प्रतीकात्मक फोटो.
नई दिल्ली:
कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) से जुड़े सदस्यों को न्यूनतम मासिक पेंशन बढ़ाने के प्रस्ताव पर सरकार गंभीरता से विचार कर रही है. दिल्ली में श्रम मंत्रालय में ईपीएफओ के सेंट्रल बोर्ड ऑफ ट्रस्टी की एक अहम बैठक मंगलवार को हुई.
बैठक के बाद श्रम मंत्री संतोष गंगवार ने कहा ''हमने विस्तार से इस प्रस्ताव से बढ़ने वाले वित्तीय बोझ का आकलन किया है. अगर पेंशन में हजार रुपये की बढ़ोतरी की गई तो कितना खर्च होगा और दो हजार की बढ़ोतरी की गई तो सरकार पर इससे कितना वित्तीय बोझ बढ़ेगा. इस बारे में अंतिम फैसला वित्त मंत्रालय को करना होगा.
यह भी पढ़ें : सुप्रीम कोर्ट ने कहा- पेंशन को लेकर बनी योजना में समन्वय की कमी, हालात सुधर नहीं रहे
श्रम मंत्री ने कहा कि सेंट्रल बोर्ड ऑफ ट्रस्टी की बैठक में ईपीएस 1995 (कर्मचारी पेंशन स्कीम 1995) को लेकर जारी विवाद पर चर्चा हुई. यह मामला फिलहाल सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है. ईपीएस 1995 स्कीम के तहत आने वाले कर्मचारियों ने ईपीएफओ के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है. उन्होंने मांग की है कि उन्हें ईपीएस 1995 के तहत 2014 से पहले मिलने वाली सारी सुविधाएं दी जाएं.
VIDEO : पुरानी पेंशन व्यवस्था बहाल करने की मांग
श्रम मंत्री ने एक महत्वपूर्ण स्पष्टीकरण जारी करते हुए साफ किया कि सरकार के सामने फिलहाल ग्रेच्युटी देने की समय सीमा पांच साल से घटाने का कोई प्रस्ताव नहीं है. केंद्रीय मंत्री ने कहा कि बिना नियोक्ता से सलाह मशविरा और उनकी सहमति के बिना इस पर विचार संभव नहीं है.
बैठक के बाद श्रम मंत्री संतोष गंगवार ने कहा ''हमने विस्तार से इस प्रस्ताव से बढ़ने वाले वित्तीय बोझ का आकलन किया है. अगर पेंशन में हजार रुपये की बढ़ोतरी की गई तो कितना खर्च होगा और दो हजार की बढ़ोतरी की गई तो सरकार पर इससे कितना वित्तीय बोझ बढ़ेगा. इस बारे में अंतिम फैसला वित्त मंत्रालय को करना होगा.
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श्रम मंत्री ने कहा कि सेंट्रल बोर्ड ऑफ ट्रस्टी की बैठक में ईपीएस 1995 (कर्मचारी पेंशन स्कीम 1995) को लेकर जारी विवाद पर चर्चा हुई. यह मामला फिलहाल सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है. ईपीएस 1995 स्कीम के तहत आने वाले कर्मचारियों ने ईपीएफओ के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है. उन्होंने मांग की है कि उन्हें ईपीएस 1995 के तहत 2014 से पहले मिलने वाली सारी सुविधाएं दी जाएं.
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श्रम मंत्री ने एक महत्वपूर्ण स्पष्टीकरण जारी करते हुए साफ किया कि सरकार के सामने फिलहाल ग्रेच्युटी देने की समय सीमा पांच साल से घटाने का कोई प्रस्ताव नहीं है. केंद्रीय मंत्री ने कहा कि बिना नियोक्ता से सलाह मशविरा और उनकी सहमति के बिना इस पर विचार संभव नहीं है.