी विरोधी गतिविधि बताते हुए कार्रवाई की चेतावनी दी.
क्यों येदियुरप्पा और ईश्वरप्पा में अनबन है?
दरअसल जब से येदियुरप्पा को प्रदेश इकाई का अध्यक्ष बनाया गया है तब से दोनों नेताओं के बीच ठन गयी है. येदियुरप्पा ने प्रदेश इकाई का गठन करते समय ईश्वरप्पा के सभी खास लोगों को नजरअंदाज कर दिया. इस बात की शिकायत ईश्वरप्पा ने शीर्ष नेतृत्व से भी की लेकिन ईश्वरप्पा के मुताबिक अमित शाह के इस मसले को सुलझाने के निर्देश के बावजूद येदियुरप्पा ने अभी तक कुछ नहीं किया.
हाल ही में विधानसभा की 2 सीटों के लिए हुए उनपचुनावों में BJP की हार हो गयी और उसी मौके का फायदा उठाते हुए गुरुवार को ईश्वरप्पा ने येदियुरप्पा पर आरोपों की झड़ी लगाते हुए बीजेपी बचाओ रैली का आयोजन किया. ईश्वरप्पा ने आरोप लगाया कि येदियुरप्पा का रवैया निरंकुश है और वो सिर्फ उन नेताओं और सहयोगियों को आगे बढ़ा रहे हैं जिन्होंने उनके साथ बीजेपी से बगावत की थी.
येदियुरप्पा समर्थक की हुई पिटाई
मीटिंग के दौरान येदियुरप्पा का समर्थन करने वाले शिवा नाम के एक कार्यकर्ता की पिटाई कर उसे सभागार से बाहर निकाल दिया गया. शिवा येदियुरप्पा के समर्थन में उस वक़्त बैठक में खड़े हो गए जब बीजेपी एमएलसी भानु प्रकाश ने येदियुरप्पा को अनफिट कहा. उसके बाद ईश्वरप्पा के समर्थकों ने शिव की पिटाई कर दी.
उधर इस रैली का सार्वजनिक तौर पर आयोजन करने से येदियुरप्पा काफ़ी नाराज हो गए हैं और ईश्वरप्पा के साथ-साथ इस मीटिंग में शामिल होने वाले सभी नेताओं और कार्यकर्ताओं के खिलाफ कार्रवाई की तैयारी कर रहे हैं. इस बारे में पार्टी आलाकमान से बात की जा रही है.
ये बात सही है कि येदियुरप्पा मास लीडर हैं लेकिन पिछले विधानसभा चुनावों से ठीक पहले पार्टी छोड़कर दूसरी पार्टी बनाने से पार्टी के अंदर उनकी पकड़ कमजोर हो रही है. सिर्फ ईश्वरप्पा ही नहीं RSS से संगठन की जिम्मेदारी निभाने वाले संतोष भी येदियुरप्पा के रवैये और अपने खास लोगों को पार्टी में पद और पहचान देने के लिए येदियुरप्पा का खुलकर विरोध कर रहे हैं.
कर्नाटक एक अकेला ऐसा बड़ा राज्य है जहां कांग्रेस सत्ता में बरकरार है. दक्षिण भारत मे सत्ता पर काबिज़ होने के लिए BJP के पास कर्नाटक ही एक रास्ता है. राज्य में अगले साल चुनाव हैं, ऐसे में BJP में विवाद का खुलकर सामने आना पार्टी के लिए नुकसानदेह साबित हो सकता है.
क्यों येदियुरप्पा और ईश्वरप्पा में अनबन है?
दरअसल जब से येदियुरप्पा को प्रदेश इकाई का अध्यक्ष बनाया गया है तब से दोनों नेताओं के बीच ठन गयी है. येदियुरप्पा ने प्रदेश इकाई का गठन करते समय ईश्वरप्पा के सभी खास लोगों को नजरअंदाज कर दिया. इस बात की शिकायत ईश्वरप्पा ने शीर्ष नेतृत्व से भी की लेकिन ईश्वरप्पा के मुताबिक अमित शाह के इस मसले को सुलझाने के निर्देश के बावजूद येदियुरप्पा ने अभी तक कुछ नहीं किया.
हाल ही में विधानसभा की 2 सीटों के लिए हुए उनपचुनावों में BJP की हार हो गयी और उसी मौके का फायदा उठाते हुए गुरुवार को ईश्वरप्पा ने येदियुरप्पा पर आरोपों की झड़ी लगाते हुए बीजेपी बचाओ रैली का आयोजन किया. ईश्वरप्पा ने आरोप लगाया कि येदियुरप्पा का रवैया निरंकुश है और वो सिर्फ उन नेताओं और सहयोगियों को आगे बढ़ा रहे हैं जिन्होंने उनके साथ बीजेपी से बगावत की थी.
येदियुरप्पा समर्थक की हुई पिटाई
मीटिंग के दौरान येदियुरप्पा का समर्थन करने वाले शिवा नाम के एक कार्यकर्ता की पिटाई कर उसे सभागार से बाहर निकाल दिया गया. शिवा येदियुरप्पा के समर्थन में उस वक़्त बैठक में खड़े हो गए जब बीजेपी एमएलसी भानु प्रकाश ने येदियुरप्पा को अनफिट कहा. उसके बाद ईश्वरप्पा के समर्थकों ने शिव की पिटाई कर दी.
उधर इस रैली का सार्वजनिक तौर पर आयोजन करने से येदियुरप्पा काफ़ी नाराज हो गए हैं और ईश्वरप्पा के साथ-साथ इस मीटिंग में शामिल होने वाले सभी नेताओं और कार्यकर्ताओं के खिलाफ कार्रवाई की तैयारी कर रहे हैं. इस बारे में पार्टी आलाकमान से बात की जा रही है.
ये बात सही है कि येदियुरप्पा मास लीडर हैं लेकिन पिछले विधानसभा चुनावों से ठीक पहले पार्टी छोड़कर दूसरी पार्टी बनाने से पार्टी के अंदर उनकी पकड़ कमजोर हो रही है. सिर्फ ईश्वरप्पा ही नहीं RSS से संगठन की जिम्मेदारी निभाने वाले संतोष भी येदियुरप्पा के रवैये और अपने खास लोगों को पार्टी में पद और पहचान देने के लिए येदियुरप्पा का खुलकर विरोध कर रहे हैं.
कर्नाटक एक अकेला ऐसा बड़ा राज्य है जहां कांग्रेस सत्ता में बरकरार है. दक्षिण भारत मे सत्ता पर काबिज़ होने के लिए BJP के पास कर्नाटक ही एक रास्ता है. राज्य में अगले साल चुनाव हैं, ऐसे में BJP में विवाद का खुलकर सामने आना पार्टी के लिए नुकसानदेह साबित हो सकता है.
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