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This Article is From Feb 03, 2023

"देश में उपेक्षित वर्गों का ग्रंथ 'रामचरितमानस' नहीं, बल्कि 'संविधान' है", मायावती का सपा पर हमला

सपा के विधान परिषद सदस्य स्वामी प्रसाद मौर्य ने 22 जनवरी को कहा था कि श्रीरामचरितमानस की कुछ पंक्तियों में जाति, वर्ण और वर्ग के आधार पर यदि समाज के किसी वर्ग का अपमान हुआ है तो निश्चित रूप से वह 'धर्म नहीं अधर्म' है.

"देश में उपेक्षित वर्गों का ग्रंथ 'रामचरितमानस' नहीं, बल्कि 'संविधान' है", मायावती का सपा पर हमला
श्रीरामचरितमानस की कुछ पंक्तियों पर कई नेता सवाल उठा रहे हैं

लखनऊ : रामचरितमानस प्रकरण थमता नजर नहीं आ रहा है. समाजवादी पार्टी (सपा) पर हमला करते हुए बहुजन समाज पार्टी (बसपा) नेता मायावती ने शुक्रवार को कहा कि देश में कमजोर एवं उपेक्षित वर्गों का ग्रंथ 'रामचरितमानस या मनुस्मृति' नहीं बल्कि 'भारतीय संविधान' है. मायावती ने कहा कि संविधान में बाबा साहब भीमराव आंबेडकर ने इन वंचित तबकों को 'शूद्र' नहीं, बल्कि अनुसूचित जाति (एससी), अनुसूचित जनजाति (एसटी), अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) की संज्ञा दी है और सपा इन्हें 'शूद्र' कहकर उनका अपमान नहीं करे और न संविधान की अवहेलना करे.

सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने बृहस्पतिवार को कहा था कि धर्म की आड़ में की जाने वाली अपमानजनक टिप्पणियों का दर्द केवल महिलाएं और 'शूद्र' ही समझ सकते हैं. मायावती ने ट्वीट कर कहा, "देश में कमजोर एवं उपेक्षित वर्गों का ग्रंटा रामचरितमानस व मनुस्मृति आदि नहीं, बल्कि भारतीय संविधान है, जिसमें बाबा साहेब डॉ. भीमराव आंबेडकर ने इनको शूद्रों की नहीं बल्कि एससी, एसटी व ओबीसी की संज्ञा दी है. अतः इन्हें शूद्र कहकर सपा इनका अपमान न करे तथा न ही संविधान की अवहेलना करे."

उन्होंने कहा, "इतना ही नहीं, देश के अन्य राज्यों की तरह उप्र में भी दलितों, आदिवासियों व ओबीसी समाज के शोषण, अन्याय, नाइन्साफी तथा इन वर्गों में जन्मे महान संतों, गुरुओं व महापुरुषों आदि की उपेक्षा एवं तिरस्कार के मामले में कांग्रेस, भाजपा व समाजवादी पार्टी भी कोई किसी से कम नहीं." बसपा नेता ने कहा, "साथ ही सपा प्रमुख को इनकी वकालत करने से पहले उन्हें लखनऊ स्टेट गेस्ट हाउस के दो जून, 1995 की घटना को भी याद कर अपने गिरेबान में जरूर झांककर देखना चाहिए, जब मुख्यमंत्री बनने जा रही एक दलित की बेटी पर सपा सरकार में जानलेवा हमला कराया गया था."

मायावती ने आगे कहा कि वैसे भी यह जगज़ाहिर है कि देश में एससी, एसटी, ओबीसी, मुस्लिम एवं अन्य धार्मिक अल्पसंख्यकों आदि के आत्म-सम्मान एवं स्वाभिमान की क़द्र बसपा में ही हमेशा से निहित और सुरक्षित है, जबकि बाकी पार्टियां इनके वोट के स्वार्थ की खातिर किस्म-किस्म की नाटकबाजी ही ज्यादा करती रहती हैं. श्रीरामचरितमानस पर टिप्पणी कर चर्चा में आये मौर्य ने बृहस्पतिवार को महात्मा गांधी के साथ हुए अपमान की तुलना महिलाओं और 'शूद्र' के दर्द की थी.

मौर्य ने ट्वीट किया, 'इंडियंस आर डॉग्स' कहकर अंग्रेजों ने जो अपमान व बदसलूकी ट्रेन में गांधी जी से की थी, वह दर्द गांधी जी ने ही समझा था. उसी प्रकार धर्म की आड़ में जो अपमानजनक टिप्पणियां महिलाओं एवं शूद्र समाज के लिए की जाती हैं, उसका दर्द भी महिलाएं और शूद्र समाज ही समझता है."

गौरतलब है कि सपा के विधान परिषद सदस्य स्वामी प्रसाद मौर्य ने 22 जनवरी को कहा था कि श्रीरामचरितमानस की कुछ पंक्तियों में जाति, वर्ण और वर्ग के आधार पर यदि समाज के किसी वर्ग का अपमान हुआ है तो निश्चित रूप से वह 'धर्म नहीं अधर्म' है.

मौर्य ने कहा था कि श्रीरामचरित मानस की कुछ पंक्तियों में 'तेली' और 'कुम्हार' जैसी जातियों के नामों का उल्लेख है, जो इन जातियों के लाखों लोगों की भावनाओं को आहत करती हैं." मौर्य ने मांग की थी कि पुस्तक के ऐसे हिस्से पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए जो किसी की जाति या ऐसे किसी चिह्न के आधार पर किसी का अपमान करते हैं.

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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