साहित्यकार वीरेन डंगवाल नहीं रहे (फाइल फोटो)
वरिष्ठ पत्रकार एवं साहित्यकार डॉक्टर वीरेन डंगवाल का 68 साल की आयु में आज यानी सोमवार की सुबह बरेली में लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया। बरेली के एक अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था। कैंसर होने के आने के बाद भी वह कई साल से लेखन में सक्रिय थे। कुछ समय पहले वह दिल्ली से बरेली आए थे और तबियत बिगड़ने के बाद उनको अस्पताल में भर्ती करवाया गया था।
5 अगस्त 1947 को उत्तराखंड टिहरी गढ़वाल में जन्मे डॉक्टर वीरेन डंगवाल बरेली कॉलेज में हिंदी के अध्यापक रहे थे। वह अमर उजाला कानपुर और बरेली के संपादक के रूप में भी काम कर चुके थे। कई पत्र-पत्रिकाओं का संपादन भी वह कर चुके थे।
उनकी प्रमुख रचनाएं रहीं- इसी दुनिया में, दुष्चक्र में सृष्टा, कवि ने कहा, स्याही ताल। कई सम्मान और पुरस्कारों से भी वह सम्मानित किए जा चुके थे। उन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार, शमशेर सम्मान, श्रीकान्त वर्मा स्मृति पुरस्कार, रघुवीर सहाय स्मृति पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
5 अगस्त 1947 को उत्तराखंड टिहरी गढ़वाल में जन्मे डॉक्टर वीरेन डंगवाल बरेली कॉलेज में हिंदी के अध्यापक रहे थे। वह अमर उजाला कानपुर और बरेली के संपादक के रूप में भी काम कर चुके थे। कई पत्र-पत्रिकाओं का संपादन भी वह कर चुके थे।
उनकी प्रमुख रचनाएं रहीं- इसी दुनिया में, दुष्चक्र में सृष्टा, कवि ने कहा, स्याही ताल। कई सम्मान और पुरस्कारों से भी वह सम्मानित किए जा चुके थे। उन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार, शमशेर सम्मान, श्रीकान्त वर्मा स्मृति पुरस्कार, रघुवीर सहाय स्मृति पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
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