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अनोखा राखी उपहार: भाई ने बहन को दी नई जिंदगी, रक्षाबंधन पर किया लीवर दान

अनस ने लीवर ट्रांसप्लांट के बाद कहा कि, 'वो मेरी बहन है, और मुझे उसे बचाने के बारे में दोबारा सोचने की ज़रूरत नहीं पड़ी. सर्जरी से पहले मुझे कोई डर नहीं था, बस उसके ठीक होने में मदद करने का दृढ़ संकल्प था.

अनोखा राखी उपहार: भाई ने बहन को दी नई जिंदगी, रक्षाबंधन पर किया लीवर दान
  • मुंबई में भाई अनस ने अपनी बहन हुमेरा को लीवर ट्रांसप्लांट के लिए अपना लीवर दान किया है
  • हुमेरा को विल्सन रोग के कारण लीवर की गंभीर समस्या हुई, जिससे उसकी जान खतरे में थी
  • परिवार ने फोर्टिस अस्पताल मुलुंड में इलाज कराया, जहां डॉक्टरों ने लिवर ट्रांसप्लांट की सलाह दी
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रक्षाबंधन का त्यौहार पूरा देश मना रहा है. भाईयों की कलाई पर बहनें राखी बांध कर सुरक्षा का वचन ले रही हैं. इसी बीच एक खबर मुंबई से आई है, जहां भाई ने बहन की जिंदगी बचाने के लिए अपने लीवर का एक हिस्सा दान कर दिया . दरअसल गुजरात के पालनपुर में 27 साल की बहन हुमेरा को लीवर में विल्सन रोगा की प्रॉब्लम हो गई थी. डॉक्टर्स ने लिवर ट्रांसप्लांट के लिए कहा. इसके बाद 32 साल के भाई अनस ने अपनी बहन को अनोखा तोहफा दे दिया.

साल 2017 में बीमारी के बारे में पता चला

दरअसल विल्सन रोग की वजह से हुमेरा को काफी समस्या होने लगी थी. साल 2017 में इस बीमारी के बारे में पता चला था, जो धीरे-धीरे पीलिया और सिरोसिस के स्टेज में पहुंच गई. इससे पहले बड़े भाई ओवैस को भी इस बीमारी से जूझना पड़ा था. ये समस्या आनुवांशिक है तो डॉक्टर्स ने हुमेरा और अनस को भी टेस्ट कराने के लिए कहा. इसके बाद इस बीमारी के बारे में पता चल सका. परिवार ने फोर्टिस अस्पताल मुलुंड में इलाज कराया, जहां डॉ. विक्रम राउत ने लिवर ट्रांसप्लांट की सलाह दी.

'वो मेरी बहन है, ये मेरा फर्जा था'

अनस ने लीवर ट्रांसप्लांट के बाद कहा कि, 'वो मेरी बहन है, और मुझे उसे बचाने के बारे में दोबारा सोचने की ज़रूरत नहीं पड़ी. सर्जरी से पहले मुझे कोई डर नहीं था, बस उसके ठीक होने में मदद करने का दृढ़ संकल्प था. उनके परिवार और दोस्त उनके साथ मजबूती से खड़े थे, और आगे बढ़ने की उनकी इच्छा पर गर्व महसूस कर रहे थे. मैं पहले से ही तैयार था.'

'परिवार के लिए ये एक खुशी का पल'

इस मामले में फोर्टिस अस्पताल मुलुंड के डॉ. विक्रम राउत ने कहा, '2018 में कीलेशन उपचार शुरू करने के बावजूद, हुमेरा की हालत बिगड़ती गई और लिवर ट्रांसप्लांट ही एकमात्र विकल्प बचा. हमने ट्रांसप्लांट के लिए उसके भाई के लिवर के बाएं लोब का इस्तेमाल किया. हुमेरा जैसे युवा मरीज़ों को दूसरा मौका मिलते देखना बेहद खुशी की बात है.'

दोनों भाई-बहनों की सेहत में सुधार

अब दोनों भाई-बहन ठीक होने की राह पर हैं, इसलिए ये रक्षाबंधन उनके लिए और भी खास है. परिवार की देखभाल से ये सब संभव हो पाया है. अब अनस अपने कपड़ों की दुकान पर लौटने की तैयारी कर रहा है और हुमेरा अपने पति के साथ एक खुशहाली जिंदगी जीने के लिए तैयार हो रही है.

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