
Ravana unknown Facts: दशहरा (विजयदशमी) पर इस बार 2 अक्टूबर को लंकापति रावण के पुतले का दहन बुराई पर अच्छाई के प्रतीक के तौर पर होगा. रामायण के माध्यम से हमने रावण और उसके बेटे मेघनाद, अक्षय कुमार, पत्नी मंदोदरी और विभीषण, अहिरावण और कुंभकर्ण के बारे में जाना है, लेकिन क्या आपको पता है कि रावण की दूसरी पत्नी का नाम क्या था. दूसरी पत्नी से उसकी कितनी संतानें थीं. रावण का विवाह मय दानव की बेटियों से किया गया था. उनके नाम मंदोदरी और दम्यमालिनी थी. दम्यमालिनी (धन्यमालिनी भी नाम) से रावण के चार पुत्र अतिकाय, नरांतक, त्रिशिरा और देवांतक नामक चार पुत्र थे.
मंदोदरी की छोटी बहन धन्यमालिनी
धर्मशास्त्रों के अनुसार, रावण (Ravan) की दूसरी बीवी का नाम दम्यमालिनी (Damyamalini) और उसका दूसरा प्रचलित नाम धन्यमालिनी था. मंदोदरी की तरह धन्यमालिनी भी विष्णु भगवान की अनन्य भक्त थी. परंतु रावण से शादी के बाद मंदोदरी और धन्यमालिनी ने भगवान विष्णु की भक्ति छोड़ दी थी. मंदोदरी राक्षसराज मयासुर की बड़ी बेटी थी और दम्यमालिनी छोटी बेटी. मंदोदरी रावण की पटरानी थी जिसने हेमा नाम की अप्सरा के गर्भ से जन्म लिया था.मंदोदरी की तरह धन्यमालिनी भी सोने की लंका में निवास करती थी. रावण की पटरानी मंदोदरी और मंदोदरी की छोटी बहन धन्यमालिनी को भी दशानन पूरा सम्मान देता था.
मंदोदरी के दो भाई मायावी और दुदुंभी
मंदोदरी और दम्यमालिनी (कहीं कहीं धन्यमालिनी का उल्लेख) के दो भाई मायावी और दुदुंभी थे जिनका वध वानर राज बालि ने किया था. एक कहावत है कि एक लाख पुत्र सवा लाख नाती, ता रावण घर दीया न बाती, लेकिन रावण की इतनी संतानों का ज्यादा उल्लेख नहीं मिलता है.
रावण के कुल आठ भाई-बहन
रावण के कुल आठ भाई बहन थे. इनमें रावण के अलावा कुभंकरण, विभीषण और अहिरावण के किरदार तो काफी प्रचलित हैं. मगर, खर, दूषण और रावण की दो बहन शूर्पनखा और कुंभिनी भी थीं. रावण का एक सौतेला भाई कुबेर था जिनकी लोग आज भी धन के लिए पूजा करते हैं.
रावण के माता-पिता का नाम
रावण के दादा भगवान ब्रह्मा के पुत्र महर्षि पुलस्त्य थे. वहीं दशानन की दादी का नाम हविर्भुवा था. रावण के पिता और माता की बात करें तो ऋषि विश्वश्रवा और मां का नाम कैकसी बताया गया है. रावण के नाना का नाम सुमाली था और नानी का नाम ताड़का था.
लक्ष्मण ने किया था अतिकाय का वध
वाल्मीकि रामायण के अनुसार, अतिकाय का वध भगवान राम के भाई लक्ष्मण ने किया था. कहा जाता है कि अतिकाय को ब्रह्मा से दिव्य रक्षा कवच मिला था. इसे सिर्फ ब्रह्मास्त्र से ही भेदा जा सकता था. लक्ष्मण ने अतिकाय पर ब्रह्मास्त्र चलाकर उसका वध किया था. लक्ष्मण ने हनुमान के कंधे पर बैठकर अतिकाय से भीषण युद्ध किया था. पवन देवने ब्रह्मास्त्र से अतिकाय के वध का उपाय लक्ष्मण जी को बताया था.
अंगद और हनुमान ने बाकी तीन पुत्रों को मारा
अंगद ने युद्ध के दौरान नरांतक और देवांतक का वध किया था. हनुमानजी ने अपनी गदा से दैत्य त्रिशिरा का सिर धड़ से अलग कर दिया था. अतिकाय ने घोर तपस्या की थी, जिससे प्रसन्न होकर भगवान ब्रह्मा ने उसे ब्रह्म कवच और अन्य दिव्य अस्त्र दिए थे. उसे चमत्कारिक रथ भी मिला था. ब्रह्म कवच अतिकाय को देवताओं और राक्षसों के हाथों मारे जाने से बचाता था.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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