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This Article is From Aug 09, 2018

राज्यसभा के नवनिर्वाचित उपसभापति हरिवंश को सभापति वेंकैया नायडू ने दिया यह सुझाव 

राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू ने कहा, 'हरिवंश ने जब प्रभात खबर में काम शुरू किया था तब उसकी प्रसार संख्या 400 थी जो उनके जुड़ने के बाद बढ़ते-बढ़ते दस लाख तक पहुंच गई.'

राज्यसभा के नवनिर्वाचित उपसभापति हरिवंश को सभापति वेंकैया नायडू ने दिया यह सुझाव 
राज्यसभा के नवनिर्वाचित उपसभापति हरिवंश.
नई दिल्ली: राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू ने नवनिर्वाचित उप सभापति हरिवंश को सुझाव दिया कि वह अपने दाहिनी ओर (सत्ता पक्ष) और बाईं ओर (विपक्ष) न देखें बल्कि छोटे दलों सहित सबकी ओर ध्यान दें. नायडू ने हरिवंश को बधाई देते हुए कहा, 'अलग-अलग सदस्यों ने दाहिनी ओर (सत्ता पक्ष) और बाईं ओर (विपक्ष) देखने का सुझाव दिया है लेकिन मैं सभापति होने के नाते उन्हें (हरिवंश) यह कह सकता हूं कि हमें दाहिने या बाईं ओर नहीं देखना चाहिए बल्कि हमें नियम के अनुसार, सीधे देखना चाहिए और सदन में सबकी ओर ध्यान देना चाहिए चाहे वह यहां बैठे हों या वहां बैठे हों या सामने बैठे हों.'

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सभापति ने कहा, 'आपको दिशानिर्देशों, नियमों, व्यवस्था तथा सदन के स्थापति मानकों के अनुसार चलना होगा और हमें यह भी देखना होगा कि अपनी बात रखने का मौका सबको मिले. यह मेरा सुझाव है.' कुछ सदस्यों ने हरिवंश को बधाई देते हुए कहा था कि सदन में कभी कभार अपवाद की स्थिति हो जाती है, जिसमें भावनाएं और तकरार भी होती हैं. यह जिक्र करते हुए नायडू ने कहा कि अपवाद नियम नहीं होना चाहिए और अगर एक ही समय में हर व्यक्ति बोलने लगे तो इसे लोकतंत्र नहीं कहा जा सकता.'

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उन्होंने कहा, 'मेरा कामकाज आपके सहयोग पर निर्भर करता है. मुझे विश्वास है कि उप सभापति नियमों, दिशानिर्देशों और स्थापित मानकों के मुताबिक आगे बढ़ेंगे.' नायडू ने कहा कि वह आश्वासन दे सकते हैं कि हमेशा शांत और मुस्कुराते रहने वाले हरिवंश को उनके यही गुण अपने नए दायित्व के निर्वाह में मदद करेंगे. उन्होंने कहा कि हरिवंश उत्तर प्रदेश के जिस गांव के रहने वाले हैं उस गांव में जयप्रकाश नारायण जैसे महान नेता पैदा हुए हैं. हरिवंश का झारखंड और बिहार से भी संबंध रहा है.

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सभापति ने कहा कि उनकी तरह ही, उप सभापति की पढ़ाई भी सरकारी स्कूल में हुई. उन्होंने कहा, 'हरिवंश ने जब दैनिक अखबार प्रभात खबर में काम शुरू किया था तब उसकी प्रसार संख्या 400 थी जो हरिवंश के जुड़ने के बाद बढ़ते-बढ़ते दस लाख तक पहुंच गई.'

(इनपुट: भाषा)

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