सरकार का नोटबंदी का जो प्रस्ताव है वो हमारा नहीं, अर्थक्रांति का सुझाव अलग है : अनिल बोकिल

सरकार का नोटबंदी का जो प्रस्ताव है वो हमारा नहीं, अर्थक्रांति का सुझाव अलग है : अनिल बोकिल

अनिल बोकिल

खास बातें

  • "अर्थक्रांति का प्रस्ताव 2000 में छपा था, 16 साल से पब्लिक डोमेन में है"
  • यूपीए सरकार के समय में हमने प्रेजेंटेशन दिए थे, इस सरकार को भी दिए हैं
  • अर्थक्रांति नहीं मानती, सरकार ने उनके प्रस्ताव को माना है
नई दिल्ली:

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 500-1000 रुपये के नोटबंदी के ऐलान से पूरे देश में हलचल मची है. कहा गया कि सरकार ने अर्थक्रांति नाम के संगठन को चलाने वाले अनिल बोकिल की सलाह पर यह कदम उठाया है. आइए पढ़ें उनसे हुई बातचीत का ब्योरा-

प्रश्न : सरकार जो नोटबंदी लेकर आई है, लोग कहते हैं कि यह आपका प्रस्ताव था, क्या आप सरकार में किसी से मिले थे, अपना प्रस्ताव सरकार के सामने रखा था?
अनिल बोकिल : अर्थक्रांति का यह प्रस्ताव 16 सालों से पब्लिक डोमेन में है. यह 2000 में पब्लिश हुआ है और 16 सालों में बहुत प्रेजेंटेशन हुए हैं. पहले यूपीए सरकार के समय में कई प्रेजेंटेशन हुए थे और इस सरकार के समय में भी हुए हैं और कई संस्था को भी हुए हैं. अर्थक्रांति नहीं मानती है कि सरकार ने अर्थक्रांति के प्रस्ताव को माना है. यह हम नहीं मानते हैं.

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प्रश्न :
क्या अपने प्रस्ताव को लेकर केंद्र सरकार या प्रधानमंत्री से मिले थे?
अनिल बोकिल : देखिये सरकार में कोई एक व्यक्ति नहीं होता है. हमने तो प्रेजेंटेशन कई व्यक्तियों को दिए थे. हमने प्रेजेंटेशन प्रधानमंत्री को नहीं दिए थे. मोदी जी जब मुख्यमंत्री थे तब हम ने प्रेजेंटेशन दिया था और कुछ दूसरे व्यक्तियों को प्रेजेंटेशन दिया था जो अभी सरकार में हैं.

प्रश्न : आप यह कह रहे हैं कि मोदी जी जब गुजरात के मुख्यमंत्री थे तब आपने प्रेजेंटेशन दिए थे, यह कब की बात है?
बोकिल : यह 2013 की बात है, यह मेरा प्रेजेंटेशन नहीं है यह अर्थक्रांति का पॉवरबैंक प्रेजेंटेशन है. यह हम सबको देते हैं, जो सुनना चाहता है. उनको देते है.

प्रश्न : क्या आप समझते हैं कि नोटबंदी से काला धन पर अंकुश लगाया जा सकता है, या काला धन वापस आ सकता है?
बोकिल : नहीं, नहीं... यह हमारी मांग नहीं है? काला धन पर अंकुश लगाने के लिए टैक्स सिस्टम को भी ठीक करना पड़ेगा और अर्थक्रांति का पूरा प्रस्ताव सिर्फ नोटबंदी नहीं है, नोटबंदी के साथ-साथ टैक्स को निकाल देना है, यह भी हमारा प्रस्ताव है. टैक्स नहीं होना चाहिए. टैक्स की जगह बैंक ट्रांजेक्शन टैक्स होना चाहिए. इस पर काफी चर्चा पहले भी हुई है और आज भी हो रही है.

प्रश्न : तो आप यह मानते हैं कि नोटबंदी को तो सरकार लागू कर दिया लेकिन आपके दूसरे प्रस्ताव को नहीं माना?
बोकिल : इसीलिए तो हम समझते हैं नोटबंदी जो है वह अर्थक्रांति का प्रस्ताव शायद नहीं है, क्योंकि अर्थक्रांति का प्रस्ताव पूरा एक कैप्सूल जो नोटबंदी के साथ-साथ बैंक ट्रांजक्शन टैक्स की बात करती है. अर्थक्रांति नोट रिप्लेसमेंट की बात नहीं कर रही है, अर्थक्रांति नोटबंदी की बात कर रही है. अर्थक्रांति का सुझाव आनुक्रमिक है (क्रमवार है), आकस्मिक नहीं है.

प्रश्न : यह नोटबंदी और नोट रिप्लेसमेंट में क्या फर्क है?
बोकिल : यह तो आप समझ भी सकते हैं, नोटबंदी का मतलब जो नोटबैन हुआ है वह नोट दोबारा नहीं आएगा और नोट रिप्लेसमेंट का मतलब वह नोट फिर नई फॉर्म में आ जाएंगे. हमने सिर्फ नोटबंदी की बात की थी. हमने नोट रिप्लेसमेंट की बात नहीं की थी.

प्रश्न : लोगों को दिक्कतें हो रही हैं, क्या आप को लगता है कि सरकार ने सही प्लानिंग के साथ कदम नहीं उठाया है? सरकार और क्या कर सकती थी?
बोकिल : सरकार ने यह जो कदम उठाया है इसके पीछे कुछ तो कारण होगा. हो सकता है सरकार के पास इसके इलावा और कोई रास्ता नहीं रहा होगा. इसीलिए हम उसे स्वीकार कर रहे हैं. यह निर्णय तो होना ही था. अर्थक्रांति यह चाहती भी थी.

प्रश्न : लेकिन, आप तो कह रहे हैं कि अर्थक्रांति के पूरा कैप्सूल को सरकार ने लागू नहीं किया है? आप यह भी कह रहे हैं आप तो नोटबंदी की बात कर रहे थे, लेकिन सरकार तो नोट रिप्लेसमेंट कर रही है, यह तो आप का सुझाव नहीं था?
बोकिल : देखिए सरकार की मानने या न मानने की बात नहीं है, हमारा प्रस्ताव पब्लिक डोमेन है और 16 सालों से अर्थक्रांति इस पर काम कर रही है. सरकार को क्या स्वीकार करना क्या नहीं करना यह सरकार को तय करना है. अर्थक्रांति इस तरह की बात करता है कि यह एक पूरा प्रस्ताव है. पूरे टैक्स को हटाया जाए. काला पैसा बनने की जो ज़मीन है, वह हमारा टैक्सेशन सिस्टम है. इसी के वजह से टैक्स इवेश़न होता है और बड़ी नोट उसे मदद करता है. हमारे देश में जिनकी आय दो डॉलर से कम है वे 70 प्रतिशत के करीब है तो 500 और 1000 नोट किसके लिए चाहिए.

प्रश्न : तो आप यह कह रहे हैं कि बड़ी नोट पूरी तरह बंद हो जाना चाहिए? सरकार उसकी रिप्लेसमेंट कर रही है, आप उससे खुश नहीं हैं?
बोकिल : देखिए खुशी की बात नहीं है, सरकार की सोच अलग हो सकती है. हमारी कैश इकॉनमी है, हमारा पूरा व्यवहार है बड़ी मात्रा में कैश पर निर्भर करता है तो यह तो सबको सोचना पड़ेगा कि एक साथ में यह सब कर सकते हैं या आहिस्ता आहिस्ता कम करना चाहिए? शायद सरकार ने कुछ सोचकर किया होगा.

प्रश्न : नोटबंदी के बाद लोगों को समस्याएं हो रही है, आपका क्या कहना है?
बोकिल : यह समस्या होगी, इतनी बड़ा कैश क्रंच अगर आ जाएगा तो यह होगा. सरकार को बड़ी मात्रा में नोट लाना चाहिए और सरकार लाएगी.

प्रश्न : आप को लगता नहीं सरकार को पूरी प्लानिंग के साथ आगे आने चाहिए था?
बोकिल : देखो हम स्टडी करने वाले लोग हैx, उनको पता है यह जो छोटी नोट बनानी है तो कितनी बड़ी मात्रा में बनानी पड़ती है. उस के कई सिक्योरिटी फीचर भी होते हैं. ऐसा हो सकता है कि इतनी बड़ी मात्रा में आप नोट को प्रिंट नहीं कर पाए. उसका कोई प्लान-बी ज़रूर होगा. ज़िम्मेदारी तो सरकार की है, उनकी सोच भी होगी. हम इसीलिए इसकी आलोचना नहीं कर रहे हैं क्यों कि जिस तरीके से इसकी जरूरत थी, सरकार वही कर रही है और देश का भविष्य है डिजिटल इकॉनमी ही होगा, किसी भी मोड़ पर वह कैश इकॉनमी की तरफ नहीं जाने वाला है. क्योंकि पूरी दुनिया के साथ हम भी जुड़ रहे हैं. ऑनलाइन ट्रांजेक्शन बढ़ता जा रहा है. हर चीज ऑनलाइन आ रही है तो डिजिटल मनी देश का भविष्य है.

प्रश्न : यह डिजिटल मनी जो है क्या एक मज़दूर के लिए फायदेमंद  है, जिस के पास क्रेडिट या डेबिट कार्ड नहीं है. जो ऑनलाइन ट्रांसक्शन नहीं जानता है..

बोकिल : देखिए मोबाइल जब आए थे तब लोगों ने यह सवाल किया था. क्या एक अनपढ़ आदमी मोबाइल का इस्तेमाल कर पाएगा. लेकिन, आज अनपढ़ मोबाइल का इस्तेमाल कर रहा है, समझ भी रहा है. हमको लगता है इसका लाभ भी गरीब आदमी को होगा.

प्रश्न : मेरा आपसे यह भी सवाल है जिस गरीब के पास बैंक अकाउंट नहीं है, न ही अकॉउंट खोलने के लिए प्रमाण-पत्र है तो वह क्या करेगा. वह तो 2000 तक बदल सकता है उसकी बाकी की बचत है उसका क्या होगा?
बोकिल : वह बैंक में जायेगा.

प्रश्न : लेकिन, बैंक में कैसे जायेगा?
बोकिल : इसके लिए सरकार कुछ न कुछ करेगी, सरकार हर बार बोल रही है कि वह फ्लेक्सिबल है, रोज कुछ कुछ नया निर्णय ले रही है. जब तक 31 दिसंबर नहीं आता है तब तक हम कोई स्पेक्यूलेट नहीं करेंगे. तो आप मानते हैं यह एक समस्या है?

देखिए प्रमाण पत्र बनाना कोई बड़ी बात नहीं है. अब 31 तक का समय है. इतना जरूरी होगी तो वह कर भी लेंगे और सरकार भी फ्लेक्सिबिलिटी दिखाएगी. हम जनतन्त्र में है अगर असुविधा हो रही है तो बात सरकार के पास पहुंची भी होगी. लोगों की सुविधा के लिए तो सरकार होती है. सरकार कुछ न कुछ करेगी.

प्रश्न : कई ऐसे देश हैं जहां प्लास्टिक मनी का ज्यादा इस्तेमाल होता है, ऑनलाइन ट्रांजेक्शन होता है, लेकिन फिर भी वहां ब्लैक मनी ख़त्म नहीं हुआ है.

बोकिल : पूरी दुनिया में जो टैक्स पैटर्न है जन मानस उस के खिलाफ है, क्योंकि टैक्स देना अनिवार्य है. देखिए पूरी दुनिया में ऐसे बहुत कम आदमी होंगे जो टैक्स देना चाहते होंगे. हर विकसित राष्ट्र में ब्लैक मनी तो बनती रहेगी क्योंकि टैक्स मैंडेट्री कॉन्ट्रिब्यूशन है. इसीलिए अर्थक्रांति का पूरा सुझाव जो है वह बैंक ट्रांजक्शन टैक्स है जिस में काला पैसा बनेगा ही नहीं. इस पर बहस होनी चाहिए.

प्रश्न : अगर आप का प्रस्ताव नहीं है तो फिर आप इस प्रस्ताव से खुश क्यों है?
बोकिल : खुश होने की कहां बात है यह हमारा देश है, यह हमारा देश है, हमें मालूम है इतना बड़ा भ्रष्टाचार है, आतंकवाद है अगर यह सब को कंट्रोल करना है तो कैश इकॉनमी को कंट्रोल करना पड़ेगा. 16 सालों से हम यह कह रहे हैं. खुशी की या दुःख की बात नहीं यह देश की बात है. एक ज़िम्मेदार नागरिक इसके सेवा क्या कर सकता है.

प्रश्न : आप को लगता है नोट बंदी से यह सब कंट्रोल होगा?
बोकिल : होना ही चाहिए, वह तो होगा न, कैश ट्रांजैक्शन में पीछे पर के निशान नहीं रहते हैं, अपारदर्शी हो जाते हैं और कैश छापना बहुत आसान होता है. तीन या चार रुपया में आप हज़ार रुपया का वैल्यू क्रिएट कर सकते हो. कोई भी दुश्मन देश के लिए यह बहुत आसान है.

प्रश्न : तो फिर आप कैश लेस्स ट्राजैंक्शन पर ज्यादा जोर दे रहे हैं?
बोकिल : मैं नहीं जा रहा हूं, पूरी दुनिया जा रही है जिसे डिजिटल इकॉनमी बोलते हैं. हमारे युवा भी जा रहा है. यह तो पूरी दुनिया का ट्रेंड है, चलता हुआ ट्रेंड है.

प्रश्न : गांव में कैश लेस्स इकॉनमी का क्या भविष्य है?
बोकिल : देखो यह तो वर्तमान है, भविष्य में तो यह होने वाला है. दुनिया टेक्नोलॉजी पर खड़ी है, हमे टेक्नोलॉजी को अपनाना है.  सरकार की अगर प्रायोरिटी बन जाएगी तो हो ही जायेगा न. हम इसे पूरी तरह पॉजिटिव रूप से देख रहे हैं क्योंकि आने वाला भविष्य डिजिटल इकॉनमी है. आज नहीं तो कल कभी तो इस को करना पड़ता. आज बोरियों में जो पैसा बाहर आने लगा है, हम देख रहे हैं आम आदमी खड़ा है लाइन में, उसे बहुत तकलीफ़ भी हो रही है, लेकिन अंदर से वह समझ रहा है कि बहुत अच्छा हो रहा है क्योंकि काला पैसा बहार आ जायेगा.

प्रश्न : लेकिन काला धन कैश के रूप में लोगों के पास कम हैं, ज्यादा काला पैसा तो लोग इन्वेस्ट कर दिए हैं?
बोकिल : देखिये काला पैसा और काला धन अलग है, काल पैसा वह है जो सर्कुलेशन में चलता रहता है, वह समाज को डैमेज करता रहता है और काल धन जो है वह घूमते नहीं रहता है, यह ज्यादा डैमेज नहीं कर सकता है. हमने काले पैसे की बात की है. हो सकता है काला धन को लेकर सरकार और कोई दूसरा कदम उठाए. काला पैसा सर्कुलेशन में रहता है. अर्थक्रांति चाहता है कॉन्ट्यूनिटी में जो भ्रष्टाचार चल रहा है, उसे रोकने के लिए उसका सर्कुलेशन रोको. इस के साथ जहां से यह जेनेरेट हो रहा है उसको भी रोको.

प्रश्न : क्या आप को लगता है कि अर्थक्रांति का जो पूरा कैप्सूल है अगर वह लागु होता तो ज्यादा फ़ायदा होता?
बोकिल : ज़रूर होता, अर्थक्रांति यह भी मानती है, हमारे प्रस्ताव से अगर एक भी आदमी का नुकसान हो जाता है हम अपना प्रस्ताव वापस लेने के लिए तैयार हैं.

प्रश्न : तो आपका कहना है कि आप का प्रस्ताव लागू नहीं हुआ है इसीलिए लोगों को दिक्कतें हो रही हैं?
बोकिल : यह तो दिख रहा है

प्रश्न : तो आप का कहना है सरकार आपका प्रस्ताव को लागू नहीं किया है?
बोकिल : हमको लग रहा है सरकार अर्थक्रांति के प्रस्ताव को अलग तरीके से लागू करेगी. देखिये हम तो बहुत आशावादी लोग हैं. हम तो 16 सालों से लगे हुए हैं और आगे भी करते रहेंगे. हमें कंप्लेन करने से कुछ नहीं मिलने वाला है क्योंकि यह मेरा देश है. कंप्लेन से थोड़ा ही कुछ बदलने वाला है.

प्रश्न : तो आप यह उम्मीद कर रहे हैं कि सरकार आपके प्रस्ताव को आगे लागू करेगी?
बोकिल : यह तो होने वाला है लेकिन पता नहीं कब होगा...

प्रश्न : क्या आगे आप सरकार से मिलने के लिए कोई प्लान बना रहे हैं या सरकार की तरफ से कोई बुलावा आया है?
बोकिल : सरकार एक व्यक्ति है, हम नहीं समझते हैं. सरकार एक संस्था है. हम भी एक संस्था है. जब भी बुलाएगी सरकार जाना पड़ेगा. हम तो सबके पास जाने के लिए तैयार हैं.

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