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This Article is From Feb 11, 2015

बिहार का सियासी घमासान दिल्ली पहुंचा, 128 विधायकों के साथ राष्ट्रपति से मिले नीतीश कुमार

फाइल फोटो

नई दिल्ली:

बिहार की राजनीतिक लड़ाई को दिल्ली लेकर आए जनता दल (यूनाइटेड) के नेता नीतीश कुमार ने उनका समर्थन कर रहे 128 विधायकों की परेड बुधवार को राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के समक्ष कराई और बाद में कहा कि मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी को उनका बहुमत साबित करने दें।

पटना उच्च न्यायालय द्वारा जदयू के विधायक दल के नेता के रूप में नीतीश के चुनाव पर स्थगन लगाने के दिन, राष्ट्रपति से मुलाकात के बाद पूर्व मुख्यमंत्री ने संवाददाताओं से कहा कि राज्यपाल के कारण हो रही देरी से माहौल ‘‘खराब’’ हो रहा है और विधायकों की ‘खरीद-फरोख्त’ को बढ़ावा मिल रहा है।

राष्ट्रपति से नीतीश की भेंट के दौरान जदयू अध्यक्ष शरद यादव, राजद नेता लालू प्रसाद यादव, सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव और कांग्रेस नेता सीपी जोशी भी मौजूद थे।

सरकार बनाने के लिए उन्हें न्योता दिए जाने की मांग से उलट नीतीश ने कहा कि राज्यपाल केशरीनाथ त्रिपाठी यदि चाहते हैं कि तो वह मांझी को बहुमत साबित करने को कह सकते हैं। लेकिन इसके लिए मुख्यमंत्री को कम से कम वक्त दिया जाना चाहिए।

नीतीश कुमार के समर्थक 130 विधायकों में जद (यू) के 99, राजद के 24, कांग्रेस के पांच, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) के एक और एक निर्दलीय विधायक शामिल हैं।

243 सदस्यीय बिहार विधानसभा में वर्तमान समय में 10 सीट रिक्त है। बहुमत साबित करने के लिए कुल 117 विधायकों की आवश्यकता है।

वैसे अब इंतजार है कि राष्ट्रपति से मुलाकात करने के बाद क्या होगा?

इधर, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की बिहार इकाई के वरिष्ठ नेताओं की एक बैठक पटना में हुई, जिसमें बिहार की ताजा राजनीतिक घटनाओं पर चर्चा की गई। भाजपा सूत्रों के अनुसार, बैठक में अधिकतर नेता-विधायक मांझी को समर्थन देने के पक्ष में हैं।

इससे पहले दिल्ली जाने के क्रम में मंगलवार को पटना हवाई अड्डे पर पत्रकारों से बातचीत में नीतीश ने कहा, "राज्यपाल से मिलकर सरकार बनाने का दावा पेश किए 24 घंटे से ज्यादा का समय गुजर गया, लेकिन अब तक राज्यपाल ने कोई निर्णय नहीं लिया है। राज्यपाल का विलंब माहौल प्रदूषित कर रहा है। अब विधायक राष्ट्रपति के पास जा रहे हैं।"

इधर, मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के समर्थक भी जोड़तोड़ में जुटे हुए हैं। मांझी समर्थक विधायक खुलकर तो कुछ नहीं बोल रहे, लेकिन उनका कहना है कि विधानसभा में बहुमत साबित करेंगे। इस बीच मंगलवार को मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में हुई बिहार मंत्रिपरिषद की बैठक में 23 प्रस्तावों को मंजूरी दी गई।

इस बैठक में पथ निर्माण विभाग की ठेकेदारी में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति को आरक्षण देने की मंजूरी तथा सरकारी नौकरियों में आर्थिक रूप से कमजोर सवर्णो को आरक्षण देने के मामले में अध्ययन के लिए तीन सदस्यीय एक विशेषज्ञ समिति का गठन करने का निर्णय लिया गया।

उल्लेखनीय है कि नीतीश सोमवार को 130 विधायकों के साथ पैदल मार्च करते हुए राजभवन पहुंचे थे और राज्यपाल केशरीनाथ त्रिपाठी से मिलकर सरकार बनाने का दावा पेश किया था।

इधर, मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने भी सोमवार को राज्यपाल से मिलकर बहुमत साबित करने की बात कही थी।

मुख्यमंत्री का पद छोड़ने से इंकार करने वाले मांझी को पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल रहने के लिए जद (यू) के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने पार्टी से निष्कासित कर दिया है। मांझी को रविवार को ही पार्टी विधायकों की बैठक में जद (यू) विधायक दल के नेता पद से बर्खास्त कर दिया गया है।

बिहार विधानसभा के अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी ने विधायक दल के नवनिर्वाचित नेता नीतीश कुमार को नेता के रूप में मान्यता अधिसूचित कर दी है।

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