नई दिल्ली:
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने रविवार की रात चीन के प्रधानमंत्री ली केकियांग के साथ हुई अनौपचारिक बातचीत में सीमा पर शांति और टकराव रहित स्थिति के महत्व पर जोर दिया।
माना जा रहा है कि चीन के प्रधानमंत्री के साथ एकांत वार्ता में मनमोहन सिंह ने सीमा मुद्दे के साथ-साथ ब्रह्मपुत्र नदी पर चीन द्वारा बनाए जा रहे बांधों का मुद्दा उठाया। चीन के प्रधानमंत्री तीन दिन की सरकारी यात्रा पर रविवार दोपहर भारत पहुंचे।
ब्रह्मपुत्र नदी पर बनाए जा रहे बांधों से भारत में पूर्वोत्तर के राज्यों की जल जरूरतों पर बुरा प्रभाव पड़ने की आशंका है।
माना जाता है कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने व्यापार घाटे का मामला भी उठाया। बताया जाता है कि मनमोहन सिंह ने मुद्दों को स्पष्ट रूप से सकारात्मक किंतु मजबूत लहजे में सामने रखा।
प्रतिबंधित वार्ता के दौरान दोनों नेताओं के साथ उनके प्रतिनिधिमंडल का कोई भी सदस्य मौजूद नहीं था। यह बातचीत मेजबान मनमोहन के सरकारी आवास पर मेहमान ली को दिए गए निजी भोज के दौरान हुई।
दोनों देशों के बीच सीमा मानी जाने वाली वास्तविक नियंत्रण रेखा का 15 अप्रैल को चीनी सैनिकों द्वारा उल्लंघन करने और 19 किलोमीटर भारतीय क्षेत्र में अतिक्रमण करने से उपजे गतिरोध का समाधान होने के बाद ली भारत यात्रा पर आए हैं।
सैन्य और कूटनीतिक जरिए की कई दौर की वार्ता के बाद 5 मई को दोनों देशों के बीच उत्पन्न गतिरोध खत्म हो पाया। दोनों पक्ष 15 अप्रैल से पूर्व की स्थिति को बहाल करने पर राजी हुए।
सूत्रों के मुताबिक चीनी प्रधानमंत्री को दिए गए भोज में कांग्रेस और संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन की अध्यक्ष सोनिया गांधी, उनके बेटे और कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी, विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद, सूचना एवं प्रसारण मंत्री मनीष तिवारी, योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष भारतीय जनता पार्टी की नेता सुषमा स्वराज और राज्य सभा में नेता प्रतिपक्ष और भारतीय जनता पार्टी नेता अरुण जेटली मौजूद थे।
सोमवार को भारत और चीन के प्रधानमंत्री औपचारिक और प्रतिनिधिमंडल स्तरीय वार्ता करेंगे।
माना जा रहा है कि चीन के प्रधानमंत्री के साथ एकांत वार्ता में मनमोहन सिंह ने सीमा मुद्दे के साथ-साथ ब्रह्मपुत्र नदी पर चीन द्वारा बनाए जा रहे बांधों का मुद्दा उठाया। चीन के प्रधानमंत्री तीन दिन की सरकारी यात्रा पर रविवार दोपहर भारत पहुंचे।
ब्रह्मपुत्र नदी पर बनाए जा रहे बांधों से भारत में पूर्वोत्तर के राज्यों की जल जरूरतों पर बुरा प्रभाव पड़ने की आशंका है।
माना जाता है कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने व्यापार घाटे का मामला भी उठाया। बताया जाता है कि मनमोहन सिंह ने मुद्दों को स्पष्ट रूप से सकारात्मक किंतु मजबूत लहजे में सामने रखा।
प्रतिबंधित वार्ता के दौरान दोनों नेताओं के साथ उनके प्रतिनिधिमंडल का कोई भी सदस्य मौजूद नहीं था। यह बातचीत मेजबान मनमोहन के सरकारी आवास पर मेहमान ली को दिए गए निजी भोज के दौरान हुई।
दोनों देशों के बीच सीमा मानी जाने वाली वास्तविक नियंत्रण रेखा का 15 अप्रैल को चीनी सैनिकों द्वारा उल्लंघन करने और 19 किलोमीटर भारतीय क्षेत्र में अतिक्रमण करने से उपजे गतिरोध का समाधान होने के बाद ली भारत यात्रा पर आए हैं।
सैन्य और कूटनीतिक जरिए की कई दौर की वार्ता के बाद 5 मई को दोनों देशों के बीच उत्पन्न गतिरोध खत्म हो पाया। दोनों पक्ष 15 अप्रैल से पूर्व की स्थिति को बहाल करने पर राजी हुए।
सूत्रों के मुताबिक चीनी प्रधानमंत्री को दिए गए भोज में कांग्रेस और संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन की अध्यक्ष सोनिया गांधी, उनके बेटे और कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी, विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद, सूचना एवं प्रसारण मंत्री मनीष तिवारी, योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष भारतीय जनता पार्टी की नेता सुषमा स्वराज और राज्य सभा में नेता प्रतिपक्ष और भारतीय जनता पार्टी नेता अरुण जेटली मौजूद थे।
सोमवार को भारत और चीन के प्रधानमंत्री औपचारिक और प्रतिनिधिमंडल स्तरीय वार्ता करेंगे।
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